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संविधान में पलामू के दो महान विभूतियों का अतुलनीय योगदान: उपायुक्त
कुमार कृष्णन
पलामू। भारतीय संविधान में पलामू के दो महान विभूतियों का अतुलनीय योगदान रहा है। यदुवंश सहाय उर्फ यदु बाबू एवं अमिय कुमार घोष उर्फ गोपा बाबू ने भारत के संविधान के निमार्ण में बतौर सदस्य संविधान निमात्री समिति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह पलामू के लिए गौरव की बात है। संविधान दिवस के अवसर पर इन महान विभूतियों को याद करते हुए काफी हषर् हो रहा है। यह बातें उपायुक्त शशि रंजन ने कही। वे आज राष्ट्रीय प्रेस दिवस एवं संविधान दिवस-2021 के अवसर पलामू में जिला जनसंपर्क कायार्लय की ओर से सूचना भवन में आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर भारतीय प्रेस परिषद् के द्वारा वर्ष 2021 के निधार्रित थीम ''मीडिया से कौन डरता है?'' एवं ''भारत के संविधान के निमार्ण में पलामू का योगदान'' विषय पर आमंत्रित वक्ताओं ने अपने विचार रखे।
उपायुक्त, पलामू शशि रंजन ने कहा कि इन महान विभूतियों के वंशज को आज संविधान दिवस पर सम्मानित कर जिला प्रशासन गौरवान्वित महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि संविधान दिवस के अवसर पर आज हमलोग प्रस्तावना का पाठ कर रहे हैं। प्रस्तावना संविधान की मूल आत्मा है। राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर निधार्रित धीम की चर्चा करते हुूए उन्होंने कहा कि मीडिया समाज व प्रशासन के लिए आइना का कायर् करती है। मीडिया में सकारात्मक चीजों का सम्मान होता है। मीडिया को हमेशा अपनी खबरों पर विश्वसनियता बनाये रखना चाहिए।
उप विकास आयुक्त ने कहा कि मेद्या भारद्वाज ने भारत के संविधान की आत्मा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें मात्र मौलिक अधिकार ही नहीं, बल्कि भारत के संविधान के भाग 4 क के अनुच्छेद 51 क में उल्लिखित नागरिक के मौलिक कतर्व्यों को भी आत्मसात करना चाहिए। पुलिस अधीक्षक, पलामू चंदन कुमार सिन्हा ने कहा कि पलामू के दो विद्वान संविधान सभा के सदस्य थे। संविधान के निमार्ण में उनकी भूमिका पलामू के लिए गौरव एवं सौभाग्य की बात है।
पुलिस अधीक्षक ने कहा कि कानून की परिधि में काम करने पर किसी से डरने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन जो सच से डरता है वह प्रेस/मीडिया से डरता है। उन्होंने कहा कि कानून से हटकर कायर् करने से डर होना स्वाभाविक है। प्रेस/मीडिया कानून का पालन करने के लिए भी दबाव देता है।
अमर उजाला, नई दिल्ली के डिप्टी न्यूज एडिटर प्रभात मिश्र सुमन ने ''भारत के संविधान के निमार्ण में पलामू के योगदान'' विषय पर पावर प्रेजेंटेशन देते हुए अपना विचार रखा। उन्होंने कहा कि संविधान सभा के सदस्य श्री यदुवंश सहाय यदु बाबू जो दक्षिण-पश्चिम पलामू साधारण ग्रामीण के विधायक थे। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 264 क के निमार्ण में महत्वपूणर् भूमिका निभाई। उन्होंने 16 अक्टूबर 1949 केा इस विषय पर महत्वपूणर् भाषण भी दिया।
सेमिनार में उन्होंने संविधान सभा के सदस्यों की सामूहिक तस्वीर में पंडित जवाहर लाल नेहरू डाॅ राजेन्द्र प्रसाद के साथ यदुवंश सहाय और अमिय कुमार घोष की तस्वीरों को भी प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा 26 नवंबर 1949 को संविधान की मूल प्रति पर अमिय कुमार घोष एवं यदुवंश सहाय के हस्ताक्षर को पावर प्रजेंटेषन के माध्यम से दिखाया और उसके बारे मंे जानकारी दी। साथ ही मेदिनीनगर के जिस कमरे में देश रत्न डाॅ0 राजेन्द्र प्रसाद रूके थे उसे भी प्रस्तुत किया। साथ ही यदुवंश सहाय के निधान के बाद भारतीय संसद में पारित शोक प्रस्ताव की सूचना देने वाला एयरमेल का भी जिक्र किया। मेदिनीनगर में स्वतंत्रता सेनानियों के नाम के लगे शिलापट्ट की चर्चा करते हुए कहा कि इसपर अंकित नामों के शब्दों की शुद्धिकरण की आवश्यकता है। पलामू में बिजली भी संविधान सभा के सदस्य अमिय कुमार घोष एवं यदुवंश सहाय की देन है।
वरिष्ठ पत्रकार रवीन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि सोशल मीडिया के जमाने में जनसामान्य भी रिपोटिग करते हैं। सोशल मीडिया और नई मीडिया के इस युग में एक पत्रकार को भी कई बिड़ंबनाओं का सामना करना पड़ रहा है। मीडिया की व्यवसायिकताओं ने भी अपनी नई सीमाएं तय की हैं। ऐसे में कई मीडिया हाउस पर फेक न्यूज फैलाने के दृष्टांत हैं। परिवतर्न के समय में मीडिया खुद भी कई चीजों से परहेज कर रहा है। मीडिया का उद्देश्य और स्वरूप भी बदला है। ऐसे में प्रेस की विश्वसनीयता ही एक मात्र अस्त्र है, जो मीडिया के लिए सकारात्मक माहौल तैयार करती है।
वरिष्ठ पत्रकार गोकुल बसंत ने सभी को संविधान दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रेस/मीडिया को संविधान से ही संरक्षण प्राप्त है। मीडिया स्वतंत्र/निभीर्क रूप से कायर् करता है। मीडिया को लोकतंत्र की आंख कहते हैं, जिसकी नजर सभी पर होती है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में संविधान की मूल भावनाओं पर ध्यान रखा जाना सबसे महत्वपूर्ण है। ऐसे में मात्र पत्रकार ही नहीं बल्कि समाज के तमाम लोगों को अपने अंदर झांकना होगा कि वे अपने कतर्व्यों का पालन करते हैं या नहीं! उन्होंने कहा कि कानून के दायरे से बाहर जाने पर ही बात बिगड़ती है। कानून का पालन करने वालों को किसी से डर नहीं लगता। समाज के विरूद्व काम करने वाले मीडिया से डरते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार देवब्रत ने संविधान दिवस पर पलामू के लाल को याद करते हुए कहा कि देश की आजादी/स्वतंत्रता आंदोलन के लिए पलामू के यदुवंस सहाय, अमिय कुमार घोष ने काम किया। यह गौरव की बात है। उन्होंने पलामू के तत्कालीन पत्रकारों यथा, गौरी शंकर ओझा, यदुवंश सहाय, हजारी लाल, नारायण लाल, भागीरथी सिंह, जेठन सिंह आदि की लेखनियों को याद करते हुए कहा कि ब्रिटिश हुकूमत के विरूद्ध जनमानस तैयार करने में इनकी भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता।
कायर्क्रम का संचालन सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के उपनिदेशक आनंद ने किया। उन्होंने सभी से अनुरोध किया कि गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़ी सामग्री सूचना भवन को उपलब्ध करायें, ताकि पुस्तकाकार स्वरूप में पलामू के साथ-साथ देश के लोगों को पलामू के अतीत से अवगत कराया जा सके। इससे यहां की वतर्मान व आने वाली पीढ़ियों को भी जंगे आजादी में अपना हवन देने वाले लोगों के विषय में जरूर जानना चाहिए। इससे पलामू की गरिमा बढ़ेगी। साथ ही आने वाली पीढ़ियों में नई उर्जा का संचार हो सकेगा।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए उप निवार्चन पदाधिकारी शैलेश कुमार सिंह ने कहा कि पलामू के दो लोगों को संविधान सभा में होना गौरव की बात है। इनके बारे में सभी को जानना चाहिए। कायर्क्रम में यदुवंश सहाय के सुपौत्र वृजनंदन सहाय ''मोहन बाबू'' को सम्मानित किया गया।
कायर्क्रम में उक्त के अलावा डीआरडीए निदेशक स्मिता टोप्पो, सदर अनुमंडल पदाधिकारी राजेश कुमार साह, जिला शिक्षा अधीक्षक मारिया गोरिया तिकीर् के अलावा समाज सेवी प्रेम प्रकाश भसीन, समाजसेवी ज्ञानचंद पांडेय सहित बड़ी संख्या में समाजसेवी, प्रेस/मीडिया के प्रतिनिधि शामिल थे।