झारखंड

सिर्फ एक गलती और काल बन गया कोरोना, एक परिवार के 5 लोगों की मौत

Arun Mishra
19 July 2020 3:14 PM GMT
सिर्फ एक गलती और काल बन गया कोरोना, एक परिवार के 5 लोगों की मौत
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कोरोना की वजह से अब तक एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत हो चुकी है जबकि एक सदस्य अस्पताल में मौत से लड़ाई लड़ रहा है.

झारखंड के कोयला नगरी धनबाद में एक परिवार को कोरोना वायरस और उससे जुड़ी गाइडलाइन को नजरंदाज करना बेहद भारी पड़ा है. कोरोना वायरस की वजह से अब तक एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत हो चुकी है जबकि एक सदस्य अस्पताल में मौत से लड़ाई लड़ रहा है.

दरअसल कतरास के चौधरी परिवार की सबसे बुजुर्ग महिला 27 जून को एक शादी समारोह में शामिल होने दिल्ली गई थीं. वहां से लौटने के बाद जब 90 साल की वृद्ध महिला की तबियत बिगड़ी तो अस्पताल में पता चला महिला कोरोना संक्रमित हैं. इलाज के बाद भी महिला को नहीं बचाया जा सका और 4 जुलाई को उनकी मौत हो गई.

इसके बाद जब पूरे परिवार और महिला के बेटों की जांच की गई तो दो बेटे संक्रमित पाए गए और इलाज के दौरान उनकी भी मौत हो गई. इसके बाद संक्रमण की वजह से महिला के दो और बेटे बीमार पड़ गए. कोरोना का डर और डिप्रेशन में जाने की वजह से उन्होंने भी दम तोड़ दिया.

सिर्फ 12 दिनों के भीतर इस परिवार में कोरोना वायरस से पांच लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं महिला का पांचवां बेटा भी कोरोना संक्रमित पाया गया है और उसे राजधानी रांची के रिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

परिवार के सबसे वृद्ध महिला की मौत के बाद धनबाद में उनके आसपास रहने वाले 70 से ज्यादा लोगों की जांच की गई थी. इसी दौरान मृतक महिला के तीन बेटे भी संक्रमित पाए गए थे. महिला के दो बेटे पहले से ही हृ्दय और फेफड़े संबंधी रोग से ग्रसित थे.

इस परिवार के एक बेटे की मौत धनबाद के सरकारी अस्पताल में हो गई जबकि दूसरे की कोविड स्पेशल अस्पताल और तीसरे बेटे की मौत रांची के रिम्स अस्पताल में हुई. चौथे बेटे की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई थी लेकिन उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. इसके बाद उसे जमशेदपुर के टाटा मेमोरियल अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उसकी भी मौत हो गई. महिला का छठा बेटा अभी दिल्ली में है.

जानकारी के मुताबिक जिस वृद्ध महिला की सबसे पहले मौत हुई वो दिल्ली में रह रहे अपने पोते की शादी में शामिल होने के लिए गई थी. परिवार से सबसे बड़ी गलती ये हुई कि कोरोना से मौत के बाद ICMR के दिशा-निर्देशों की जगह सामान्य तरीके से अंतिम संस्कार किया गया जिससे दूसरों में भी संक्रमण फैल गया.


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