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कुमार कृष्णन, मुंगेर : झारखंड के लातेहार में नावागढ़ पंचायत स्थित सलैया जंगल में सुरक्षाबलों की नक्सली संगठन झारखंड जनमुक्ति परिषद के सशस्त्र दस्ते के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए जगुआर के डिप्टी कमांडेंट राजेश कुमार के अंतिम दर्शन के लिए जनसैलाव उमड़ पड़ा। बारिश के बावजूद अंतिम दर्शन के लिए लोग इंतजार कर रहे थे। फिजा में यहीं गूंज रहा था-'जब तक सूरज चांद रहेगा, राजेश तेरा नाम अमर रहेगा। पैतृक निवास मुंगेर के लाल दरवाजा से निकाली गई अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
अंतिम यात्रा में जिलाधिकारी नवीन कुमार के साथ कई वरीय पुलिस पदाधिकारियों के अतिरिक्त सुरक्षा बलों के सैकड़ों जवान मौजूद थे। बीएसएफ के कई वरीय अधिकारियों के अलावा झारखंड से भी कई पुलिस अधिकारी भी इस दौरान मौजूद रहे।
बीएसएफ के पदाधिकारियों,स्थानीय प्रशासन और जवानों ने सलामी दी। पूरे सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार की आखिरी प्रक्रिया पूरी कराई गई। शव तिरंगे में लिपटा देख स्वजनों के साथ-साथ वहां मौजूद सभी की आंख नम हो गई। बड़े बेटा आयुष (07) से पिता को मुखाग्नि देने की रस्म पूरी कराई गई। पुलिस ने शहीद को बिगुल बजाकर अंतिम विदाई दी।स्वजनों का रो-रोकर बुरा हाल था।
अंतिम यात्रा में शहीद कमांडेंट के सम्मान में हजारों युवा हाथ में तिरंगा झंडा लिए हजारों देशभक्तों ने वंदे मातरम, भारत माता की जय, शहीद राजेश अमर रहे' के नारे लगाते रहे। तेज बारिश के बावजूद लोगों का जोश कम नहीं हुआ। तिरंगा लिए युवा शव वाहन के साथ अागे-आगे चल रहे थे। घर से गंगा घाट की दूरी तय करने में लगभग ढाई घंटे लग गए।
शहीद राजेश मुंगेर के लाल दरवाजा मुहल्ले के रहने वाले थे।
वे पांच भाइयों में तीसरे नंबर के बेटे थे।शहीद डिप्टी कमांडेंट राजेश कुमार के निधन की खबर सुनते ही पूरे लाल दरबाजा में मातमी सन्नाटा पसर गया।विधायक से लेकर आम आदमी तक घर पर स्वजनों को सांत्वना देने पहुंचने लगे।भाई बार-बार शहीद की यादों का स्मरण कर बेसुध दिखा।
शहीद राजेश कुमार के पिताजी रांची में ही एजी डिपार्टमेंट से हुए सेवानिवृत्त हुए थे।छोटे भाई रजनीश भी लातेहार में आइबी विभाग में हैं पोस्टेड
शहीद राजेश का एक भाई अमेरिका में हैं वैज्ञानिक।
अप्रैल माह में मां के श्राद्ध कर्म में राजेश पहुंचे थे मुंगेर राजेश क्रिकेट प्रेमी थे, गांव के दोस्त यार उन्हें याद कर उदास हो रहे हैं। जैसे ही पार्थिव शरीर हवाई अड्डा पहुंचा लोग राजेश भइया अमर रहे के नारे लगाने लगे।
भारत माता की जय के नारों के साथ वातावरण गुंजायमान हो गया।35 वर्ष की उम्र में राजेश शहीद हुए।उन्होंने 14 साल 2007 में बीएसएफ ज्वाइन की थी।
झारखंड में वे बतौर डिप्टी कमांडेंट तैनात थे मंगलवार को सर्च अभियान के दौरान नक्सलियों से मुठभेड़ में उन्होंने मोर्चा संभाला।इसी बीच एक गोली उनके कंधे पर जा लगी।इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और डटे रहे। लेकिन नक्सलियों की गोलीबारी का जवाब दे रहे राजेश के कमर में दूसरी गोली आकर लग गई।
इसके बाद साथी जवान उन्हें लातेहार लेकर आए और यहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें रांची के लिए एयरलिफ्ट किया गया।हेलीकाप्टर से रांची पहुंचे राजेश को डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।