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झारखंड के रामगढ़ से बारलोंग गांव की एक विधवा बुजुर्ग महिला माजो देवी की मौत हो गई थी। बुजुर्ग विधवा महिला की मौत के बाद गांव के लोग ने उनके शव को कंधा देने नहीं आए। इसके पीछे की वजह हैरान कर देने वाली है। बुजुर्ग महिला को गांव वालों का कंधा ना देना इसके पीछे गांव वालों का अंधविश्वास है।
बुजुर्ग महिला की मौत के बाद काफी देर तक इंतजार करने के बाद गांव वालों ने जब सहयोग नहीं किया तो वृद्ध महिला की तीनों बेटियां झालो देवी, अनीता देवी और बिलाव देवी व सभी दामादों ने ही महिला के शव को कंधा दिया और अंतिम संस्कार के लिए दामोदर घाटी लेकर गए और वहां क्रिया कर्म किया।
घटना बीते रविवार की है। यह घटना बारलोंग में चर्चा का विषय बना हुआ है। यहां उस महिला का पति और बेटा पहले ही मर चुके हैं, इसलिए ग्रामीणों के मन में कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। इसी अंधविश्वास के चलते मौजूद देवी की अर्थी उठाने और मुखाग्नि देने के लिए कोई गांव वाला आगे नहीं आया। जिस कारण से उसका सहारा बेटी और दामाद ही थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बुजुर्ग महिला के परिवार में पहले से ही गोतिया लोग कटे कटे रहते थे लेकिन मरने के बाद भी किसी ने महिला और उसके परिवार का साथ नहीं दिया। वह बुजुर्ग महिला बेहद गरीब परिवार से थी। हमेशा उस परिवार को गांव वालों ने अंधविश्वास के नाम पर परेशान करने का काम किया है। इस वृद्ध बुजुर्ग महिला का देहांत हुआ तब भी इस के मृत शरीर को लेकर अंधविश्वास के नाम पर लोगों द्वारा परेशान किया गया।