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भारतीय जनता पार्टी की आने वाले दिनों में मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है, अब एक बुरी खबर और आ रही है जब एक सहयोगी दल ने एनडीए छोड़ने का मन बना लिया है। झारखंड एनडीए से एक और पार्टी अलग हो सकती है। बीजेपी के सुख-दुख में हमेशा साथ रहने वाली ऑल झारखंड स्टूडेन्ट्स यूनियन (आजसू) ने संकेत दिए हैं कि बीजेपी ने अपने रवैये में बदलाव नहीं किया तो वो आगामी विधान सभा चुनाव में न केवल अलग राह अपनाएगी बल्कि सभी 81 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करेगी। अब आने वाले चुनाव के दौरान बीजेपी की मुश्किलें घटने का नाम नहीं ले रही है। पहले तेलगुदेशम फिर पीडीपी और आजसू के अलग होने के बाद मुश्किलें बढती ही जा रही है।
बता दें कि हफ्ते भर पहले ही बीजेपी की सहयोगी और बिहार में सत्ता में साझीदार नीतीश कुमार की जेडीयू ने लोकसभा और विधान सभा की सभी सीटों पर अपने कैंडिडेट खड़े करने का एलान किया है। आजसू के एनडीए से हटने के बाद झारखंड में बीजेपी अकेली पार्टी रह जाएगी। हाल ही में सिल्ली और गोमिया विधानसभा उप चुनावों में आजसू को कड़ी हार का सामना करना पड़ा है। सिल्ली तो आजसू अध्यक्ष सुदेश महतो का गढ़ रहा है। उप चुनाव हारने के बाद बीजेपी और आजसू के बीच लगातार दूरियां बढ़ती चली गईं।
उप चुनाव हारने के बाद आजसू अध्यक्ष सुदेश महतो ने बीजेपी से गठबंधन की समीक्षा की बात कही थी। बता दें कि इन दो सीटों में से एक (गोमिया) पर बीजेपी ने अपने उम्मीदवार खड़े किए थे जबकि सिल्ली सीट आजसू के लिए छोड़ी थी। आजसू दोनों सीट का दावा कर रहा था। सीट नहीं मिलने के बाद आजसू ने दोनों विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे। आजसू नेताओं का आरोप है कि राज्य में पूर्ण बहुमत आने के बाद बीजेपी का चाल, चरित्र बदल गया है जबकि हर बार आजसू की बैसाखी के सहारे ही बीजेपी की सरकार बनती रही है।
दैनिक जागरण के मुताबिक आजसू महासचिव रामचंद्र साहिस ने बीजेपी को आमने-सामने बैठकर गठबंधन की समीक्षा करने की चुनौती दी है। साहिस ने कहा कि बीजेपी साल 2000 को भूल गई जब अकेले सुदेश महतो के बल पर बीजेपी की सरकार बनी थी। उन्होंने 2005 की भी याद दिलाई जब आजसू ने एनडीए की सरकार बनवाई थी। बता दें कि 2014 के विधान सभा चुनावों में बीजेपी ने 81 सदस्यीय विधान सभा में कुल 37 सीटें जीतकर पहली बार स्पष्ट बहुमत हासिल की थी जबकि उसकी सहयोगी रही आजसू ने पांच सीटें जीती थीं। झारखंड विकास मोर्चा को छह सीटें मिली थीं लेकिन बीजेपी ने उसके सभी विधायकों को फरवरी 2015 में बीजेपी में मिला लिया था।