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पारा शिक्षकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार को जारी किया नोटिस, समान कार्य समान वेतन का मामला था
रांची: टेट परीक्षा पास पारा शिक्षकों (वर्तमान में सहायक अध्यापक) के नियमितीकरण एवं समान कार्य के बदले समान वेतन देने संबंधी याचिका को झारखंड हाई कोर्ट द्वारा खारिज किए जाने को चुनौती देने वाली एसएलपी की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में प्रार्थी की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकृत करते हुए झारखंड सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है.
टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (टेट) परीक्षा पास झारखंड के पारा शिक्षकों की सेवा को नियमित करने और समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग वाली एक एसएलपी पर सुनवाई करते हुए करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार को नोटिस जारी किया है. इसमें सरकार से पारा शिक्षकों की सेवा से जुड़े विभिन्न बिंदुओं पर जवाब देने को कहा गया है.
झारखंड हाईकोर्ट ने 16 दिसंबर 2022 को सुनील कुमार यादव एवं अन्य की याचिका पर फैसला सुनाते हुए उनकी याचिका को खारिज कर दिया था. जिसे प्रार्थी सुनील कुमार यादव एवं रंजीत कुमार जयसवाल ने एसएलपी दायर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
हाई कोर्ट में सुनवाई में क्या हुआ था
झारखंड हाईकोर्ट में पारा शिक्षकों के मामले की सुनवाई के दौरान झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा वर्ष 2021 में गठित कमेटी की रिपोर्ट पेश किया गया था. सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से कहा गया था कि पारा शिक्षकों को जो वेतन मिलता है वह सहायक शिक्षक के बराबर मिलना चाहिए. यह कहा गया कि वे लंबे समय से पारा शिक्षक के रूप में काम कर रहे हैं ऐसे में उन्हें रेगुलराइज किया जाना चाहिए.
क्या है मामला
हाईकोर्ट में प्रार्थी सुनील कुमार यादव व अन्य समेत करीब 112 याचिकाएं पारा शिक्षकों के सहायक शिक्षक के रूप में वेतन एवं नियमितीकरण के मामले में दाखिल की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि वे पारा शिक्षक के पद पर वे 15 वर्ष से अधिक समय से काम कर रहे हैं. साथ ही वे शिक्षक पद की अहर्ता पूरी करते हैं. राज्य सरकार उनकी सेवा को स्थाई करे और उन्हें सहायक शिक्षक के पद पर समायोजित किया जाये. साथ ही समान कार्य के बदले समान वेतन उन्हें दिया जाये.