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उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी-टीईटी) अब 23 जनवरी को प्रस्तावित है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की ओर से इस संबंध में शासन को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। इसी के साथ दिसंबर में टीईटी कराने की अटकलें भी समाप्त हो चुकी हैं। सरकार ने एक महीने में परीक्षा कराने की बात कही थी। पेपर लीक के कारण 28 नवंबर को यूपी-टीईटी निरस्त हुई थी।
लेकिन प्रश्नपत्र और ओएमआर शीट (उत्तरपत्रक) छपवाने के लिए प्रिंटिंग प्रेस तय करने और केंद्रों की दोबारा जांच कराने में वक्त लगेगा। उसके बाद अभ्यर्थियों को नये सिरे से प्रवेश पत्र भी भेजा जाना है। परीक्षा नियामक की ओर से जो तिथि तय की गई, उस पर सरकार की मुहर लगनी तय मानी जा रही है क्योंकि परीक्षा जल्द से जल्द कराने पर जोर है।
टीईटी केंद्रों के परीक्षण और पुनर्निर्धारण के बाद केंद्रों की संख्या में 15 प्रतिशत तक कमी होने की उम्मीद जताई जा रही है। शासन ने डीएम को निर्देशित किया है कि वह अपने स्तर से केंद्रों का परीक्षण करा लें। अच्छी ख्याति के स्कूलों को ही केंद्र बनाया जाए। 28 नवंबर की परीक्षा के लिए जो केंद्र बनाए गए थे, उनमें काफी संख्या में वित्तविहीन स्कूलों को जिम्मेदारी दे दी गई थी। प्रयागराज समेत तकरीबन एक दर्जन ऐसे जिले हैं जहां अनावश्यक केंद्र बनाए गए थे। ऐसे स्कूलों को केंद्र बना दिया गया था जहां 500 परीक्षार्थियों को भी बैठाने का इंतजाम नहीं, इसके कारण भी केंद्रों की संख्या बढ़ गई थी। वहीं कुछ बड़े स्कूलों में कम परीक्षार्थी आवंटित किए गए थे। यही कारण था कि प्राथमिक स्तर की परीक्षा के लिए 2554 केंद्र बनाए गए थे। अब नये सिरे से केंद्रों के निर्धारण में डिग्री कॉलेज, विश्वविद्यालय और दूसरे बोर्ड के अच्छे स्कूलों को भी शामिल करने पर केंद्रों की संख्या 15 प्रतिशत तक कम होने की उम्मीद है।
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