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खुश रहने का सबसे बड़ा नुख्सा, गरिष्ठ मानसिक रोग विशेषज्ञ का
रोग तो सभी बुरे होते हैं। मगर मानसिक रोगों को मैं सबसे खराब मानता हूँ।
इस रोग का तब पता चलता है। जब इंसान की हरकतें व्यहवार विचार सब बदलने लगता है।
वह कुंठित,चिड़चिड़ा,उदास,शक्की, और खोया-खोया अंजानी आशंका से घिरा सा रहता है।
मानसिक रोग अच्छे खासे व्यक्ति के जीवन को नीरस और बेकार कर देता है। उसके सारे टैलेंट धरे रह जाते हैं। साथ ही यह रोग रिश्तों नातों की बलि ले लेता है।
मेरे ख्याल से 40 से 50 प्रतिशत लोग किसी न किसी रूप में मानसिक रोगों के शिकार होते हैं।
इससे बचना हो तो दिखावे से दूर रहें...आपसी शक से बचें...बात बात पर ताने न दें... दूसरों से खुद या अपने लोगों की तुलना न करें...अतिमहत्वाकांक्षा से मुक्त रहें...भौतिक सुखों की अति से बचें...अहम और वहम न पालें...रिश्तों में झुकाने की बजाय एक हद तक झुकना सीखें...खुद की फटेहाली में भी मस्त रहें मेरी तरह...और मेरे व्यंग्य पोस्ट पढ़ते रहें ताकिआपके चेहरे पर हंसी आये। मनोरंजन मस्तिष्क की दवाई है।
इसलिए मस्त रहिये स्वस्थ रहिये...मानव जीवन फिर न मिलेगा दोबारा।
विनय मौर्या।।
गरिष्ठ मानसिक रोग विशेषज्ञ कलम वाला।