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आडवाणी जोशी कलराज समेत सभी हैरान, 75 वर्षीय येदियुरप्पा पर क्यों है बीजेपी मौन?

Special Coverage News
26 April 2019 6:21 AM GMT
आडवाणी जोशी कलराज समेत सभी हैरान, 75 वर्षीय येदियुरप्पा पर क्यों है बीजेपी मौन?
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जब उन्होंने भाजपा छोड़कर अपनी पार्टी बनाई थी. तब भले ही उनके नए दल ने कोई कमाल न किया हो लेकिन भाजपा का नक्शा भी खराब कर दिया था. आखिर में परेशान भाजपा ने उनकी घर वापसी कराई.

बीजेपी ने 75 वर्ष की उम्र सीमा की वजह से अपने संस्थापक सदस्यों लालकृष्ण आडवाणी मुरली मनोहर जोशी और लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा महाजन कलराज मिश्र समेत कई लोगों को टिकिट न देकर संदेश दे दिया. लेकिन उम्र के इस पड़ाव को पार करने वाले बीएस येदियुरप्पा को लेकर अभी असमंजस की हालात में है. पार्टी इतनी हिम्मत नहीं जुटा पा रही है कि कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री को चुनावी राजनीति बाहर का रास्ता दिखा सके.हालांकि पार्टी ने अब तक उनको रियायत देने का भी ऐलान नहीं किया है. लेकिन सवाल यह है कि उनको लेकर भाजपा खामोश क्यों है .

बीजेपी में दक्षिण के सबसे बड़े चेहरे

फिलहाल कर्नाटक ही नहीं बल्कि पूरे दक्षिण भारत में येदियुरप्पा पार्टी के एकमात्र चेहरे हैं जिन्हें जननेता कहा जाता है. अगर वह उनको चुनावी राजनीति से हटा लेती है तो इसके लिए कर्नाटक में अपना आधार बचाना मुश्किल होगा. क्योंकि येदियुरप्पा ही एक ऐसे नेता हैं जिन्होंने राज्य में भारतीय जनता पार्टी को मजबूती दी थी और खड़ा कर दिया. उन्हीं के बूते कर्नाटक की सत्ता में पहली बार कमल खिला. पार्टी से पहले एक बार भी येदियुरप्पा का जलवा देख चुकी है. जब उन्होंने भाजपा छोड़कर अपनी पार्टी बनाई थी. तब भले ही उनके नए दल ने कोई कमाल न किया हो लेकिन भाजपा का नक्शा भी खराब कर दिया था. आखिर में परेशान भाजपा ने उनकी घर वापसी कराई.

लिंगायत वोटरों का गणित

कर्नाटक की राजनीति को नजदीक से देखने वाले पत्रकार हेमंत कुमार का कहना है कि येदियुरप्पा की लिंगायत वोटरों पर जबरदस्त पकड़ है. राज में लिंगायत वोटरों का बड़ा प्रभाव है और येदियुरप्पा इसी समुदाय से आते हैं. हालांकि भाजपा में लिंगायत समाज के जगदीश शेट्टार भी हैं. पर येदियुरप्पा की एक अलग पहचान है. बीजेपी के सामने कांग्रेस का भी उदाहरण है. 1989 में कांग्रेस में इसी समुदाय के वीरेंद्र पाटिल को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया और अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल की. जिसमें कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 180 सीटें विधानसभा में ने हासिल की. इसके 1 साल बाद वीरेंद्र पाटील को पद से हटा दिया तो उसका असर फौरन बाद लोकसभा चुनाव में पड़ा और यही नहीं अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 36 पर आ गई भाजपा 40 पर आ गई.


आगे क्या होगा केंद्र में भाजपा और राज्य में समीकरण बदले तो पार्टी फिर से येदियुरप्पा को सीएम देखना चाहेगी या फिर सीधे उनके उत्तराधिकारी के बारे में पूछा जा सकता है

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