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कर्नाटक संकट पर येदियुरप्पा और कुमारस्वामी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सराहा, लेकिन दोनों के मत अलग अलग क्यों
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को निर्देश दिया कि कर्नाटक में कांग्रेस-जद (एस) के 15 बागी विधायकों को विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिये बाध्य नहीं किया जायेगा। 18 जुलाई को विधानसभा की कार्यव़ाही में एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को विश्वास मत हासिल करना है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने कहा कि कर्नाटक विधान सभा के अध्यक्ष के आर रमेश कुमार बागी विधायकों के इस्तीफों पर ऐसी समय सीमा के भीतर निर्णय लेने के लिये स्वतंत्र हैं जो उन्हें उचित लगता हो।
हालांकि कर्नाटक प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और विधानसभा में विपक्ष के नेता बीएस येदियुरप्पा ने बुधवार को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि अब मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को गुरुवार को विश्वासमत प्रस्ताव के दौरान इस्तीफा देना होगा। वही सुप्रीम कोर्ट के फैसले को येदियुरप्पा ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि यह अच्छा फैसला है और लोकतंत्र की जीत है। बागी विधायकों के लिए यह नैतिक जीत है। अब उन 15 विधायकों पर व्हिप लागू नहीं होगा, जिन्होंने इस्तीफा दिया हुआ है। इससे साफ़ है कि मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने जनादेश खो दिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता जगदीश शेट्टर ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कहा कि एचडी कुमारस्वामी को इस फैसले के तुरंत बाद इस्तीफा दे देना चाहिए। हालांकि न्यायालय ने कहा था कि दशकों पहले दल बदल कानून की व्याख्या करते हुये उसने अध्यक्ष को काफी ऊंचा स्थान दिया है और संभवत: इतने साल के बाद अब इस पर फिर से गौर करने की आवश्यकता है। शीर्ष अदालत ने संकेत दिया था कि बागी विधायकों के इस्तीफे और अयोग्यता के मुद्दे पर परस्पर विरोधी दावे हैं, इसलिए इसमें संतुलन बनाने की आवश्यकता होगी।