लाइफ स्टाइल

बाल्टी में भरकर रसगुल्ला बेचने वाला आज हैं 2000 करोड़ टर्नओवर का मालिक

Special Coverage News
1 Sep 2019 5:39 AM GMT
बाल्टी में भरकर रसगुल्ला बेचने वाला आज हैं 2000 करोड़ टर्नओवर का मालिक
x
1955 में बाल्टी में भरकर रसगुल्ले बेचने से लेकर आज 2000 करोड़ के टर्नओवर वाला बिजनस खड़ा करना... सुनने में नामुमकिन-सा लगने वाला यह सफर तय किया है बीकानेरवाला के काका जी ने।

दिल्ली: परिवार में 130 सदस्य और सारे एक ही पारिवारिक कारोबार में... सुनने में हैरानी होती है लेकिन यह सच है। और इतने बड़े परिवार को एक साथ बांधने का जिम्मा उठा रखा है काका जी के नाम से मशहूर 83 साल के लाला केदारनाथ अग्रवाल ने। केदारनाथ मशहूर मिठाई और रेस्तरां चेन 'बीकानेरवाला' के मुखिया हैं। केदारनाथ 1955 में राजस्थान के बीकानेर से बड़े भाई सत्यनारायण अग्रवाल के साथ दिल्ली आए थे और बस दिल्ली के होकर रह गए।

खास बात यह है कि आज की तारीख में काका जी के परिवार में 130 सदस्य हैं और सभी लोग परिवार के पुश्तैनी बिजनस से जुड़े हुए हैं। बीच में काका जी के एक पोते ने लंदन जाकर आईटी सेक्टर में कुछ समय के लिए जॉब जरूर की थी। लेकिन जॉब ज्यादा दिन तक उन्हें बांध नहीं पाई और वह दिल्ली लौटकर परिवार के बिजनस में शामिल हो गए।

काका जी के पांच भाई और एक बहन है। अपने भाइयों में वह सबसे छोटे हैं। बड़े पांचों भाई भगवान को प्यारे हो चुके हैं। दो भाइयों के बच्चों को छोड़ दें तो बाकी चार भाइयों के बच्चे इसी एक बिजनस में हैं। इस बिजनस की नींव 1955 में रखी गई थी, जब वह और भाई सत्यनारायण कोलकाता और मुंबई से होते हुए पुरानी दिल्ली आए थे।

शुरुआत में बाल्टी में भरकर रसगुल्ले बेचे

केदारनाथ बताते हैं, 'पुरानी दिल्ली में हम दोनों भाई संतलाल खेमका धर्मशाला में रुके थे। उस वक्त सिर्फ तीन दिनों के लिए ही धर्मशाला में ठहरा जा सकता था। लेकिन हम बीकानेर से एक जानकार से एक महीने तक धर्मशाला में रुकने की सिफारिशी चिट्ठी लिखवाकर लाए थे। शुरुआत में हम दोनों भाइयों ने बाल्टी में भरकर बीकानेरी रसगुल्ले और कागज की पुड़िया में बांध-बांधकर बीकानेरी भुजिया और नमकीन बेची।

जल्द ही दिल्ली ने हमारा हाथ पकड़ लिया और परांठे वाली गली में हमने एक दुकान किराये पर ले ली। फिर कारीगर भी बीकानेर से बुला लिए। इसके बाद नई सड़क पर एक अलमारी मिल गई। वहां हमने दिल्लीवालों को सबसे पहले मूंग की दाल का हलवा चखाया। शुद्ध देसी घी से बने इस हलवे को लोगों ने खूब पसंद किया। फिर मोती बाजार, चांदनी चौक में ही एक दुकान किराए पर मिल गई। उसी वक्त दिवाली आ गई और हमारी मिठाई और नमकीन की खूब सेल हुई। हालत यह हो गई थी कि रसगुल्लों की तो हमें राशनिंग यानी लिमिट तक तय करनी पड़ी। एक बार में एक शख्स को 10 से ज्यादा रसगुल्ले नहीं बेचे जाते थे। ग्राहकों की लाइनें लग जाती थीं।

तो ऐसे पड़ा 'बीकानेरवाला' नाम

शुरू में हमारा ट्रेड मार्क था BBB यानी बीकानेरी भुजिया भंडार। लेकिन कुछ ही दिनों बाद सबसे बड़े भाई जुगल किशोर अग्रवाल दिल्ली आए तो उन्होंने कहा कि यह क्या नाम रखा है। हमने तो तुम्हें यहां बीकानेर का नाम रोशन करने के लिए भेजा था। इसके बाद नाम रखा गया 'बीकानेरवाला' और 1956 से आज तक 'बीकानेरवाला' ही ट्रेड मार्क बना हुआ है।' काका जी के परिवार में तीन बेटे और तीन बेटियां हैं। सब शादीशुदा हैं और सबके बच्चे हैं। बेटों में सबसे बड़े राधेमोहन अग्रवाल (59), दूसरे नंबर पर नवरत्न अग्रवाल (55) और तीसरे नंबर पर रमेश अग्रवाल (52) हैं। सभी इसी बिजनस में लगे हुए हैं।

दिल्ली में नई सड़क से शुरू किया नया काम

'बीकानेरवाला' का दिल्ली में सबसे पहला ठिकाना 1956 में नई सड़क पर हुआ। 1962 में मोती बाजार में एक दुकान खरीदी। इसके बाद करोल बाग में 1972-73 में वह दुकान खरीदी, जो अब देश-दुनिया में बीकानेरवाला की सबसे पुरानी दुकान के रूप में पहचानी जाती है। काका जी बताते हैं कि जब वे लोग चांदनी चौक में रहते थे, तब उन्होंने एम्बैसेडर कार खरीदी थी।

पूरी पुरानी दिल्ली में इक्का-दुक्का लोगों के पास ही कारें थी। इसके बाद जब फिएट का जमाना आया तो यह कार ली। यानी वक्त के साथ कदमताल करने की कोशिश की। परिवार को घूमने का भी खूब शौक है। नवरत्न अग्रवाल बताते हैं कि वह पूरी दुनिया घूम चुके हैं। वैसे, परिवार में हर बड़ा फैसला पिताजी यानी काका जी के ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद ही लिया जाता है।

आज बीकानो के 200 से ज्यादा आउटलेट्स

आज देश और दुनिया में 'बीकानेरवाला' और 'बीकानो' के नाम से 200 से ज्यादा आउटलेट हैं। अमेरिका, दुबई, न्यू जीलैंड, सिंगापुर, नेपाल आदि देशों में भी 'बीकानेरवाला' पहुंच गया है। काका जी बताते हैं कि आज दो हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का टर्नओवर है।

नवरत्न अग्रवाल का कहना है कि सभी आउटलेट्स में एक हजार से अधिक स्टाफ रखा हुआ है। 130 लोगों का हमारा यह परिवार करोल बाग, पंजाबी बाग, राजौरी गार्डन, पीतमपुरा, हैदराबाद, अहमदाबाद और दुबई में घर बनाकर रहता है। लेकिन परिवार की खास बात यह है कि हर होली इनकी साथ मनती है जीटी करनाल वाले फार्म हाउस में जहां परिवार के तमाम लोग जमकर गुलाल और रंग खेलते हैं। परिवार में 40 से ज्यादा कारें और नौकरों की पूरी पलटन है लेकिन सादगी से जिंदगी जीना इन्हें अच्छा लगता है।


Tags
Special Coverage News

Special Coverage News

    Next Story