लाइफ स्टाइल

मगर सपनों की लिस्ट इतनी लंबी होती है कि उसका छोर आने से पहले मौत अपना दामन फैला देती

Shiv Kumar Mishra
15 Sep 2020 5:40 AM GMT
मगर सपनों की लिस्ट इतनी लंबी होती है कि उसका छोर आने से पहले मौत अपना दामन फैला देती
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रामभरत उपाध्याय

कभी हम जीवन को खींचते हैं तो कभी जीवन हमें खींचता है। इसी खींचतान में जीवन का हर अच्छा-बुरा दौर आता जाता रहता है। जीवन के शुरुआत में शिशु को मां की गोद से प्रेम व चाह तीव्र होती है। लगता है ज्यादा से ज्यादा मां की गोद में ही रहूं। फिर कुछ बड़ा होने पर खिलोने इतने प्यारे लगने लगते हैं कि उनके साथ दिन कब गुजर गया पता ही नहीं चलता। किशोरावस्था में प्रवेश करके मां की गोद व खिलौनों का स्थान दोस्त लेने लगते हैं।

फिर दुनियादारी की समझ बढ़ने लगती है तो अपने बल बुद्धि से लग जाता है ज्ञान बटोरने में। क्योंकि वह जानता है कि इसी ज्ञान की बदौलत वह धन-दौलत व यश-कीर्ति के सपने साकार कर पायेगा। इसी बीच प्रेम के अंकुर फूटने लगते हैं फिर यौवनावस्था के कई साल प्रेमालाप में कब गुजर गये ,खबर ही नहीं चली। फिर वैवाहिक जीवन में प्रवेश करके लग गए बच्चों का घरोंदा सजाने में,अपने अधूरे सपने छोड़कर बच्चों के सपनों की लिस्ट कब हाथ में आ गई ज्ञात ही नहीं हुआ।

मगर सपनों की लिस्ट इतनी लंबी होती जाती है कि उसका छोर आने से पहले मौत अपना दामन फैला देती है। फिर सबकुछ .......

इसलिए सभी से निवेदन है कि आप डॉक्टर, इंजीनियर, व्यवसायी, नेता अभिनेता किसी भी दुनियावी पद या ओहदे पर हों वो स्थाई नहीं है ऐसा जेहन में रखकर सत्यनिष्ठा से काम करें।खुशियां लुटाएं, किसी का दिल ना दुखाएं ।

Shiv Kumar Mishra

Shiv Kumar Mishra

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