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बाहर कोरोना, अंदर भूकंप, और बाल्कनी में टिड्डियाँ, जाएँ तो जाएँ कहाँ?

Shiv Kumar Mishra
30 May 2020 9:50 AM GMT
बाहर कोरोना, अंदर भूकंप, और बाल्कनी में टिड्डियाँ,  जाएँ तो जाएँ कहाँ?
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टिड्डी अपने वजन से कहीं अधिक भोजन एक दिन में खाती है. ये एक दिन में 100 से 200 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकती है.

भारत इस मस्य बड़ी समस्या से जूझ रहा है. कोरोना जैसी विश्वव्यापी महामारी से बुरी तरह पीडित है तो तब तक उपर वाला लगातार परेशानियों का इजाफा करता नजर आ रहा है. देखते ही देखते कोरोना के अब लगभग दो लाख मरीज जल्द हो जायेंगे. तो उधर "भूकंप के झटके दिल दहलाते नजर आ रहे है". "अब तीसरी समस्या टिड्डीयों का दल बना हुआ है". आखिर इन तीनों समस्या से बचकर भारत की जनता किधर जाए.

इन तीनों समस्या से भारत की सरकार भी बुरी तरह प्रभावित है. जहां जनता बीते तीन महीने से घर में कैद होकर रह गई है "तो दिल्ली , एनसीआर , हिमाचल , मणिपुर समेत कई राज्यों में भूकंप के झटके लगातार आ रहे है". अब हर कोई यह कहता नजर आ रहा है कि लगता है अब एक बड़ी पली आने वाली है. अब इससे बचने का क्या उपाय हो सकता है. यह सवाल सबके जेहन में कोंधता नजर आ रहा है. अब पहले कोरोना और फिर "भूकंप अब तीसरी समस्या टिड्डियों" की उत्पन्न हो गई है.

बताया जा रहा है कि पिछले कई दिनों से देश के कई राज्यों में जारी टिड्डी दल के हमले ने अब खेतों के अलावा अब विमानों की लैंडिंग और टेकऑफ के लिए भी खतरा पैदा कर दिया है. नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने शुक्रवार को लगभग तीन दशकों में पश्चिमी और मध्य भारत में आए टिड्डियों के सबसे खराब आक्रमण के बीच चेतावनी जारी की. डीजीसीए ने सभी एयरलाइंस के लिए जारी किए अपने सर्कुलर में कहा है, 'आम तौर पर टिड्डी दल निचले स्तरों पर पाए जाते हैं और इसलिए यह विमान के सबसे अहम फेस लैंडिग और टेकऑफ में खतरा पैदा करते हैं.'

नोट में कहा गया है, "विमान के लगभग सभी एयर इनटेक पोर्ट्स में बड़ी संख्या में अंतर्ग्रहण होने का खतरा होगा, अगर विमान एक झुंड (इंजन इनलेट, एयर कंडीशनिंग पैक इनलेट आदि) के माध्यम से उड़ता है," ये टिड्डियां उड़ान के दौरान सेंसर और इंस्ट्रूमेंट्स भी टकरा सकते हैं, जिससे गलत रीडिंग, विशेष रूप से अविश्वसनीय एयरस्पीड और अल्टीमीटर इंडिकेशन का संकेत मिलता है.

डीजीसीए ने कहा, 'हालांकि एक एक टिड्डी आकार में छोटी होती है लेकिन विंडशील्ड पर बड़ी संख्या में टिड्डियों का हमला पायलट फॉरवर्ड विजन को प्रभावित करने के लिए काफी है. यह फ्लाइन के लैंडिंग, टैक्सी और टेक ऑफ चरण के लिए गंभीर चिंता का विषय है. कई बार वाइपर के इस्तेमाल से धब्बा और भी फैल सकता है, पायलट को विंड शील्ड से टिड्डे को हटाने के लिए वाइपर का उपयोग करने से पहले इस पहलू पर विचार करना चाहिए,"

टिड्डियों के बड़े झुंड एक जमीन के बड़े हिस्से में देखने में बाधा डाल सकते हैं. एजेंसी ने कहा, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स से पायलटों को यह बताने के लिए कहा जाए कि क्या टिड्डियों के झुंडों को देखा गया है?"जहां तक संभव हो, यह सख्त निर्देश दिए जाते है कि टिड्डियों के किसी तरह के झुंड के दिखने पर उड़ान टाल देनी चाहिए. एकमात्र अनुकूल पहलू यह है कि टिड्डे रात में नहीं उड़ते हैं, इस प्रकार यह देखने और बचने का बेहतर अवसर प्रदान करता है,"

एक दिन में 100 से 200 किलोमीटर तक का सफर तय

टिडि्डयों का जीवन सामान्यतया 3 से 6 माह का होता है. नमी वाले इलाकों में ये एक बार में 20 से 200 तक अंडे देती हैं, जो 10 से 20 दिन में फूटते हैं. शिशु टिड्डी का पेड़-पौधे खाती है, 5-6 हफ्ते में बड़ी हो जाती है. इन्हें मारने का सबसे अच्छा उपाय अंडों के फूटते ही उन पर रसायन का छिड़काव है. टिड्डी अपने वजन से कहीं अधिक भोजन एक दिन में खाती है. ये एक दिन में 100 से 200 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकती है.

1 लाख 25 हजार एकड़ खेतों को नुकसान

अलग-अलग राज्यों में टिड्डियों के हमले से 1 लाख 25 हजार एकड़ खेतों को नुकसान पहुंचा है. 4 करोड़ टिड्डियों का दल 35 हजार लोगों के हिस्सा का अनाज खा सकता है.

अब कोरोना की बात

देश में कोरोना ने हाहाकार मचा दिया है. बीते 24 घंटे में कोरोना वायरस के रिकॉर्ड 7,964 नए केस सामने आए हैं वहीं 265 लोगों की मौत हो गई है. कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 1,73,763 हो गई है. देश में कोरोना के एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 86,422 हो गई है. कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या बढ़कर 82,370 हो गई है. देश में कोविड-19 महामारी से 4,971 मरीजों की मौत हो गई है. कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र है, जहां अब तक 59,546 लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. राज्य में कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों की संख्या 18,616 है, वहीं 1,982 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है.

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