लाइफ स्टाइल

महिलाओं के लिए बड़ी खुशखबरी: सेनेटरी पैड को 122 बार धोकर कर सकेंगी इस्तेमाल

Special Coverage News
21 Aug 2019 4:23 AM GMT
महिलाओं के लिए बड़ी खुशखबरी: सेनेटरी पैड को 122 बार धोकर कर सकेंगी इस्तेमाल
x
अर्चित के मुताबिक, यह सेनेटरी पैड ऑनलाइन के साथ बाजार में भी उपलब्ध होगा। एक पैकेट में दो पैड होंगे, जो 199 रुपये में मिलेंगे। महिलाएं इस पैड को ठंडे पानी में धोकर दो साल तक प्रयोग कर सकती हैं।

पटना-(शिवानंद): सेनेटरी पैड से अब पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा। आईआईटी दिल्ली के दो छात्रों ने केले के फाइबर से सेनेटरी पैड बनाने की तकनीक तैयार की है। इस पैड को 122 बार धोकर दो साल तक प्रयोग किया जा सकता है। बार-बार प्रयोग के बाद भी इससे किसी प्रकार के इंफेक्शन का खतरा नहीं है। एक सेनेटरी पैड सौ रुपये में उपलब्ध होगा।

आईआईटी दिल्ली के छात्रों ने पर्यावरण सुरक्षा एवं संक्रमण से बचने के लिए एक ऐसा सेनेटरी पैड बनाया है जो केले के रेशे से तैयार होता है और इसे कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है यदि सफल हुआ तो निश्चित रूपेण इन छात्रों के प्रयोग को एक नया आयाम मिलेगा और पर्यावरण सुरक्षा की दिशा में उल्लेखनीय योगदान मिलेगा।

आईआईटी दिल्ली के बीटेक के चौथे वर्ष के छात्र अर्चित अग्रवाल और हैरी सहरावत ने विभिन्न विभागों के प्रोफेसर की अध्यक्षता में यह सेनेटरी पैड बनाने में सफलता हासिल की है। बीटेक छात्रों ने सांफे नाम से स्टार्टअप बनाया है। इसी स्टार्टअप के तहत इस सेनेटरी पैड को तैयार किया गया है।

आईआईटी के डिजाइन विभाग के सहायक प्रोफेसर श्रीनिवास वेंकटरमन ने छात्रों की तकनीक की सराहना की। उनका कहना है कि महिलाओं के स्वास्थ्य और स्वच्छता में यह तकनीक बेहद असरदार साबित होगी। तकनीक को तैयार करने में करीब डेढ़ लाख रुपये खर्च आया है। इसका पेटेंट करा लिया गया है।

ऐसे किया तैयार

अर्चित अग्रवाल व हैरी सहरावत के मुताबिक, चार परतों से तैयार इस सेनेटरी पैड को बनाने में पॉलिएस्टर पिलिंग, केले का फाइबर और कॉटन पॉलियूरेथेन लेमिनेट का प्रयोग किया गया है। केले के जिस डंठल को यूं ही फेंक देते हैं उसी के अंदर से फाइबर को निकालकर मशीन में सुखाया गया।

इस फाइबर के ऊपर पॉलिएस्टर पिलिंग (एक प्रकार का कपड़ा) का प्रयोग किया गया, जो गीलेपन को सोखता है। इसके बाद लीकेज रोकने के लिए कॉटन पॉलियूरेथेन लेमिनट (अस्पताल में प्रयोग होने वाला एक कैमिकल) का प्रयोग किया गया। सेनेटरी पैड को इससे कवर किया गया है। अन्य पैड में प्लास्टिक और सिंथेटk इस्तेमाल होता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है।

ऑनलाइन और बाजार में भी उपलब्ध

अर्चित के मुताबिक, यह सेनेटरी पैड ऑनलाइन के साथ बाजार में भी उपलब्ध होगा। एक पैकेट में दो पैड होंगे, जो 199 रुपये में मिलेंगे। महिलाएं इस पैड को ठंडे पानी में धोकर दो साल तक प्रयोग कर सकती हैं।

पैडमैन से जागरूकता मिली पर पर्यावरण को बचाने का हल नहीं

अर्चित अग्रवाल के मुताबिक, अक्षय कुमार की पैडमैन फिल्म से आम महिलाएं सेनेटरी पैड के प्रयोग के प्रति जागरूक तो हुईं, लेकिन पर्यावरण को पहुंचने वाले नुकसान का हल नहीं मिला। अर्चित ने बताया कि सामान्य सेनेटरी पैड में प्लास्टिक और सिंथेटिक का प्रयोग होता है।

सेनेटरी पैड प्रयोग के बाद फेंक दिया जाता है, तो उसे नष्ट होने में 50 से 60 साल तक लग जाते हैं। वहीं नाली, सीवर ब्लॉक होने के साथ मिट्टी को भी नुकसान पहुंचता है। ऐसे सेनेटरी पैड को जलाने से हानिकारक धुआं निकलता है, जिससे वायु प्रदूषण होता है। भारत में करीब 336 मिलियन महिलाओं में से 36 फीसदी 121 मिलियन डिस्पोजेबल सेनेटरी पैड का उपयोग करती हैं।

Tags
Special Coverage News

Special Coverage News

    Next Story