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- रेल टिकट कैंसल कराने...
रेल टिकट कैंसल कराने से संबंधित नियमों की खास बातें
टिकट आप खुद कटाते हैं इसमें रेलवे का केवल सिस्टम है। आपका समय लगता है, आप पैसे एडवांस देते हैं और किसी कारण से यात्रा न करनी हो तो आपका पैसा आपको आसानी से मिलना चाहिए जो दरअसल रेलवे के पास अकारण ही पड़ा रहा। अगर ट्रेन पर्याप्त हो, यात्रा के समय टिकट / जगह मिल जाए और पहले से टिकट कटाने की जरूरत न हो तो आपके पैसे नहीं फंसेंगे और आपको पहले ही टिकट कटाने और अंतिम समय में लौटाने का झंझट नहीं उठाना पड़ेगा। इस तरह, रेलवे अपनी नालायकी से भी कमा रहा है।
कहने की जरूरत नहीं है कि भारत में रेलवे एक आवश्यक सेवा है और आम लोगों की जरूरत तथा सीमित कमाई के साथ सरकारी सेवा होने के नाते इसे जनहितकारी होना चाहिए न कि एकाधिकार का लाभ उठाना चाहिए।
आइए देखें इस कमाई में लूट के कितने इंतजाम किए गये हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि 2014 के बाद नियमों में भारी परिवर्तन किए गए हैं। पर जो नियम अभी है उनमें से कुछ खास की बात करते हैं।
1. टिकट एक आदमी का हो या छह का - एंट्री आप भरते हैं, जांच आप करते हैं, गलत होने पर नुकसान का जोखिम आप उठाते हैं फिर भी रद्द कराएंगे तो पैसे प्रति टिकट नहीं प्रति यात्री कटेंगे।
2. मान लीजिए एक टिकट तीन लोगों का है। आपको किसी एक का कैंसल कराना है तो एक के ही पैसे लगेंगे बाकी दो बना रहेगा।
3. लोकिन तीनों कैंसल कराने हैं तो प्रति यात्री पैसे कटेंगे न कि एक न्यूनतम या अधिकत्तम चार्ज कटेगा। सुनिश्चित किया जाता है कि आपको अधिकतम लूटा जाए। यह एकाधिकार का दुरुपयोग है।
ये तो आम सिद्धांत का मामला है जो जनहित में न्यूनतम होना चाहिए था पर अधिकतम रखा गया है। इसी तरह, आइए देखें ट्रेन लेट होने की स्थिति में क्या नियम है। कहने की जरूरत नहीं है कि ट्रेन लेट होने में रेलवे का दोष हो न हो, स्थितियां उसके नियंत्रण में न हों तो भी जिम्मेदारी उसकी है और यहां भी सिद्धांत यह होना चाहिए कि यात्रियों को नुकसान या परेशानी न्यूनतम हो। आमतौर पर हमलोग यही जानते हैं कि ऐसी स्थिति में पूरा पैसा वापस मिल जाता है। लेकिन उसके लिए आपको क्या करना होगा, यह आप नहीं जानते हैं और ऐसे में पैसे डूब जाएं तो बड़ी बात नहीं है।
ऐसी स्थितियों में समय पर गंतव्य पर पहुंचना महत्वपूर्ण होता है और लोग उसके लिए परेशान रहते हैं और ऐसे लोग पैसे वापस लेने पर कम ध्यान देते हैं और प्राथमिकता समय पर पहुंचे की हो तो टिकट लौटाने का ख्याल बाद में आएगा और किसी आम कारोबारी की तरह यहां भी नियम ऐसे हैं कि चूके तो गए। इंटरनेट से कटाए गए टिकट में नकद वापस मिलने का विकल्प है ही नहीं, पैसे वैसे भी 48-72 घंटे बाद मिलते हैं लेकिन ऐसी हालत में टीडीआर दायर करना होता है और पैसे कब मिलेंगे यह राम भरोसे ही होता है।
कल्पना कीजिए कि आपने टिकट कटा रखा है, कंफर्म आरक्षण है और आप निश्चित समय पर स्टेशन पहुंचते हैं और पता चलता है कि ट्रेन तीन घंटे से लेट है। अगर तुरंत पैसे वापस मिलने होते तो आप पैसे वापस लेते लेकिन पैसे मिलने नहीं हैं तो आपको वैकल्पिक यात्रा के लिए पैसे चाहिए और टिकट कैंसल कराने के लिए समय। जाहिर है सबके पास दोनों नहीं होगा या हो यह जरूरी नहीं है। नियम ऐसा बनाया गया है कि आप एक से हाथ धो ही लें।
रेलवे के लूट को और ठीक से समझाने के लिए आपको एक उदाहरण देता हूं। मान लीजिए आपको ग्वालियर से दिल्ली लौटना है। सोमवार सुबह का कंफर्म टिकट है ताकि आप दिल्ली पहुंचकर दफ्तर अटेंड कर लें या धंधा-दुकान चला सकें। जो उपलब्ध विकल्प हैं उसमें एक ट्रेन चेन्नई से आती है। आपके पास कोई चारा नहीं है इसी का टिकट लेना होगा। और आप पूरे समय चिन्तित रहेंगे कि ट्रेन लेट न हो जाए। अब के समय में आपको पता (हो सकता) है कि ट्रेन चेन्नई से ही पांच घंटे लेट चली है।
आप जानते हैं कि उससे जा नहीं पाएंगे लेकिन रेलवे घोषणा नहीं करेगा भले आप वैकल्पिक इंतजाम कर लें। अगर रेलवे उसी समय घोषणा कर दे कि ट्रेन तीन घंटे से ज्यादा लेट हो जाएगी तो आप टिकट कैंसल करा सकते हैं पूरे पैसे मिल जाएंगे लेकिन घोषणा नहीं की जाएगी और आप कैंसल कराएंगे तो भारी कटौती होगी। अमूमन ऐसी घोषणा ट्रेन के जाने के बाद या कुछ ही पहले की जाती है इसलिए आप टिकट लौटा नहीं सकेंगे और लौटाएंगे तो ज्यादा पैसे कटेंगे जबकि कटना नहीं चाहिए। रेलवे के साइट पर जो नियम है वह इस प्रकार है - पूर्ण वापसी , ट्रेन के प्रस्थान तक टीडीआर दर्ज कर दिया जाता है तो।
इसके लिए आपको लैपटॉप / फोन के साथ स्टेशन पर इंतजार करना होगा। सुबह के छह बजे की ट्रेन है। इसकी घोषणा होने के बाद ही कैंसल कराएंगे तो पूरे पैसे मिलेंगे नहीं तो भारी कटौती होगी भले ट्रेन पौने तीन घंटे लेट हो या आपके कैंसल कराने के बाद छह घंटे लेट हो जाए। अगर आपने टिकट किसी और से कटवाया है तो आपको उसकी सेवा लेनी पड़ेगी। अगर सुबह छह बजे की ट्रेन है तो उसी समय। अगर यह सेवा नहीं मिली तो कमाई रेलवे की होगी। ऐसा नहीं है कि ट्रेन तीन घंटे से ज्यादा लेट हो गई तो रद्द कराना आपके हाथ में है और आप जब चाहें तब कराएं।
रेलवे को इससे मतलब नहीं है कि आप यात्रा कैसे करेंगे मतलब इससे है कि पैसे चाहिए तो समय से टीडीआर दाखिल कीजिए और समय से दाखिल टीडीआर में वापसी तभी संभव है जब ट्रेन तीन घंटे से ज्यादा लेट हो और रेलवे यह घोषणा करने के बाद टीडीआर दाखिल करने की सुविधा दे। अगर उस समय आप यात्रा में हैं, नेट नहीं चल रहा है या साइट नहीं खुल रही है तो कोई सुनवाई नहीं या टीडीआर फाइल हो जाए तो फाइल करके इंतजार करते रहिए। अच्छे दिन जरूर आएंगे।