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विदेशों से लाशें भारत लाती हूं: किसी की बॉडी जली होती है, तो किसी के चीथड़े उड़े हुए देखकर कलेजा दहल जाता है, जानिए पूरी कहानी
मैं अमनजोत कौर रामूवालिया, पंजाब की रहने वाली हूं। मुख्य रूप से दो कामों की वजह से मेरी पहचान है... पहला- विदेशों में जो लोग जंगलों में, समुद्रों में या किसी तहखाने में काटकर फेंक दिए जाते हैं, उनकी लाशें भारत लाने का काम करती हूं। मेरे परिवार के लिए यह काम धर्म जैसा है। 40 साल से हम विदेशों से लाशें लाने का काम कर रहे हैं। पहले पापा करते थे। 10 साल से इसे मैं कर रही हूं।
दूसरा- कई बार किसी लड़की को विदेशों में बंदी बना लिया जाता है। उसका शोषण किया जाता है। मेरे पास नई नवेली छोड़ी हुई दुल्हनें भी आती हैं। उनकी मेंहदी उतरी नहीं होती है। पेट में बच्चा होता है और शौहर विदेश भाग जाता है। इनके हक के लिए लड़ती हूं और न्याय दिलाती हूं।
आज आपको ऐसे ही 4 किस्से बता रही हूं, जिसने मेरे दिलो-दिमाग को झकझोर कर रख दिया...
पहला किस्सा- तकरीबन 3 साल पहले की बात है। उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के एक नौजवान की सऊदी अरब में मौत हो गई। वह सीमेंट फैक्ट्री में ट्रक चलाने का काम करता था। किसी वजह से ट्रक में थोड़ी खराबी आई तो झुककर वो ट्रक के नीचे देखने लगा। तभी ट्रक में भरा हुआ सीमेंट उसके ऊपर गिर गया। उस सीमेंट में केमिकल मिला हुआ था। लड़का बुरी तरह जल गया। मौके पर ही उसकी मौत हो गई।
उस युवक के माता-पिता को खबर मिली, तो वे बिलखते हुए इधर-उधर भटक रहे थे। किसी ने उन्हें मेरे बारे में बताया। वे मेरे पास आए और सारी कहानी बताई।
मैंने किसी तरह से नवदीप सूरी (इंडियन एंबेसडर) की मदद से सऊदी अरब से उस लड़के की लाश दिल्ली मंगवाई। वह 5 बहनों का इकलौता भाई था। मन किया कि मैं इस लड़के के दाह संस्कार में जाऊं। दिल्ली से लखनऊ की फ्लाइट ली।
जब लखनऊ एयरपोर्ट पर उतरी तो पता लगा कि उस लड़के की लाश भी इसी फ्लाइट में थी। जब लड़के की लाश लेकर उसके गांव पहुंची, तो वहां तीन से चार गांवों के लोग हमारा इंतजार कर रहे थे। जैसे ही बॉक्स से उसकी लाश निकाली गई, वहां चीख-पुकार मच गई।
उस लड़के का घर फूस का बना था। छत से कमरे के अंदर रोशनी आ रही थी, क्योंकि छत टूटी हुई थी। बैठने वाले कमरे में ही दो छोटे पशु बंधे थे। मैं उसके अंतिम संस्कार से तो वापस आ गई, लेकिन कई महीनों तक मुझे नींद नहीं आई। मुझे खुद का इलाज करवाना पड़ा।
कई लोग मेरा हौसला बढ़ाते हैं। लोगों के भरोसे और मदद की बदौलत ही ये काम मैं कर पाती हूं। इस साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर पंजाब पुलिस ने मुझे सम्मानित किया था।
दूसरा किस्सा- कुछ महीने पहले की बात है। थाईलैंड में एक लड़के के साथ धोखा हो गया। निजी दुश्मनी में कुछ लोगों ने उसकी जेब में नकली आईडी डालकर उसे पुल से धक्का दे दिया। मां-बाप हर दिन सिर्फ इतना बोलते कि मैडम आखिरी बार मुंह दिखवा दो बच्चे का, लेकिन मैं कुछ नहीं कर सकी, क्योंकि जब कोई अपराधी करार हो जाता है, तो थाईलैंड सरकार न तो डेड बॉडी देती है, न राख। मैंने हाथ जोड़कर मां-बाप से माफी मांगी कि मैं उनकी कोई मदद नहीं कर सकी।
कई बार मां-बाप की बूढ़ी आंखें अपने बच्चों की राह देखते-देखते पथरा जाती हैं। उन्हें कौन समझाए कि उनका बच्चा अब वापस नहीं आने वाला है। उनका बच्चा इस दुनिया से चला गया है। जब लाश लेकर उनके गांव पहुंचती हूं, तो मां-बाप की चीखें आसमान का भी कलेजा चीर देती हैं। मैं तो पत्थर हो चुकी हूं नौजवानों की लाशें भारत लाते-लाते।
तीसरा किस्सा- हालेकिन एजेंट ने उसकी बेटी को अंधेरे कमरे में बंद कर दिया। इसके बाद एजेंट ने उसे एक शेख के हाथों बेच दिया। दिन में उसकी बेटी शेख के घर का काम करती थी और हर रात शेख के बिस्तर पर होती। एक महीना, दो महीना... ऐसे ही चलता रहा।
उस शेख का ड्राइवर एक पाकिस्तानी था। हर दिन उस लड़की पर जुल्म होते देखता था। उसने एक दिन लड़की से कहा कि तुम मेरे फोन से अपने घर फोन करके सारी बात बताओ और यहां से भाग जाओ। उस लड़की ने पाकिस्तानी ड्राइवर के फोन से अपने पापा को अमृतसर फोन किया।
फोन आने पर लड़की के पिता मेरे पास आए। वो जिस नंबर से फोन कर रही थी, उसी नंबर पर मैंने फोन मिलाया। ड्राइवर ने कहा कि वह उस लड़की से मेरी बात करवाएगा। लड़की से मेरी बात हुई, तो मैंने कहा कि वह किसी तरीके से मुझे उस घर का एड्रेस दे दे, लेकिन वहां कुछ ऐसा नहीं था जो अंग्रेजी में लिखा हो। एक दिन शेख परिवार ने पाकिस्तानी रेस्त्रां से खाना मंगवाया, तो उस लड़की ने उर्दू में लिखा उसके घर का पता मुझे भेजा।
इंडियन एंबेसी और मेरे लोग जब वहां गए, तो पहले दिन लड़की शेख के घर पर नहीं मिली। अगले दिन फिर से गए, तो पाकिस्तानी ड्राइवर ने इशारे से बताया कि लड़की कहां है। हमने उस लड़की को शेख के चंगुल से छुड़वाया।
वह दुबई से नंगे पांव अमृतसर पहुंची। उसने मुझे अपने शरीर पर पड़े दाग दिखाए कि कैसे शेख की पत्नी ठीक से काम न करने पर उसके शरीर पर गरम प्रेस लगा देती थी। कैसे शेख उसके साथ मार-पीट करता था। 18 साल की लड़की की हालत उसने नर्क करके रख दी थी।
वो गरीब बाप की बेटी थी और बिल्कुल निर्दोष। कैसे नींद आएगी मुझे आप बताएं, एक बच्ची बिना गलती के इतनी सजा भुगती हो। उस लड़की की मंगनी हुई थी, उसने बोला कि मैडम मेरी मंगनी टूट जाएगी और मेरा बाप बर्बाद हो जाएगा। हम इस केस में चुप रह गए।
चौथा किस्सा- चंडीगढ़ की लड़की थी। तकरीबन 18 साल की। एक लड़के से प्यार हो गया। उसके साथ कश्मीर चली गई। वहां उस लड़के ने उसके साथ रेप किया। उसके बाप ने लड़की के साथ रेप किया, चाचा ने रेप किया। लड़के के दोस्तों ने रेप किया। फिर एक महीने के बाद लड़के ने उसे चंडीगढ़ की बस पर चढ़ा दिया।
किसी तरीके से लड़की मेरे पास पहुंची। कहने लगी कि उसे उस लड़के के खिलाफ केस करना है। हमने उसका केस अदालत में डाला। एक दिन किसी ने लड़की के घर का दरवाजा खटखटाया और उस लड़की के मुंह पर तेजाब फेंक दिया। मैं कई महीने सोई नहीं इस केस के बाद। मेरी आवाज कांपने लगी। मैं सोचती थी कि अगर मैं नहीं सो पा रही हूं, तो बच्ची किस हाल में होगी।
NRI लड़के मेहंदी लगी लड़कियों के पेट में बच्चे छोड़कर भाग जाते हैं। छोटे बच्चों को लेकर लड़कियां यहां-वहां धक्के खाती हैं। भाभियां उन्हें घर में रखना नहीं चाहती हैं। बोलती हैं कि जमीन भी बिकवा दी शादी के चक्कर में, फिर भी हमारे सिर पर पड़ी है। अपने ही मां-बाप दुश्मन हो जाते हैं, सौतेले हो जाते हैं। बेटियों से बोलते हैं कि गोद में किसी ठग की गंदगी लेकर घूम रही है।
समाज ऐसी औरतों को गंदी नजर से देखता है। ऐसी औरतें लाइन लगाए मेरे यहां खड़ी रहती हैं। मेरी अपनी जिंदगी में बहुत सारे ऐसे तूफान रहे जो बाहर नहीं आ सके, लेकिन मैं इन औरतों का दर्द अपने दिल और शरीर पर सहती हूं।
पापा बलवंत सिंह रामूवालिया केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। पहले वे पूरी-पूरी रात घर नहीं आते थे। इमरजेंसी के दौरान जेल में भी रहे। मेरे भाई को मारने की धमकी मिली, तो पापा ने भाई को कनाडा चाचा के पास भेज दिया। छोटी बहन को मारने की धमकी मिली तो उसे भी पापा ने कनाडा भेज दिया।
तब मैं पटियाला में पंजाब यूनिवर्सिटी में पढ़ती थी। मास्टर्स कर रही थी। मुझे मारने के लिए आतंकवादी यूनिवर्सिटी आ गए। मेरी पढ़ाई छुड़वा दी गई। जल्दी शादी कर दी गई। मैं शादी के लिए किसी सूरत में मानसिक तौर पर तैयार ही नहीं थी। मेरे भाई-बहन बचपन में मुझसे दूर चले गए। सारी जिंदगी डर और बिना पापा के सहारे के मां के साथ काटी है। हमेशा लगता था कि अब कोई अनहोनी खबर आएगी।
मुझे याद है कि बचपन में जब भी रोने लगती थी, तो मां बोलती थी देख गुरु गोबिंद सिंह जी की तरफ, उन्होंने अपने साहिबजादे वार दिए देश पर तू अपना बाप नहीं वार सकती, तो मैं चुप हो जाती थी। मैंने अपने हालात से यही सीखा है कि मुसीबत तो मुसीबत है, अहम बात है कि हम उस मुसीबत से निकलते कैसे हैं। शादी के बाद भी उतार-चढ़ाव रहे, लेकिन उनसे निकलने का ही रास्ता ढूंढा।
मेरा मानना है कि औरतें सेक्शुअली एब्यूज होती हैं, तो दुनिया खत्म नहीं हो जाती। मर्द छोड़ देते हैं, तो दुनिया खत्म नहीं हो जाती। शादियां टूट जाती हैं, तो दुनिया खत्म नहीं हो जाती। अपनी जिंदगी जियो।
अमनजोत कौर रामूवालिया ने ये सारी बातें भास्कर रिपोर्टर मनीषा भल्ला से शेयर की है...
अब Sunday जज्बात सीरीज की ये 3 स्टोरीज पढ़ लीजिए...
1. पुलिस ने झूठे केस में फंसाया, प्राइवेट पार्ट पर करंट लगाया; पेशाब के वक्त जलन ऐसी कि गला फाड़कर चिल्लाने लगता
16 साल पहले की बात है। मुंबई लोकल ट्रेन बम ब्लास्ट में 200 से ज्यादा लोग मारे गए थे। 700 के करीब घायल हुए थे। मुझे महाराष्ट्र ATS ने झूठे केस में फंसा दिया। 9 साल जेल में रहा। मुझ पर इतने जुल्म किए कि आज भी याद करके रूह कांप जाती हैं। अक्सर बीमार रहता हूं। आर्थिक बदहाली की तो पूछिए मत। कई बार तो ऐसा लगता है कि मैं पैदा ही क्यों हुआ, पैदा होते ही मर क्यों नहीं गया। शरीर का शायद ही कोई हिस्सा होगा, जिस पर जख्मों के निशान न हों। वो तो शुक्र है अदालत का कि मैं बेगुनाह निकला। (पूरी कहानी पढ़िए)
2. 4 साल की थी तो मां का साथ छूटा; डिप्रेशन में गई, दर्जनों बार ऑडिशन में रिजेक्ट हुई, आज मेरी आवाज के लाखों दीवाने
मैं प्रिया मल्लिक, पटना की रहने वाली हूं। 5 साल की थी तो मां (मैं चाची को मां बोलती थी) की मौत हो गई। उनकी मौत का मुझे ऐसे झटका लगा कि सदमे में चली गई। गुमसुम रहने लगी। फिर खुद को संभाला, मजबूत किया और म्यूजिक से दिल लगा लिया। आज मैं देशभर में घूम-घूमकर गीत-भजन गाती हूं। भोजपुरी-मौथिली सब। सोशल मीडिया पर लाखों लोग मुझे पसंद करते हैं। एक बच्चे के डिप्रेशन को जिस तरह से मेरे मम्मी-पापा ने समझा, उससे मैं संभल गई। वरना ज्यादातर मौकों पर पेरेंट्स बच्चों की चुप्पी नहीं समझ पाते हैं। (पूरी स्टोरी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करिए)
3. बॉडी पेंट मॉडल की आपबीती: दुबई से कॉल कर अश्लील फोटो मांगे, मना किया तो वॉट्सऐप पर मेरी न्यूड तस्वीरें भेजने लगा
बॉडी पेंट के लिए दिल्ली और मुंबई में कोआर्डिनेटर्स का लंबा-चौड़ा नेटवर्क है। हमें उनसे लगातार टच में रहना पड़ता है। इसके लिए सबसे पहली शर्त होती है खूबसरत बदन। ताकि शरीर के हर हिस्से में पेंट से बनाई तस्वीर उभरकर सामने आए। फोन पर ही शरीर के ऊपरी हिस्से की साइज पूछ ली जाती है। इसी वजह से बहुत सारी लड़कियां तो ब्रेस्ट इंप्लांट भी करवाती हैं। मैं भी बहुत जगह से इसके चलते रिजेक्ट हुई। मेरे पास इंप्लांट करवाने के लिए पैसे नहीं थे। ऊपर से डर भी कि कहीं इससे जान न चली जाए।
साभार दैनिक भास्कर