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- अगर आपकी शादी नहीं हो...
अगर आपकी शादी नहीं हो रही है, करिए ये उपाय जरूर होगा लाभ, विवाह में बाधा के योग बनता है रुकावट
विवाह में बाधा के योग की जिससे या तो जातक हो या जातिका अविवाहित रहती है या विवाह सुख बहुत कम मिलता है पहले तो यह भी याद रखना चाहिए कि विवाह के प्रश्न में 7 भाव भावेश और यदि पुरुष विवाह का प्रश्न करे तो शुक्र और स्त्री यदि विवाह का प्रश्न करे तो गुरु और विशेष विचार करना चाहिए आज कुछ विवाह के बाधा योग की बात करते है।
सप्तमेश यदि शुभ युक्त ना हो और 6-8-12 भाव मे हो और अस्त हो या नीच का हो तो जातक अविवाहित रहता है विवाह हो जाये तो सम्बंद विछेद हो जाते है।
चन्द्रमा और शुक्र दोनो साथ हो कहि पर भी उनसे 7 भाव मे मंगल शनि की युति हो या इन पर दृष्टि हो तो भी जातक अविवाहित रहता है।
शुक्र और मंगल यदि दोनो ही सप्तम भाव मे हो तो भी विवाह में वाधा आती है।
शुक्र किसी भी पाप ग्रह के साथ पंचम या नवम भाव मे हो तो जातक का विवाह नही होता वो स्त्री वियोग में पीड़ित रहता है।
सातवे या बारहवें भाव मे 2 या 2 से अधिक पाप ग्रह हो और पंचम भाव मे चन्द्रमा हो तो भी विवाह नही होता।
सप्तम भाव मे बुध और शुक्र दोनो हो तो विवाह अधेड़ उम्र में होता है।
यदि शुक्र , बुध , शनि 3 ही नीच या शत्रु नवमांश में हो तो जातक स्त्री पुत्र विहीन होता है।=
सप्तम भाव मे मंगल हो और उस पर शनि की दृष्टि हो तो विवाह देरी से होता है।
कर्क लग्न में सप्तम भाव मे गुरु हो तो विवाह देरी से होता है।
स्त्री की कुंडली मे सप्तमेश के साथ शनि हो तो विवाह बड़ी आयू में होता है।
स्त्री की कुंडली मे सप्तम भाव मे शनि और लगन या चौथे भाव मे मंगल आठ अंश तक हो तो वो कन्या कुमारी रहती है।
कुंडली प्रश्न कुंडली के फलादेश और राशि रत्न आदि के लिए सम्पर्क करें:-
किसी भी प्रकार की समस्या समाधान के लिए आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया (ज्योतिष विशेषज्ञ) जी से सीधे संपर्क करें = 9131366453