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इंटरनेशनल सेक्स वर्कर्स डे आज, दाने-दाने आनज को मोहताज सेक्स वर्कर्स

दिल्ली : कोरोनाकाल में हर किसी कि जिंदगी प्रभावित हुई है, लेकिन क्या आप जानते है कि इसका सबसे ज्यादा असर सेक्स वर्कर्स पर पड़ा है। जो 2 जून की रोटी के लिए भी मोहताज हो गए है। अब आप सोचेंगे की हम सेक्स वर्कर्स की बात क्यों कर रहें है। आपको बता दें कि आज 2 जून है और इस दिन इंटरनेशनल सेक्स वर्कर्स डे बनाया जाता है।
इंटरनेशनल सेक्स वर्कर्स मनाने का उद्देश्य यौनकर्मियों के अधिकारों के बारे में लोगों को जागरूक करना है. ताकि यौनकर्मी समाज में सम्मान की जिंदगी जी सकें।
सेक्स वर्कर्स अपना यौन शोषण कराकर अपने घर का जीवनयापन करती हैं, लेकिन इन दिनों कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से शारीरिक दूरी ने जीवनयापन बहुत मुश्किल कर दिया, ग्राहक ना होने के चलते घर में अनाज का तिनका भी नहीं है । ऐसे में इनके पास वापस अपने घर लौटने के अलावा कोई और रास्ता भी नजर नहीं आ रहा है।
एक रिपोर्ट्स के मुताबिक, 60 फीसदी से ज्यादा सेक्स वर्कर्स अपने गृह राज्यों को वापस लौट चुकी है।
● अजमेरी गेट से लाहौरी गेट तक 1K.m में फैला जीबी रोड
भारत की राजधानी दिल्ली के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया में स्थित अजमेरी गेट से लाहौरी गेट तक लगभग 1K.m से अधिक दूरी तक फैले जीबी रोड में सेक्स वर्कर्स काम करती है।
लेकिन 24 मार्च को लॉकडाउन के बाद से ग्राहकों के ना होने के चलते ये सड़के वीरान पड़ी है।
● GB रोड से 55% सेक्स वर्कर्स वापस लौटी घर
GB रोड पर दो और तीन मंजिला इमारतें हैं, जहां नीचें दुकानें हैं। पहली और दूसरी मंजिल पर वेश्यालय चलते हैं। लेकिन इस लॉक डाउन के हालातों के चलते हरेक सेक्स वर्कर्स दाने दाने अनाज के लिए इतना मजबूर है कि इनके पास वापस अपने घर लौंट के अलावा कोई और रास्ता नहीं है।
GB रोड के कोठा नंबर-54 में लगभग 15-16 यौनकर्मी रहती हैं। जिनमें ज्यादातर नेपाल और पश्चिम बंगाल की हैं। उन्होंने वापस जाने के विकल्प को चुना है।
वहीं इस पूरे 1 K.m लंबे इलाके में फैलें इन जर्जर भवनों या कोठों में करीब 4000 वेश्याएं (सेक्स वर्कर) काम करती हैं, मगर फिलहाल अब यहां 25 से 30 फीसदी महिलाएं ही बची हुई हैं।