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स्लीपिंग पैरालिसिस या मन का भ्रम, जब आधी रात को यकायक यूँ चौंक जाते है जैसे किसी ने आपके ऊपर कब्जा जमा लिया!

Shiv Kumar Mishra
29 July 2020 9:55 PM IST
स्लीपिंग पैरालिसिस या मन का भ्रम, जब आधी रात को यकायक यूँ चौंक जाते है जैसे किसी ने आपके ऊपर कब्जा जमा लिया!
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क्या आपने कभी महसूस किया है कि आधी रात को अचानक आपकी नींद खुलती है. ऐसा लगता है कि आपके आसपास कोई मौजूद है. आप हिलने की कोशिश करते हैं, लेकिन शरीर का कोई अंग हिला नहीं पाते हैं. डर लगता है, चीखना चाहते हैं, लेकिन आवाज ही नहीं निकलती. ऐसा लगता है, जैसे किसी ने आपको कसकर बांध रखा है, आप जकड़े या जमे हुए हैं.ऐसा कभी आपके साथ भी हुआ है। मुझे आज भी याद है जब भी कभी मुझे बुरा सपना आता था तो अचानक मेरा शरीर जाग उठता है। लेकिन मुझे पता लगता की मेरी आंखे नही खुल पा रहीं। मै आवाज लगाने की कोशिश करता कि कोई आकर मुझे उठा दे। हाथ पैर पर शरीर एक लाश की तरह चुप सुन्न पडा होता था।

बुरे सपने की वजह से ऐसा लगता की शायद किसी ने मुझे काबू कर रखा है। मै रो जाता था की अब क्या होगा लेकिन मेरी आंखो से आंसू नही निकलते थे। धड़कन तेज हो जाती थी घबराहट होने लगती थी लेकिन मैं 4-5 मिनट बाद उठ जाता था जो महसूस करता है वो अपनी जिन्दगी मे जीने के लिये लड़ रहा होता है खुद से की मै उठूँगा। उसे पता होता है की कोई भी उसे नही उठा सकता। लेकिन मुझे धीरे धीरे इस चीज़ की आदत हो गयी। कभी कभी ऐसा होता की जैसे मेरी आंख लगी मै फिर से इसी अवस्था में दुबारा आ जाता। डर कभी कम नहीं हुआ। मै मन में हनुमान चालीसा बोलता लेकिन कुछ असर नही होता उस वक्त मै खुद को सबसे हारा हुआ समझता की अब मेरी मदद कोई नही कर सकता। कभी कभी मुझे ऐसा हो जाता है तो मै अपने मुहँ को खोलने की कोशिश करता हूँ। हर कीमत अपनी ताकत लगा देता हूँ की मै उठ जाऊंगा। या कभी कभी इसे अनदेखा कर सो जाता हूँ या कभी कभी बहुत डर जाता हूँ की शायद मैं कभी उठ ही ना सकूं।

मैं नही जानता कि ये क्यों होता है और कैसे होता है और इसे कैसे रोक सकता है पिछले 20 साल से हर महीने एक या दो बार इस चीज से गुजरता हूँ। विज्ञान इसे स्लीप पैरालिसिस कहता हैं। स्लीप पैरालिसिस जो नींद और जागने के बीच वो अवस्था है, जिसमें आपको लकवा मारने जैसा एहसास होता है. ऐसा कुछ सेकेंड से लेकर कुछ मिनटों तक हो सकता है.सभी स्लीप साइकिल के दो हिस्से होते हैं: रैपिड-आई मूवमेंट (REM) और नॉन-रैपिड-आई मूवमेंट स्लीप.पहले भाग नॉन-REM में आप धीरे-धीरे नींद के तीन चरणों से गुजरते हैं. हर स्टेज के साथ आपकी सांसें एक लय में होती जाती हैं और आप नींद में जाने लगते हैं, यहां तक कि शोर में भी.इसके बाद REM स्लीप आती है, जब आप सपने देखते हैं. इस दौरान, ग्लाइसिन नाम का एक न्यूरोट्रांसमीटर आपके शरीर को लकवे के अस्थाई स्टेज में डालने में मदद करता है.REM स्लीप में आपका शरीर अनैच्छिक मांसपेशियों को मूव कर सकता है, जैसे कि सांस लेने के लिए डायाफ्राम, लेकिन आपके हाथ, पैर और दूसरी स्वैच्छिक मांसपेशियों को नहीं. इस वजह से आप सिर्फ सपने देखते हैं, सपने में जो दिख रहा है, उसके मुताबिक कुछ कर नहीं पाते.नींद के REM फेज में हम खुद से किसी भी तरह की कोई मसल एक्टिविटी नहीं कर पाते क्योंकि हमारा दिमाग उस दौरान हमें अस्थाई तौर पर पैरलाइज्ड कर देता है.अगर आप अचानक REM नींद से जागते हैं, तो ग्लाइसिन की मदद से होने वाले पैरालिसिस का प्रभाव जारी रह सकता है, भले ही आप होश में हों. इस दौरान ऐसा हो सकता है कि आप कुछ सेकेंड से कुछ मिनटों तक हिल न पाएं.

कुछ लोगों को स्लीप पैरालिसिस के दौरान कई तरह का भ्रम भी हो सकता है. जैसे किसी की मौजूदगी का एहसास होना.REM स्लीप के दौरान सांस लेने में शामिल मांसपेशियों की गतिविधि में कमी आ जाती है, जो मोटर न्यूरॉन्स में रुकावट की वजह से होता है. स्लीप पैरालिसिस का अनुभव काफी डरावना और कन्फ्यूजिंग हो सकता है, खासकर तब, जब आप आपने कोई बुरी सपना देखा हो.अगर आप बहुत ज्यादा स्ट्रेस में हैं या जिंदगी के बुरे अनुभवों से गुजर रहे हैं, तो आपके स्लीप पैरालिसिस से गुजरने की ज्यादा आशंका होती है. जैसे, पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) वाले लोगों में स्लीप पैरालिसिस ज्यादा देखा जा सकता है.स्लीप पैरालिसिस अपने आप में आपके लिए उतना नुकसानदायक नहीं है. ऐसा बेहद कम होता है कि स्लीप पैरालिसिस का संबंध किसी गहरी मानसिक समस्या से हो. लेकिन बार-बार ऐसा होना नींद की किसी दिक्कत से जुड़ा हो सकता है जैसे नार्कोलेप्सी.दरअसल कोई भी व्यक्ति जब सोता है तब दिमाग शरीर और मन को शक्तिहीन कर देता है ताकि वह आराम कर सकें। ऐसे में कभी-कभी ऐसी स्थिति भी आ जाती है जब आपका दिमाग तो जाग जाता है लेकिन शरीर सोया हुआ रह जाता है। जब आपका दिमाग आपके शरीर से पहले जाग जाए तभी स्लीप पैरालिसिस की स्थिति उत्पन्न होती है। ज्यादातर लोगों में यह कुछ ही देर में अपने आप ठीक भी हो जाता है।

अंततः यही कहना है जो इस चीज से गुजरता है उसे ये किसी बुरे दुःस्वप्न से कम नही लगता जिसका अहसास आसानी से नही जाता।

Shiv Kumar Mishra

Shiv Kumar Mishra

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