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Suicide Helpline Numbers In India :भूले से भी आएं आत्महत्या का विचार तो डॉक्टर से ले सलाह

- अस्पताल में आ रहे डिप्रेशन के मरीजों में से 20 से 25 मरीजों में आ रहे होते हैं आत्महत्या के विचार
- मार्च से अब तक नींद ना आना, एंजाइटी, डिप्रेशन से जुड़े 1600 से मरीजों की हो चुकी है काउंसलिंग
बरेली: हमारे आस पास हमेशा एक जैसी परिस्थितियां नहीं होती हैं। कभी कुछ जिंदगी में बहुत अच्छा चल रहा होता है और कभी वह दौर आ जाता है जिसमें हमें नकारात्मक विचार घेर लेते हैं और कभी-कभी इसी का नतीजा होता है कि इंसान हर तरफ से निराश हो जाता है और उसे सिर्फ आत्महत्या ही एक आखरी रास्ता दिखाई देता है पर वास्तविकता यह है कि अपनी जिंदगी को खत्म करना और अपनों से दूर जाना सबसे ज्यादा गलत साबित होता है। बरेली के मानसिक रोग विभाग में हर माह करीब 400 से 450 डिप्रेशन के मरीज पहुंच रहे हैं हैं। जिसमें से करीब 15 से 25 ऐसे मरीज आते हैं जिनके मन में आत्महत्या करने के विचार आ रहे होते हैं लेकिन दवाओं और काउंसलिंग में वह बिल्कुल ठीक हो जाते हैं।
मानसिक रोग विभाग के मनोचिकित्सक डॉक्टर आशीष कुमार ने बताया कि डिप्रेशन के अलग-अलग कारण होते हैं । मुख्य रूप से देखा जाए तो इन कारणों में घरेलू अनबन, करियर की टेंशन, पढ़ाई की टेंशन, सक्सेस ना मिलने की टेंशन, लवलाइफ में उथल-पुथल, ऑफिस का दबाव और कभी-कभी अपने बारे में गलत अफवाह और कानाफूसी के चलते भी इंसान डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। कभी-कभी इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं जो केवल पीड़ित इंसान ही बता सकता है। उन्होंने बताया 2 माह में 5 ऐसे मरीज आए जिनके मन में आत्महत्या करने के विचार बहुत तेजी से आ रहे थे जिसके कारण कुछ भी बुरा हो सकता था लेकिन ऐसे मरीजों को जिला चिकित्सालय बरेली में भर्ती करके इलाज करने के साथ-साथ काउंसलिंग ने भी बहुत अच्छा असर दिखाया।
डॉ. आशीष ने बताया कि डिप्रेशन में जाने के बाद इंसान अकेले रहना शुरू कर देता है और उसे लोगों से अपनी समस्याओं को बताने में भी हिचकिचाहट होने लगती है। वहीं संवेदनहीनता के कारण कुछ लोग इनकी बातें सुनना नहीं चाहते हैं या इनकी बातों का मजाक उड़ाते हैं । जब आस-पास या करीबी अपने साथ रहने वाले की परेशानी और स्थिति को समझ ही नहीं पाते और इंसान इस वजह से भी ज्यादा टूट जाता है। यह बातें धीरे-धीरे दिमाग पर इतनी हावी हो जाती हैं कि डिप्रेशन से जूझ रहे व्यक्ति को इस दुनिया में जीना अच्छा नहीं लगता है। गंभीर डिप्रेशन के 95% मरीजों को काउंसलिंग और दवा से बहुत फायदा होता है।
अच्छे दोस्तों से करे बात...
मानसिक रोग विभाग की काउंसलर खुश अदा ने बताया कि आप डिप्रेशन से जूझ रहे हैं तो अपने अच्छे दोस्तों से मिले या उन्हें फोन करके उनसे अपने मन की बात कहे। अपने परिवार के साथ समय बताएं , बच्चों से बातें करें, समाज में लोगों की मदद करें और प्रकृति को महसूस करके पार्क में समय बिताने की कोशिश करें जिससे मन की नकारात्मकता खत्म होती है ।
कैसे पहचाने लक्षण...
अगर आपके घर का कोई सदस्य अचानक से ज्यादा अकेले रहने लगे, तनाव में रहने लगे या छोटी-छोटी बातों पर उसको गुस्सा आए, वह व्यक्ति बहुत अधिक सोने लगे यहां बहुत कम सोए , कभी वह खुद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करें तो समझ जाना चाहिए कि वह गंभीर डिप्रेशन का शिकार हो रहा है ऐसे में तुरंत ही मनोचिकित्सक के पास जाकर बरेली जिला जिला अस्पताल में चल रही क्राइसिस और मेंटल हेल्पलाइन में बात करके डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
डिस्ट्रिक्ट सुसाइड क्राइसिस हेल्पलाइन--07248215822
डिस्टिक मेंटल हेल्पलाइन--07248215822
लगातार डिप्रेशन के मरीजों को दी जा रही है सलाह ...
काउंसलर खुश अदा ने बताया कि मार्च से अब तक करीब 1600 मरीजों का फोन आ चुका है जिन्हें नींद ना आना, डिप्रेशन, एंजाइटी जैसी कुछ समस्याएं थी। कुछ मरीजों की फोन पर काउंसलिंग की गई और जिन की स्थिति थोड़ी गंभीर थी उन्हें अस्पताल में बुलाकर इलाज किया गया।