- होम
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- राष्ट्रीय+
- आर्थिक+
- मनोरंजन+
- खेलकूद
- स्वास्थ्य
- राजनीति
- नौकरी
- शिक्षा
- Home
- /
- मनोरंजन
- /
- लाइफ स्टाइल
- /
- मिठाई की दुकान और शो...
मिठाई की दुकान और शो केस को निहारती दो मासूम निगाहें
विनय मौर्या
मिठाई की दुकान और शो केस को निहारती दो मासूम निगाहें। पैरों में कोई चप्पल नहीं। वह मिठाई की दुकान के सामने सड़क से उन सभी लोगों की तरफ हसरत से देख रही थी। सहसा उसकी निगाह मुझसे टकराती है तो वह उंगलियों को सिकोड़ कर कौर जैसा बनाकर मुहं की तरफ ले जाती है। मने मुझे भूख लगी है।
ईसे देखा तो करीब बुलाकर पूछा क्या...बाबू...क्या चाहिए..? वह हाथ में पड़े सिक्के की तरफ देखने लगी।
मैंने पूछा मिठाई खाना है...? तो उसने हां में गर्दन हिलाते हुए सबसे बड़ी छेने की मिठाई की तरफ इशारा कर दिया। यही कोई 25 रुपये पीस। मैंने दुकानदार से मिठाई लेकर उसे दिया और निकल लिया।
रुकिए मैंने सिर्फ यह बताने के नहीं किया है।
इस बच्ची की यहीं छोड़ते हैं।आगे की कहानी सुनिये।
8 साल पूर्व एक दिन रास्ते में आते वक्त हाथ देकर एक व्यक्ति रोक लिया। हाथ में सूटकेस साथ में एक महिला एक बच्ची। उनकी व्यथा की फला जगह आयें थे। मेरे साथ यह घटना हो गयी अब मुझे पंजाब जाना है जेब में पैसे नहीं है। बच्चा भी भूखा है। मैं चाहता तो 100, 50 देकर पीछा छुड़ा लेता। मगर बात भूख की थी तो मैंने एक दुकान पर उन्हें भरपूर नाश्ता कराया। और बजाय पैसा देने के एक ऑटो रिजर्व किया कि चलिए छोड़ दूं। वहीं टिकट कटा दूंगा। बैठने को तो वह बैठ गयें मगर कैंट स्टेशन जाकर वह टिकट की बजाय पैसे मांगने लगें।
मैंने उनसे कहा कि सुनो मुझे पहले ही पता था कि तुम लोग पेशेवर हो। क्योंकि जम्मू से लेकर बनारस तक ऐसे कई बार पर्स खो गया। ये हो गया करके हजारों रुपये गंवा चुका हूं। मगर फिर भी कोई हकीकत में मजबूर व्यक्ति मदद से वंचित न रह जाये इसलिए रुकता जरूर हूँ।
अगर थोड़ी भी शर्म होगी तो यह इमोशनल ब्लैकमेलिंग वाला काम बंद करो। वह सब मुहं लटका कर निकल लिए। ऐसे दर्जनों बार राह चलते मदद के नाम पर दे देता और दूसरे दिन वह फिर झोला लेकर दिखाई पड़ते थे।
दूसरा प्रकरण।
यही कोई साल भर पहले बनारस के कचहरी चौकी के पास झुल्लन प्रसाद के बाहर खड़ा था। देखा सिक्कों की टन्न टन्न की आवाज आ रही पीछे देखा तो एक कोने में मुहं में गुटखा जमाये पांच से दस साल के बच्चे सिक्के से जुआ खेल रहे थे। मैं नजदीक गया तब तक वह खेल में मग्न थें। सबके पास ढेर सारे सिक्के मैं वीडियो बनाने लगा। मुझे रिकॉर्डिंग करते देख एक ने दूसरे को कुहनी मार कर इशारा किया। तब सब मुझसे चेहरा छुपाते हुए नाराजगी जाहिर करते हुए कहने लगें की वीडियो मत बनावा।
यही सब लड़के फ़टे चिथड़े पहनकर कचहरी के आसपास भीख मांगते हैं। और उसी से नशा जुआ करते हैं।
मैंने उसके बाद से भीख मांगते छोटे बच्चों को भले ही महंगे खाने पीने का सामान दिला दूँ। मगर पैसा एक नहीं देता हूं।
आप सब भी ऐसा किया करिये ताकि बाल भिक्षावृत्ति की कमर टूटे। आप दो पांच रुपये देने की बजाय उसके पसन्द और अपने बजट की चीजें खरीदकर दे दें।
क्योंकि बनारस समेत कई जगहों पर बच्चों से भिक्षाटन अब पेशेवराना रूप में है।
हां पेन गुब्बारे जैसा सामान बेचने वालों से उसका सामान खरीद लेता हूं। मुझे लगता है कि कम से कम यह भीख तो नहीं मांग रहे हैं।
विनय मौर्या।