- होम
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- राष्ट्रीय+
- आर्थिक+
- मनोरंजन+
- खेलकूद
- स्वास्थ्य
- राजनीति
- नौकरी
- शिक्षा
- Home
- /
- मनोरंजन
- /
- लाइफ स्टाइल
- /
- हैक किए जा सकेंगे आपके...
हैक किए जा सकेंगे आपके 'सपने', वैज्ञानिकों ने बनाया अनोखा डिवाइस
नई दिल्ली: कहते हैं हमारे सपनों पर किसी का बस नहीं चलता और वे सिर्फ हमारे होते हैं। बेशक खुली आंख से जो सपने आप देखते हैं, वो सिर्फ आपके हों लेकिन बंद आंखों से देखे जाने वाले सपने अब हैक किए जा सकेंगे। गहरी नींद में दिखने वाले सपनों का असली दुनिया से कोई संबंध नहीं होता, ना ही इनका असर आपकी जिंदगी पर पड़ता है और ना ही इन्हें कंट्रोल किया जा सकता है। अब कुछ MIT इंजिनियर्स अपनी थ्योरी के साथ ऐसी टेक्नॉलजी पर काम कर रहे हैं, जिसकी मदद से सपनों को हैक किया जा सकेगा और उनमें बदलाव भी किया जा सकेगा।
ज्यादातर वैज्ञानिकों का मानना है कि नींद में दिखने वाले सपनों का लोगों की जिंदगी पर कोई असर नहीं पड़ता लेकिन 2017 में लॉन्च MIT की ड्रीम लैब का ओपीनियन इससे अलग है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सपनों में बदलाव कर लोगों के उन कामों को बेहतर किया जा सकता है, जो वे नींद से जागने के बाद करते हैं और कई तरह से इसका असर हमारी जिंदगी पर पड़ता है। ड्रीम लैब रिसर्चर एडम होरोविट्ज ने कहा, 'लोग नहीं जानते कि उनकी जिंदगी के एक तिहाई वक्त (जो वे सोते हुए बिताते हैं) में लोग अपने आप को और जिंदगी को बेहतर बना सकते हैं।'
डिवाइस से बेहतर होगा परफॉर्मेंस
एडम ने कहा, 'अगर आप मेमरी ऑगमेंटेशन या क्रिएटिविटी ऑगमेंटेशन की बात करें या फिर अगले दिन अपने मूड और परफॉर्मेंस पर गौर करें तो इनका संबंध सपनों से होता है और ये चीजें आपकी जिंदगी में महत्वपूर्ण हैं।' स्टडी में पाया गया है कि सपनों का असर लोगों की जिंदगी पर पड़ता है और खास डिवाइस की मदद से सपनों में आवाज और खुशबू को शामिल किया जा सकता है। सोने और जागने के बीच की स्थिति hypnagogia के दौरान सेंसर्स की मदद से सपनों में इनपुट्स डाले जा सकेंगे, जिनसे जागने के बाद बेहतर प्रतिक्रिया मिले। टेस्ट में सामने आए रिजल्ट भी पॉजिटिव दिखे हैं।
सपनों में डालें खुशबू और आवाजें
साउंड इनसर्टिंग डिवाइस दरअसल एक दस्ताने जैसा है और एक्सपेरिमेंट के दौरान इसकी मदद से सोने जा रहे सब्जेक्ट्स के दिमाग में 'टाइगर' वर्ड डाला गया। बदले में सामने आया कि सब्जेक्ट का क्रिएटिव परफॉर्मेंस पहले से बेहतर हुआ, जो MIT ड्रीम टीम की थ्योरी को साबित करता है। साउंड ग्लव की तरह ही स्मेल इनसर्टिंग वियरेबल डिवाइस से खुशबू को सपनों का हिस्सा बनाया जा सकता है। वैज्ञानिकों की टीम का मानना है डरावने सपने देखने वालों को इससे राहत मिल सकती है। टीम सपनों में बदलाव करने से जुड़े इस टेक पर आगे भी काम कर रही है और इसे बेहतर बनाया जा रहा है।