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मशहूर तरक्की पसंद शायर, नगमा निगार व पटकथाकार कैफी आजमी का असली नाम अखतर हुसैन रिजवी था
कैफी आजमी के पैतृक निवास फतेह मँजिल .मिजवां आजमगढ़ मे शारिक रब्बानी फिल्म अभिनेत्री फारूख जफर के साथ . .फोटो
फिल्म जगत से जुडे मशहूर तरक्की पसंद शायर .नगमा निगार व पटकथाकार कैफी आजमी का असली नाम अखतर हुसैन रिजवी था और उनका जन्म 14 जनवरी सन 1919 को आजमगढ़ के एक गाँव मिजवां मे हुआ था । कैफी आजमी के बचपन मे चूंकि कैफी आजमी के पिता सैययद फतेह हुसैन रिजवी जिला बहराईच मे कसबा नानपारा के समीप ताललूका नवाबगंज आलिया बाद मे नवाब कजलबाश के दौर मे तहसीलदार थे और वह परिवार सहित शहर बहराईच के मोहल्ला काजीपुरा मे रहते थे । इसलिये कैफी आजमी के बचपन के कुछ साल बहराईच मे गुजरे । और कैफी आजमी ने अपनी पहली गजल 11साल की अल्प आयु मे बहराईच की धरती पर एक मुशायरे मे पढी ।जिसमे मशहूर शायर शौक बहराईची के अलावा बहराईच .नानपारा .जरवल ओर गोणडा के बहुत से शायर मौजूद थे । जिस की कुछ पँकतियाँ इस प्रकार है ..... ... . .. . इतना तो जिँदगी मे किसी के खलल पडे । . ...हँसने से हो सुकून न रोने से कल पडे ।। . .. .....जिस तरह हँस रहा हूँ मै पी पी के गर्म अशक । यूँ दूसरा हँसे तो कलेजा निकल पडे ।। . . . ये गजल .बहुत पसंद की गई और मलका तरन्नुम बेगम अख्तर ने भी इसे अपनी आवाज दी ।
कैफी आजमी कमयुनिसट पार्रटी आफ इण्डिया के सँसथापक सदस्य और सबसे पहले इँकलाब जिँदाबाद का नारा देने वाले मशहूर सवतँत्रता सेनानी .व शायर मौलाना हसरत मोहिनी से प्रभावित होकर कमयुनिसट मूवमेंट से जुडे थे और वह सदैव प्रगतिशील विचार और कमयुनिसट विचार धारा पर ही कायम रहे । कैफी आजमी जिनकी हैदराबाद मे आयोजित उर्दु की तरक्की पसंद मुसन्निफीन कानफ्रेंस मे पहली बार शौकत खानम से हुई थी और दोनों एक दूसरे की तरफ आकर्षित हुए थे।आगे चलकर शौकत खानम से ही उनकी शादी हुई । जिनसे उनकी दो औलादें हुई । शबाना आजमी और अहमर आजमी जो बाबा आजमी के नाम से जाने जाते है ।
शबाना आजमी फिल्म जगत की मशहूर अभिनेत्री और बाबा आजमी फिल्मों से जुडे मशहूर फोटोग्राफर है । बाबा आजमी और शबाना आजमी ने एक फिल्म जो कैफीआजमी की इस खवाहिश से जुडी है कि उनके गाँव मिजवां मे भी कोई फिल्म बने । मीरकसम के नाम एक फिलम बनाई है जिसकी अधिकाशं शूटिंग मिजवां मे ही हुई है । मीरकसम मे शबाना आजमी के वर्रकर खास गोपाल सुवेदी की बेटी आदित्यी ने गांव की बेटी के रूप मे मुख्य नायिका का रोल अदा किया है । इसके अ लावा दानिश हुसैन . नसरूद्दीन शाह . मोहतरमा फारूख जफर आदि ने भी काम किया है । मीरकसम की शूटिंग के समय मुझे.भी एक दिन मिजवां मे उपस्थित रहने का सौभाग्य प्राप्त है ।
मिजवां जैसे छोटे गाँव मे कैफीआजमी ने तरक्की के बहुत से काम किये है । और मिजवां की तरक्की के लिये उन्होंने बहुत सी कठिनाइयों का सामना भी किया ।प्रन्तु वह कभी हतोत्साहित नही हुए । मिजवां की तरक्की से जुडे व अन्य प्रगतिशील कार्य मे कामरेड हरिमन्दिर पाण्डेय जो उसी क्षेत्र से ताललुक रखते है ।हमेशा कैफीआजमी के साथ रहे । मिजवां मे आज सडक .पोसट आफिस .अस्पताल . कालेज .कमपयूटर सेटर .और महिलाओं के लिए सिलाई कणा केंद्र आदि जो कु छ भी है । कैफी आजमी . उनकी बेटी शबाना आजमी . पुत्र बाबा आजमी अर्थात कैफी परिवार की ही देन है । . कैफी आजमी मानवता वादी दृष्टि कोण रखते थे । उनकी नजमे और गीतों आदि को बहुत पसंद किया जाता है ।
उदाहरण सवरूप कैफी आजमी की नजमो की कुछ पँकतियाँ प्रस्तुत है
.........1.... आज की रात बहुत गर्म हवा चलती है । . आज की रात न फुटपाथ पे नींद आयेंगी । ... सब उठो .मै भी उठूँ . तुम भी उठो . तूम भी उठो । .. कोई खिडक़ी इसी दीवार मे खुल जायेगी ।
....2...अपनी लाश आप उठाना कोई आसान नहीं । .. दसत ए बाजू मेरे नकारा हुए जाते है । .. ... . ....जिनसे हर दौर मे चमकी है तुम्हारी दहलीज़ । . . .आज सजदे वही आवारा हुए जाते है । .. .. ..
कैफीआजमी ने शोला व शबनम . हकीकत . हीर राँझा. कागज के फूल .शमाँ सहित अनेक फिल्मों मे गीत आदि लिखे है । तथा आपकी प्रमुख पुस्तकें . आवारा सजदे . झँकार . आखिरी शब . मेरी आवाज सुनो आदि है । कैफी आजमी को महाराष्ट्र उर्दु अकादमी अवार्ड ..सोवियत लैणड नेहरू अवार्ड.. साहित्य अकादमी अवार्ड . हिंदी उर्दु साहित्य अवार्ड .फिल्म फेयर अवार्ड व अन्य राष्ट्रीय पुरस्कार व सम्मान के अतिरिक्त सन.1974 मे पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया है । कैफीआजमी का देहांत 10 मई 2002 को मुम्बई मे हुआ ।
.. शारिक र ब्बानी .. . वरिष्ठ उर्दु साहित्यकार .. . . नानपारा . बहराईच .उत्तर प्रदेश ।