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बिहार में भ्रष्टाचार को लेकर अभी तक की सबसे छापेमारी
जहां तक मुझे याद है बिहार में भ्रष्टाचार को लेकर अभी तक जितनी भी छापेमारी हुई है उनमें से किसी के पास से दो करोड़ रुपया कैश बरामद नहीं हुआ है जबकि बिहार में पूर्व डीजीपी से लेकर बड़े से बड़े अधिकारी और इंजीनियर के घर छापेमारी हो चुकी है।
बरामद कहां से हो रहा है शिक्षा के मंदिर से जी हैं, आपके लिए यह आश्चर्य की बात हो सकती है लेकिन मेरा अनुभव कहता है शिक्षा के मंदिर में जिस तरीके का भ्रष्टाचार है किसी और संस्थान में नहीं है खास करके उच्च शिक्षा के क्षेत्र में। जब से मैं पत्रकार बना हूं दो विषय मेरे पसंद का रहा है पहला अपराध और दूसरा शिक्षा और यही वजह है कि आज मेरे मित्रों में सबसे अधिक पुलिस वाले हैं या फिर प्रोफेसर और सबसे ज्यादा मुझसे पीड़ित भी यही दो वर्ग है।बात उन दिनों की है जब मैं रोसड़ा अनुमंडल से दैनिक जागरण के लिए खबर भेजता था मेरे यहां एक संस्कृत कॉलेज है उसमें पढ़ाने वाले शिक्षक में एक हमारे पुरोहित भी थे एक दिन उनका बेटा मेरे पास आया जजमान(हमारे घर पूजा कराते थे इसलिए मैं उनका जजमान हुए ) मेरे पापा के साथ बहुत अन्याय हो रहा है पांच वर्ष से वेतन नहीं मिल रहा है और फर्जी तरीके से बहाल प्रोफेसर जो दरभंगा में रहता है एक दिन भी रोसड़ा संस्कृत कॉलेज नहीं आते हैं और वो वहीं से वेतन उठा लेते हैं ।
मैं संस्कृत कॉलेज में प्रोफेसर बहाली की पूरी फाइल को पढ़ा उसी दौरान एक प्रोफेसर की नियुक्ति 26 जनवरी को हुआ जबकि वह दिन राष्ट्रीय छुट्टी का होता है ।फिर पूरी बहाली प्रक्रिया से जुड़ी फाइल पढ़ने के बाद सीरीज में खबर चलाने लगे कैसे कैसे लोग प्रोफेसर बन रहे हैं पीजी बाद में पास किये प्रोफेसर पहले बन गये ।
खुब हंगामा हुआ एक दिन दैनिक जागरण के पटना दफ्तर से फोन आया आप कल पटना पहुंचिए दो दिन बाद आफिस पहुंचे उस व्यक्ति का नाम याद नहीं है लेकिन वो प्रादेशिक डैक्स के प्रभारी थे काठ वाले कुर्सी पर वो बैठते थे जैसे मैंने कहां सर मैं संतोष रोसड़ा से आया हूं इतना सुनते ही वो भड़क गये और मेरा क्लास लगाना शुरु कर दिये मैं हैरान था आखिर इनको हो क्या गया ।
खैर उसके कुछ दिनों बाद ही मेरा ईटीवी में हो गया और मैं जागरण छोड़ दिया। ईटीवी में मेरी पोस्टिंग दरभंगा हुई, दरभंगा में दो विश्वविद्यालय है एक ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय और दूसरा महाराजा कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय और एक दरभंगा मेडिकल कॉलेज के साथ साथ तीन डेंटल कॉलेज था । उस समय के विधान पार्षद निलाम्बर चौधरी के इच्छा के विपरीत उन दोनों विश्वविद्यालय में पत्ता नहीं हिलता था, वही रंजीत डॉन जो दरभंगा मेडिकल कॉलेज का ही छात्र था और वह मेडिकल कॉलेज में नामांकन के ठेका वहीं से शुरू किया था ।वही डेंटल कॉलेज का कहना ही क्या था वहां तो कश्मीरी बच्चों का शारीरिक और मानसिक और आर्थिक शोषण का केंद्र बन गया था ये सारे कॉलेज ।
ऐसे में मेरे लिए पर्याप्त मटेरियल मौजूद था बम फोड़ने के लिए इसी दौरान एक दिलचस्प खबर मेरे हाथ आ गया निलाम्बर चौधरी जी का एक रिश्तेदार विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर था उन्होंने पीएचडी राजेन्द्र प्रसाद पर किया था और उनसे जुड़े कई आर्टिकल प्रकाशित हो चुका था जिसके आधार पर उनका प्रमोशन हुआ था ,ये जनाब जिस आर्टिकल के प्रकाशन के सहारे प्रमोशन पाये थे वो आर्टिकल हुबहु दिल्ली विश्वविद्यालय के किसी प्रोफेसर के आर्टिकल से चुरा कर अपने नाम से छपवा लिया थे इस खबर को मैं पूरी प्रमुखता से चलाया।
चलने के बाद बड़ा बवाल मचा और मेरे बारे में खोजबीन शुरू हुई यह कौन है इसी दौरान रंजीत डॉन के टीम पर भी हाथ डाल दिए वहां तो जान जाते जाते बची लेकिन हार नहीं माने दरभंगा मेडिकल कॉलेज कैम्पस में जो परीक्षा होती थी वह सेंटर टूट गया और डेंटल कॉलेज वाले को तो नानी याद आ गयी ।
खैर इस दौरान पता चला कि बिहार के उच्च शिक्षा का हाल कितना बुरा है किस तरीके से अनपढ़ लोगों को प्रोफेसर बनाया गया आप सोच नहीं सकते हैं कई प्रोफेसर ऐसे मिले वो अपने विषय का नाम भी ठीक से नहीं लिख पा रहे थे जिस विषय से वो डॉक्टर किये हुए थे
यह सब चल ही रहा था कि एक दिन माफिया तत्व मेरे संस्थान पर भारी पर गया और मेरा तबादला दरभंगा से शिवहर करवा दिया लेकिन संस्थान के किसी सीनियर अधिकारी को इस खेल की जानकारी मिल गयी और मेरा तबादला शिवहर को रद्द करते हुए पटना कर दिया ।पटना की कहानी कुछ और ही है इस बीच ईटीवी से कशिश में आ गये और आते ही एक अच्छा ब्रेक मिल गया 2014--2015 में जेपी विश्वविद्यालय के कुलपति हुआ करते थे डां द्विजेन्द्र कुमार गुप्ता ये जनाब भी यूपी के रहने वाले थे उन्होंने भी मगध विश्वविद्यालय के कुलपति की तरह अपने रिश्तेदार के नाम फर्जी कंपनी बना कर उस परीक्षा की कॉपी सप्लाई करने का ठेका दे दिया और करोड़ों रुपया खा गया खबर चलाना शुरु किये निगरानी में केस हुआ अंत में राजभवन को हटाना पड़ा। इसके कुछ दिनों के बाद ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति साकेत कुशवाहा के कारनामे सामने आने लगे हैं जहां देखिए फर्जी ही फर्जी है ।यह मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति अरविंद अग्रवाल के बारे में जानकारी मिली कि ये जनाब भी फर्जी डिग्री के सहारे भीसी बने हुए है चला सीरीज में खबर अंतत इनको रिजाइन देकर जाना पड़ा जांच में फर्जी डिग्री की बात सही साबित हुई ।
वर्तमान में अभी जो वीसी हैं कहां जाता है कि ये कुमार विश्वास के भाई है इनकी डिग्री को लेकर भी रोजाना वहां से फोन आता है एक बार आकर इसका भी ऑपरेशन करिए इसी केन्द्रीय विश्वविद्यालय में एक शिक्षक की नियुक्ति हुई थी जब इनके भी डिग्री को लेकर बवेला मचना शुरू हुआ तो बिहार सरकार उनको पुरस्कार स्वरूप बीपीएससी का सदस्य बना दिया ।
मतलब उच्च शिक्षा में जहां आप हाथ डालिएगा वही आपको आकंठ भ्रष्टाचार मिलेगा मेरा अनुभव यही है कि उच्च शिक्षा से जुड़े भ्रष्ट लोग जितना दुस्साहसी होता है किसी दूसरे विभाग में आपको नहीं मिलेगा सब कुछ खुल्लम खुला चलता है और इस खेल में राजभवन से लेकर सरकार तक शामिल है
इसी सरकार में यूपी मांडल का प्रवेश हुआ और एक रणनीति के तरह बिहार के लोगों को कुलपति बनने से रोका गया ताकि हर पद पर बोली लगाने में कोई कठिनाई ना हो और इस मॉडल ने बिहार के उच्च शिक्षा को और भी गर्त में मिला दिया ।मगध विश्वविद्यालय के कुलपति के घर से दो करोड़ कैश के साथ साथ करोड़ो के निवेश का कागजात भी बरामद होता है और अभी छापामारी चल ही रही है ऐसे में सवाल उठना तो लाजमी है ना शिक्षा के मंदिर के पुजारी के घर लक्ष्मी क्या करने पहुंच गई ।
एक चोर रहे तब ना जेपी विश्वविद्यालय के जिस कुलपति के खिलाफ निगरानी जांच हुई जांच में कांपी घोटाले में जिस प्रोफेसर को दोषी पाया गया रवि प्रकाश बब्लू कोर्ट से जमानत पर है उसको राजभवन जेपी विश्वविद्यालय का रजिस्ट्रार बना दिया है ।'बर्बाद गुलिस्तां करने को बस एक ही उल्लू काफी है यहां तो हर शाख पे उल्लू बैठा है अंजाम ऐ गुलिस्तां क्या होगा।