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एबीवीपी के छात्र मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जज की गाड़ी छीनकर ले गए, अब शिवराज सिंह ने पत्र लिख छात्रों के लिए मांगी मांफी
मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में अखिल भारतीय विधार्थी परिषद के छात्र मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के जज की गाड़ी ड्राइवर से छीन ले गए। छात्र गाड़ी छीनकर शिवपुरी ज़िले की पीके यूनिवर्सिटी के आकस्मिक बीमार कुलपति को लेकर अस्पताल भाग गए। लेकिन बीमार कुलपति को बचाया नहीं जा सका
घटना की जानकारी जब ड्राइवर द्वारा मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के जज को दी कुछ लड़के मुझसे गाड़ी छीनकर ले गए। उसके बाद हाईकोर्ट जज के ड्राइवर ने तुरंत ही इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने इस कार को अस्पताल परिसर से बरामद कर लिया। यह बात और है कि इसके बावजूद प्रोफेसर रणजीत सिंह यादव को बचाया नहीं जा सका। उनकी इलाज के दौरान मौत हो गई. इस बीच पड़ाव पुलिस ने हिमांशु और सुकृत के खिलाफ डकैती का मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। फिलहाल दोनों आरोपी अस्पताल में अपना इलाज करा रहे हैं।
जमानत के दौरान जज ने कहा
विशेष न्यायालय डकैती अधिनियम संजय गोयल की अदालत ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं हिमांशु और सुकृत को फिलहाल जमानत देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि ''एबीवीपी के कार्यकर्ताओं के कृत्य को कतई न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता. जब रेलवे स्टेशन पर गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस आ चुकी थी, तब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं को हाई कोर्ट जज के ड्राइवर से कार की चाबी छीन कर उसमें मरीज को ले जाना कतई उचित नहीं कहा जा सकता.''
एंबुलेंस आने में हुई देर, जज की ले गए कार: इसलिए एबीवीपी के कार्यकर्ताओं हिमांशु और सुकृत को जमानत का लाभ देने से इनकार करते हुए विशेष न्यायालय ने उनके जमानती आवेदन को खारिज कर दिया है. गौरतलब है कि तीन दिन पहले ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर दिल्ली की और से आ रहे प्रोफेसर रणजीत सिंह यादव की अचानक तबीयत खराब हो गई थी. मौके पर मौजूद एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने जब काफी देर तक पुलिस और एंबुलेंस का इंतजार किया और एंबुलेंस आने में देरी हुई तो उन्होंने रेलवे स्टेशन के पोर्च में खड़ी हाई कोर्ट जज की कार के चालक से चाबी छीन ली और उसमें गंभीर रूप से बीमार मरीज को अस्पताल ले गए.
अब इस घटना को लेकर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक पत्र लिखकर क्षमा याचना की बात की है। उन्होंने जबलपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर कहा है कि छात्रों की मंशा गाड़ी छीनने की नहीं रही उन्होंने आपातकाल में यह कदम उठाया है। छात्रों के जीवन का सवाल है इस लिहाज से उन्हे क्षमा किया जाए साथ ही उनके खिलाफ दर्ज केस को वापस लिया जाए।
अब देखना होगा कि छात्रों को न्याय मिलेगा या नहीं।