भोपाल

कांग्रेस का एक और विधायक भाजपा में हुआ शामिल

अरुण दीक्षित
24 Oct 2021 6:21 PM IST
कांग्रेस का एक और विधायक भाजपा में हुआ शामिल
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खण्डवा लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले बड़वाह विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक सचिन बिरला ने लोकसभा चुनाव प्रचार कर रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने "आत्मसमर्पण" किया

अरुण दीक्षित

भोपाल: देश को कांग्रेस मुक्त करने की मुहिम चला रहे भाजपा नेतृत्व ने रविवार को मध्यप्रदेश में कांग्रेस के एक और विधायक को "आत्मसात" कर लिया।खण्डवा लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले बड़वाह विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक सचिन बिरला ने लोकसभा चुनाव प्रचार कर रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने "आत्मसमर्पण" किया।

एक चुनावी सभा के मंच पर हुए इस "मधुर मिलन" को बड़ी संख्या में लोगों ने देखा।

अपने विधायकों के पाला बदलने के अभ्यस्त हो चुके कांग्रेस नेतृत्व ने अपनी रटी रटाई प्रतिक्रिया दोहराई है।पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा है-जो बिकाऊ है वह बिकेगा!जो टिकाऊ है वो टिकेगा!जबकि प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भाजपा के चरित्र पर ही सवाल उठाया है।

अंदरूनी सूत्रों के मुताविक कांग्रेस के विधायक सचिन बिरला के भाजपा में शामिल होने की स्क्रिप्ट बहुत पहले तैयार हो चुकी थी।लेकिन उपचुनाव में कांग्रेस को बड़ा झटका सावित करने लिए मतदान के 6 दिन पहले मुख्यमंत्री की मौजूदगी में उन्हें शामिल कराया गया।बताया गया है कि सचिन बिरला किसी गैरकानूनी दांव में फंसे हुए हैं।उससे बचने के लिए उन्होंने कानून का पालन कराने वालों का दामन थामा है।

बिरला ने 2013 का विधानसभा चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लड़ा था।बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए थे।वह कांग्रेस में वाया दिल्ली आए थे।लेकिन जाते समय बड़वाह के रास्ते चले गए।

सचिन बिरला कांग्रेस के पच्चीसबें विधायक हैं जिन्होंने बीच रास्ते में दलबदल किया है।जनवरी 2020 में जब कमलनाथ सरकार लड़खड़ाई थी तब कुल 16 कांग्रेस विधायक बागी हुए थे। ये सभी ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक थे।लेकिन अगले दो महीने में दिग्विजय खेमे के 6 अन्य विधायक उंनसे जा मिले।20 मार्च को जब कमलनाथ ने मुख्यमंत्री का पद छोड़ा तब उनके विधायकों की संख्या 90 रह गयी थी।उपचुनाव के बाद यह संख्या 95 पहुंच गई थी।फिलहाल सदन में कांग्रेस के 94 सदस्य बचे हैं।जबकि सचिन बिरला को मिलाकर भाजपा 126 के आंकड़े पर पहुंच गई है।

अपने एक और विधायक के टूटने पर कमलनाथ ने ट्वीट करके कहा है---भाजपा ने सौदेबाज़ी व बोली से प्रदेश में अपनी सरकार बनायी क्योंकि जनता ने तो उन्हें चुनावों में नकार दिया था।

अब प्रदेश में हो रहे इन चार उपचुनावों में भी भाजपा ने जनता का मूड देख लिया है।उसे संभावित परिणाम का अंदाज हो गया है।इसलिये वह अपनी सरकार व खोये जनाधार को बचाने के लिये एक बार फिर सौदेबाज़ी कर प्रदेश की राजनीति को कलंकित करने में व लोकतंत्र में जनता को मिले वोट के अधिकार का अपमान करने में लग गयी है।वह चाहे जो भी कर ले जनता सब समझ रही है।इसका उत्तर जनता ही देगी।

उधर दिग्विजय सिंह ने कहा है-जो टिकाऊ है वो टिकेगा और जो बिकाऊ है वह बिकेगा।

कांग्रेस के तेजतर्रार प्रवक्ता के के मिश्रा ने पार्टी छोड़ने वाले नेताओं की तुलना वेश्याओं से की है।उंन्होने कहा है-अगर राजनीतिक वेश्याओं को देखना है तो उसके लिए मध्यप्रदेश सबसे मुफीद जगह है।

उल्लेखनीय है कि इस समय मध्यप्रदेश में उपचुनाव चल रहे हैं।एक लोकसभा और तीन विधानसभा क्षेत्रों में 30 अक्तूबर को वोट डाले जाएंगे।अब एक और उपचुनाव होगा।प्रदेश की वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल दो साल बचा है।

कमलनाथ सरकार गिराने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक राज्यसभा सीट के लिए अपने विधायकों से इस्तीफ़ा दिलवाया था।हालांकि उनके सभी विधायक चुनाव नही जीत पाए।लेकिन भाजपा ने उन्हें राजयसभा सदस्य बना कर मंत्री भी बना दिया है।पर विधान सभा चुनाव हारे उनके "प्रिय" विधायक अभी तक पुनर्वास के लिए भटक रहे हैं।जबकि शिवराज सरकार बने डेढ़ साल से भी ज्यादा हो गया है।जहाँ तक सचिन बिरला का सवाल है,कहा जा रहा है कि सरकार ने उनके कुछ कारनामों पर अपनी नजर टेढ़ी की थी।इसलिये वह सीधे सरकार में ही जा पहुंचे हैं।देखना यह है कि आगे क्या होता है।

अरुण दीक्षित

अरुण दीक्षित

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