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- मध्यप्रदेश में सितंबर...
मध्य प्रदेश में रिक्त विधानसभा क्षेत्रों के उप चुनाव समय पर होंगे। सितंबर अंत तक इन्हें संपन्न करा लिया जाएगा। चुनाव समय पर हों, यही हमारी मंशा है। संवैधानिक स्थिति देखी जाए तो 6 महीने के अंदर चुनाव होते हैं और हुए हैं। लेकिन, किसी विपरीत स्थिति में हम राज्य सरकार से बात करेंगे।
यह बात मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने एमपी के उपचुनाव के संदर्भ में कही है।चुनाव आयोग की राजनीतिक दलों को सख्त हिदायत देते हुए कहा है कि कोरोना महामारी के बीच राजनीतिक दल बड़ी सभाएं करने से परहेज करें। मसलन आमतौर पर बड़े मैदानों में होने वाली सभाएं, जिसमें बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं।
किसी भी सार्वजनिक स्थल पर आमसभा का आयोजन किया जाता है तो मंच पर आसीन वक्ता और नीचे बैठने वाले लोग मास्क जरूर पहनें। बगैर मास्क के मीटिंग में उपस्थिति वर्जित हो। आमसभा में सोशल डिस्टेंस का पालन कराया जाए। यानी प्रत्येक व्यक्ति के बीच 2 मीटर की दूरी होना चाहिए, जिससे संक्रमण से बचा जा सके।
आमसभा का आयोजक राजनीतिक दल मीटिंग में जितने लोग भी आते हैं उनकी थर्मल स्क्रीनिंग करे। साथ ही जिस स्थल पर सभा का आयोजन किया जा रहा है उस स्थान और वहां पहुंचने वाले लोगों को सैनिटाइज किए जाने की व्यवस्था की जाए। ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। आयोग द्वारा जारी निर्देश में स्पष्ट कहा गया है कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 की सेफ्टी के लिहाज से दी गई गाइडलाइन का कठोरता से पालन करे।
ध्यान रहे कि मप्र में आगामी दिनों में 26 सीटों पर उपचुनाव होने है और इसको लेकर राजनीतिक दलों से उनकी राय भी मांगी है। 31 जुलाई तक राजनीतिक दलों से उनके सुझाव मांगे हैं। आयोग ने महामारी के चलते मप्र में होने वाले उपचुनाव की समय सीमा नहीं बताई है। बस इतना ही कहा है कि ये उपचुनाव 2020 में कराए जाना है। हालाकि राजनीतिक दलों ने तैयारियां अभी से शुरू कर दी हैं।
काबिलेगौर हो कि प्रदेश में जिन विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव होना है वहां के कलेक्टरों से निर्वाचन आयोग ने संक्रमित मरीजों की संख्या और आगामी दो महीनों में आंकड़ा कहां तक पहुंच सकता है इसकी रिपोर्ट मंगाई है। इसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि कोरोना संक्रमण के चलते चुनाव टल जाएंगे और स्थिति सुधरने पर ये दिसंबर में होंगे। फिलहाल, मुख्य चुनाव आयुक्त के बयान के बाद इन अटकलों पर विराम लगता दिख रहा है।
वे विधायक जो छोड़ चुके हैं कांग्रेस
इमरती देवी, राजवर्धन सिंह, रक्षा सरोनिया, महेंद्र सिंह सिसोदिया, ओपीएस भदौरिया, रनवीर जाटव, गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युम्न सिंह तोमर, रघुराज सिंह कंसाना, गिराज दंडोतिया, मुन्नालाल गोयल, जसमंत, मनोट चौधरी, ऐदलसिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह, प्रभुराम चौधरी, जजपाल सिंह, सुरेश धाकड़, कमलेश जाटव, तुलसी सिलावट, बृजेंद्र सिंह यादव, और हरदीप सिंह। ये 23 मार्च को कांग्रेस छोडक़र चले गए थे। पांच दिन पहले कुंवर प्रद्युम्न सिंह लोधी, सुमित्रा देवी कासडेकर भी भाजपा में आ गए थे।
दो सीटें विधायकों के निधन से खाली
मुरैना जिले की जौरा सीट से कांग्रेस विधायक बनवारी लाल शर्मा का 21 दिसंबर 2019 को निधन हो गया था। इसी साल 30 जनवरी को आगर-मालवा से भाजपा विधायक मनोहर ऊंटवाल का भी बीमारी के कारण निधन हो गया।
विधानसभा में स्थिति
मध्य प्रदेश विधानसभा में 230 सदस्य हैं।
इनमें 22 पहले ही इस्तीफा दे चुके। 2 का निधन हो चुका।
26 सीटें खाली होने से विधानसभा में कुल 204 सदस्य।
कांग्रेस के अब 90 विधायक हैं।
भाजपा के पास 107 विधायक हैं।
4 निर्दलीय, 2 बसपा और 1 सपा का विधायक।