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सीएम शिवराज को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, हटाने होंगे चार मंत्री
संजय रोकड़े
मध्य प्रदेश में भाजपा और शिवराज सरकार की मुश्किलें कम होने की बजाय लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। बड़ी मुश्किल का सामना कर जैसे तैसे जोड़ तोड़ कर 84 दिन बाद मंत्रिमंडल का विस्तार किया तो अब कानूनी पेचीदगियों ने एक बार फिर संकट खड़ा कर दिया है।
सब को साधने सब को खुश करने के चक्कर में पहले से ही भाजपा में अंतर कलह चल रहा है और अब ये नया संकट फिर आ खड़ा हुआ है।
इस बार मामला और भी संगीन है क्योंकि शिवराज सरकार को मंत्रिमंडल की संख्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट से संविधान के उल्लंघन का नोटिस जो मिल गया है। फिलहाल भाजपा के सामने स्थिति ऐसी बन गयी है कि न निगलते बन रहा है और न ही उगलते बन रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल की संख्या पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस को नोटिस जारी किया है।
ये नोटिस पूर्व विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति की याचिका के तहत भेजा गया है। नोटिस में कहा गया है कि संविधान के मुताबिक विधानसभा के कुल सदस्यों का 15% तक ही मंत्री हो सकते हैं। मध्य प्रदेश में अभी 206 सदस्यों की विधानसभा है लिहाजा 31 मंत्री ही हो सकते थे लेकिन 34 बना दिए गए।
ऐसा कर के भाजपा की शिवराज सरकार ने संविधान का उल्लंघन किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सीएम शिवराज और सीएस इकबाल सिंह को नोटिस जारी कर दिया है।
इस मामले में अगर जानकारों की मानें तो मंत्रिमंडल विस्तार में हर गुट को साधने के चक्कर मे भाजपा ने प्रदेश में यह संवैधानिक भूल की और दूसरी ओर कांग्रेस को इससे मौका भी मिल गया है जिसे भुनाने में कांग्रेसियों ने कोई चूक नही की।
चार मंत्री हटाने होगे
जब से सुप्रीम कोर्ट का नोटिस मिला है तब से लाख टेक का एक ही सवाल खड़ा हो रहा है कि अब क्या होगा। उत्तर सीधा- सीधा है की चार मंत्रियों को हटना होगा। अब दिक्कत ये है कि उन 4 मंत्रियों में कौन कौन से चेहरे होंगे इसका निर्धारण कैसे होगा।
हालांकि कैबिनेट में सिंधिया गुट के मंत्री अभी विधायक भी नही है लेकिन उन्हें हटा कर फिर सिंधिया को नाराज करने से बात बिगड़ सकती है जबकि भाजपा से मंत्रियों की संख्या सिंधिया गुट के कारण कम होने से भाजपाई झंडाबरदारों में पहले से नाराजगी है।अब अगर उनमें से और मंत्री हटाये गए तो पार्टी के अंदर असंतोष का विस्फोट हो सकता है।
क्या है नियम
राज्य में विधायकों की कुल संख्या के 15 फ़ीसदी संख्या तक ही मंत्रियों की नियुक्ति की जा सकती है, यानी संविधान के अनुच्छेद 164 (1-ए) के तहत किसी भी राज्य में मंत्रियों की परिषद में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या, उस राज्य की विधानसभा के सदस्यों की कुल संख्या के पंद्रह प्रतिशत से अधिक नहीं होगी और अगर ऐसा होता है तो वह गलत माना जाएगा।
मतलब शिवराज के गले में जो हड्डी फसी है अब वो ना उगलते बन रही है और ना ही निगलते। देखे अब आगे आगे होता क्या है।