भोपाल

और फिर सडकों पर डंडे खाती कांग्रेस!

Shiv Kumar Mishra
24 Jan 2021 9:16 AM GMT
और फिर सडकों पर डंडे खाती कांग्रेस!
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मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने किया किसान आंदोलन को लेकर धरना प्रदर्शन

( ग्राउंड रिपोर्ट )

भोपाल के जवाहर चौक पर कांग्रेस का छोटा सा मंच था और इस छोटे से मंच पर प्रदेश कांग्रेस के सभी बडे नेता मौजूद थे। मौका था केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस का राजभवन घेराव जिसकी तैयारी लंबे समय से कांग्रेस कर रही थी। पहले जिलों में कांग्रेस नेता टैक्टर रैलियां निकाल रहे थे तो अब बारी थी भोपाल में आकर राजभवन का घेराव और राज्यपाल को ज्ञापन देने की। सुबह साढे ग्यारह का वक्त दिया गया था घेराव का और हमारे पहुंचते एक बजने को थे मगर भीड भाड के नाम पर झंडे बैनर और गाडियां ज्यादा दिख रहीं थी कांग्रेस नेताओं की। इस कमजोर भीड पर अफसोस जताते हुये हमारे एक साथी ने कह ही दिया कि यार ये देख कर बडा दुख होता है कि इन कांग्रेसियों की कुंडली में इतना लंबा संघर्ष क्यों लिखा है। पंद्रह साल के संघर्ष के बाद सत्ता में आये और पंद्रह महीनों में ही बाहर होकर फिर सडकों पर आ गये डंडे खाने। ये बात सुनकर हमारे दूसरे साथी बोले तो क्या आज डंडे खायेंगे कांग्रेसी नहीं यार पहले ही सेंटिंग हो गयी है। चूंकि इस कांग्रेस में उम्रदराज नेताओं की भीड ज्यादा है तो डंडे चमकाने की गुंजाइश नहीं है और बीजेपी की सरकार ने पुलिस से इतना तो कह ही रखा होगा कि भाई इन कमजोर कांग्रेसियों को डंडे मारकर ज्यादा कवरेज नहीं देना। वरना ये तो आये ही हैं डंडे खाने और अखबारों की खबरों में जगह पाने के लिये। और फिर डंडा खाओ सरकार में वापस आओ का नारा देने वाले दिग्गी राजा तो मौके पर हैं ही।


और थोडी देर बाद ही कमलनाथ का काफिला मंच से भाषणों की औपचारिकताओं के बाद चल पडा राजभवन की ओर। कमलनाथ एक खुले छोटे से टक पर थे, उनके साथ सुरेश पचौरी, अरूण यादव, जीतू पटवारी, रामनिवास रावत, सज्जन वर्मा और जयवर्धन सिंह साथ थे मगर ऐसे मौकां पर कैमरों से दूर रहने वाले दिग्विजय सिहं पीछे की और हमेशा की तरह कैमरों की आंख से छिपे थे। जवाहर चौक से रंगमहल टाकीज के चौराहे होते हुये रोशनपुरा चौराहे तक एक डेढ किलोमीटर का रास्ता पूरी तरह खाली करवा लिया गया था कांग्रेस के इस प्रदर्शन के लिये। टैफिक रोका हुआ था और दुकानें भी बंद करवाई हुयी थी। सडक पर बीच बीच में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के जत्थे कमलनाथ की रैली से जुडते जा रहे थे। मगर अनुभवी कार्यकर्ता समझ रहा था कि रास्ता चलने से नहीं बैरिकेड के पास झूमा झटकी करने से अखबारों में फोटो बनते है जो बाद मे सोशल मीडिया पर छाते हैं। इसलिये कमलनाथ के पहुंचने के पहले ही अच्छी खासी भीड जीटीबी कांपलेक्स के सामने लगे कई परतों वाले बैरिकेड के पास पहुंच गयी थी। लोहे के बैरिकेड के इस पार यदि ढेर सारे जवान हैलमेट पहन कर हाथों में डंडे और शील्ड लेकर खडे थे तो उस पार भी पूरी तैयारी थी वाटर कैनन के दो टक खडे थे जिनके उपर खडे सिपाही पूरे वक्त उनके नोजल का डायरेक्शन ठीक करने और पानी चलाकर टेस्टिंग करने में लगे थे। बैरिकेड के पास थोडी थोडी देर में एनएसयूआई के कार्यकर्ता आकर पुलिस से उलझ रहे थे। और पुलिस उनको बच्चा समझ कर सिर्फ धक्का देकर दूर भगा रही थी। थोडा बहुत हल्का फुल्का लाठीचार्ज एक दो बार हो भी चुका था। मगर इंतजार हो रहा था कमलनाथ के काफिले के आने का।


कमलनाथ के टक के बैरिकेड के पास आते ही धक्का मुक्की ओर नारेबाजी तेज हो गयी। भोपाल के लंबे छरहरे एसएसपी माइक लेकर बैरिकेड के उस तरफ से कांग्रेस नेताओं के नाम ले लेकर उपर नहीं चढने का आग्रह कर रहे थे। इस बीच में एसडीएम ने कांग्रेस के बडे नेताओं से ज्ञापन लिया और सारे बडे नेता काफिले वाले टक से उतर कर वापस जाने लगे हम सबको भी लगा कि हो गया प्रदर्शन ठंडा ठंडा। मगर हमारी पीठ करते ही वाटर कैनन चल पडी बैरिकेड पर चढने वाले कांग्रेसियों के उपर। पानी से भीग कर कांग्रेसी फोटो खिचवा रहे थे मगर ये तो टेलर था पिक्चर अभी बाकी है कि तर्ज पर थोडी देर बाद ही फटाक फटाक आंसूगैस के गोले छूटने लगे। अब भागने की बारी कार्यकर्ताओं ओर हम मीडिया वालों की थी क्योंकि गोलों के साथ पुलिस वालों के हाथ से डंडे भी छूटने लगे थे कांग्रेसियों को खदेडने के लिये। कांग्रेसियों को भागते देख पुलिस और हमलावर हो गयी बस फिर क्या था आगे आगे कांग्रेसी ओर पीछे डंडे फटकारती पुलिस। अब तक हम सबकी आंखों में गैस का असर होने लगा था समझ नहीं आ रहा था इस बार आंखों के साथ चेहरे पर भी जलन क्यों हो रही थी। जीटीबी कांपलेक्स के पीछे की गलियों में चाय की दुकानों से पानी लेकर लोग रूमाल भिगो कर आंखों में लगा ही रहे थे कि यहां भी पुलिस आ गयी और लगी खदेडने। अब तक प्रदर्शन का मजा देख रहे दुकानदार दुकानों के शटर बंद कर छिप से गये थे। कांग्रेसी देर तक दूर दूर तक खदेडे जाते रहे। हांलाकि नेताओं के जाने के बाद ये लाठीचार्ज समझ से परे था।


हमने आंख धोते एक परिचित से पूछा नेताजी कैसा रहा प्रदर्शन तो उनका जबाव था बढिया रहा भाईसाहब, अब फोटो भी छप जायेगी और अच्छा कवरेज भी मिल जायेगा। प्रदर्शन से लौट रहे अधिकतर कांग्रेसियों के चेहरे पर ऐसा ही संतोष का भाव था मगर मेरे मन में तो वही सवाल गूंज रहा था जो हमारे साथी ने शुरूआत में किया था। यार इन कांग्रेसियों की कुंडली में इतना संघर्ष और बार बार डंडे खाना ही क्यों लिखा है भाई।

ब्रजेश राजपूत एबीपी नेटवर्क, भोपाल

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