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व्यापमं कांड के आखरी गवाह लक्ष्मीेकांत शर्मा की मौत या हत्या?
मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता रहे लक्ष्मीकांत शर्मा अब दुनिया में नही रहे। उनका कोरोना से निधन हो गया है। वो कई राज अपने सीने में दफन कर चले गए, भाजपा ने उन्हें प्राथमिक सदस्यता से भी बाहर कर दिया था। वो 11 मई को कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, जिसके बाद उन्हें भोपाल के चिरायु अस्पताल में भर्ती करवाया गया था लेकिन 31 मई को कोरोना से जंग हार गए। लक्ष्मीकांत शर्मा के निधन के बाद व्यापमं कांड का एक अध्याय भी उनके साथ ही चला गया। व्यापमं घोटाले में सम्मलित 50 से अधिक आरोपियों की मृत्यु हो चुकी है। दरअसल, लक्ष्मीकांत शर्मा पहली बार सुर्खियों में व्यापमं परीक्षा घोटाले में आरोपी बनने के बाद ही आए थे। विदिशा जिले की सिरोंज से चार बार के विधायक रहे लक्ष्मीकांत शर्मा का सिरोंज के मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार किया गया। उनके अंतिम संस्कार के समय भारी संख्या में उनके शुभचिंतक और पार्टी के कार्यकर्ता शामिल थे।
लक्ष्मीकांत शर्मा की मौत कई अनसुलझे सवालों को भी खड़ा कर गई है। आपको बता दें कि लक्ष्मीकांत शर्मा सहित 3 लोग एक पारिवारिक विवाह समारोह में संक्रमित हुए थे, दो ठीक हो गए, ये अस्पताल मुस्कराते हुए पहुंचे थे, मौत सामान्य नहीं? उन्होंने यह भी क्यों बोला था कि व्यापमं घोटाले में मैं तो एक मोहरा हूँ। कुछ बोलूंगा तो जान का खतरा है? सामान्य तौर अस्पताल में शाम 6 बजे बाद शव नहीं दिए जाते, क्या जल्दी थी कि ताबड़तोड़ रात 12 बजे शव पैक कर परिजनों को दे दिया, सुबह सिरोंज में दाह संस्कार भी हो गया। सवाल ये भी पैदा हो रहे हैं कि लक्ष्मीकांत शर्मा व्यापमं कांड के आखरी गवाह थे, कहीं उन्हें भी तो साजिश के तहत हटा दिया गया? वो व्यापमं कांड की असली और आखरी कड़ी थे। उनके पास कई ऐसे रहस्य छिपे थे जिनके बाहर आने से प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ जाता था। लेकिन वह आखरी समय तक भी इन रहस्यों को छुपा गए। रहस्यमयी मौत को CBI जांच में शामिल किया जाए। अगर हालिया राजनीतिक हालात और लक्ष्मीकांत शर्मा की मौत की कड़ियों को जोड़कर देखा जाए तो संदेह प्रबल हो जाता है। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा को 2013 के विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद व्यापमं कांड़ में गिरफ्तार कर लिया गया था। व्यवहार से मृदुभाषी शर्मा अपनी बेगुनाही को लेकर चीखते रहे लेकिन लक्ष्मीकांत शर्मा को जुबां बंद करने के लिए मजबूर कर दिया गया। व्यापमं कांड़ में चिरायु अस्पताल के संचालक डॉ. अजय गोयनका के साथ कई दिग्गेज नेताओं के भी नाम उछले थे।
जब लक्ष्मीकांत शर्मा भोपाल जेल में थे,तब उन्होंंने स्वास्थ्य को लेकर कहा था कि कुछ गड़बड़ है, कहीं मुझे स्लो पॉइजन तो नहीं दिया जा रहा है। मतलब साफ है कि उन्हें अपनी मौत होने का अंदेशा बना रहता था। बाद में वे जेल से रिहा भी हुए लेकिन व्यापमं कांड़ के दागदार होने के चलते उन्हें विधानसभा चुनाव का टिकट नहीं दिया गया। लक्ष्मीकांत शर्मा की जगह उनके भाई उमाकांत शर्मा को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया। जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद लक्ष्मीकांत शर्मा भोपाल के रिवेरा टाऊन स्थित मकान में रहने लगे। मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार के समय उजागर हुए हनीट्रैप कांड के आरोपियों से जब्त की गई एक सीडी से भारतीय राजनीति में तूफान खड़ा हो गया था। लक्ष्मीकांत शर्मा एक सीडी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विषय में बातें करते नजर आए। यह मामला इंदौर के सांध्य दैनिक अखबार ने उजागर किया था। सूत्रों के अनुसार लक्ष्मीकांत शर्मा उक्त सीडी में हनीट्रैप कांड की प्रमुख आरोपी श्वेता जैन के साथ चर्चा कर रहे थे। सरकारी रिकॉर्ड में श्वेता स्वप्निल जैन रिवेरा टाउन स्थित लक्ष्मीकांत शर्मा के मकान के बगल में किराए से रहती थी। श्वेता जैन जिस मकान में किराए से रह रही थी वह मकान मध्यप्रदेश के वर्तमान खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह का है।
गौरतलब है कि चिरायु अस्पताल के संचालक डॉक्टर अजय गोयनका से पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के मधुर संबंध थे। डॉ. गोयनका भी व्यापमं कांड में संदेहास्पद रहे हैं। आज लक्ष्मीकांत शर्मा की मृत्यु हो गई। सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है कि श्री शर्मा के कुछ परिजन उनका इलाज इंदौर के बांबे अस्पताल में कराना चाहते थे। यह भी सच है कि व्यापम कांड के बाद चिरायु अस्पताल को मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सहायता कोष एवं अन्य मदों से मरीजों के इलाज के लिए भारी राशि आवंटित की गई है। कोरोनाकाल में सर्वाधिक राशि चिरायु को ही जारी की गई है। विगत वर्ष मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं कोरोना से पीड़ित होकर अपना इलाज चिरायु में करवा चुके हैं। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री निवास में चिरायु के संचालक डॉक्टर अजय गोयनका का बेरोकटोक आना-जाना है।
हिंदूवादी नेता के तौर पर रही पहचान
लक्ष्मीकांत शर्मा की राजनीतिक यात्रा एक हिंदूवादी नेता के रूप में हुई। लक्ष्मीकांत शर्मा सिरोंज के सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल में आचार्य के पद पर थे। बाद में उन्होंने विश्व हिंदू परिषद और राम मंदिर आंदोलन से जुड़कर एक प्रखर हिंदूवादी नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने 1993 में पहली बार सिरोंज विधानसभा से चुनाव लड़ा और पहली बार वहां से विधायक चुने गए। पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा साल 1998, 2003 और 2008 से लगातार सिरोंज लटेरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे। 2013 के चुनाव में वह 1700 मतों के अंतर से हार गए थे।
व्यापमं ने खत्म किया राजनीतिक करियर
पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा का साल 2013 में राजनीतिक कैरियर एक तरह से खत्म हो चुका था, जब उनका नाम व्यापमं घोटाले में आया। इसी वजह से वह 18 माह जेल में भी रहे लेकिन जब उनकी रिहाई हुई तो लगभग 500 से ज्यादा गाड़ियों का काफिला भोपाल में जेल के बाहर उनका इंतजार करता रहा। वे किसी जन नेता की तरह ही इसी काफिले के साथ सिरोंज विधानसभा अपने गृह निवास पहुंचे थे।
स्कैम में जेल पहुंचे थे लक्ष्मीकांत शर्मा
पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, उनके ओएसडी रहे ओपी शुक्ला, बीजेपी नेता सुधीर शर्मा, राज्यपाल के ओएसडी रहे धनंजय यादव, व्यापमं के नियंत्रक रहे पंकज त्रिवेदी, कंप्यूटर एनालिस्ट नितिन महिंद्रा को जेल तक की हवा खानी पड़ी। इस मामले में सैंकड़ों लोग जेल जा चुके हैं, और कई अब भी फरार हैं।
मिली क्लीनचिट लेकिन राजनीति खत्म
लक्ष्मीकांत शर्मा को एसटीएफ और बाद में सीबीआई व्यापमं घोटाले से जुड़े कुल 6 मामलों में आरोपी बनाया था लेकिन उनके खिलाफ जांच में कुछ खास निकल कर सामने नहीं आया। बाद में उन्हें जमानत भी मिल गई और वो जेल से बाहर भी आ गए थे। व्यापमं मामले में लक्ष्मीकांत शर्मा के अलावा तत्कालीन राज्यपाल रामनरेश यादव के बेटे शैलेश यादव का भी नाम सामने आया था, जो बाद में लखनऊ स्थित पिता को सरकारी आवास पर संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए गए थे। साल 2019 में लक्ष्मीकांत शर्मा को क्लीनचिट मिल गई थी, लेकिन राजनीतिक करियर खत्म हो गया था।
ऐसे महान राजनेता और समर्पित समाजसेवी को मेरी ओर से हार्दिक विनम्र श्रद्धांजलि।
वीरेंद्र सिंह की वाल से