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सीएम शिवराज की माने तो रविवार को मंत्रियों को मंत्रालय का बंटवारा हो जाएगा
संजय रोकड़े
मध्यप्रदेश में भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को कथिततौर पर विधायकों की खरीद फरोख्त करके भले ही सरकार गिरा कर भाजपा की सरकार बना ली लेकिन एक लंबे समय के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार होने के बाद भी मंत्रियों को 9 दिन बीत जाने के बाद भी विभागों का आवंटन नही हो पाया है।
हर कोई मलाईदार विभाग की मांग कर रहा है। कांग्रेस से भाजपा में आए दल बदलुओं ने भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व और शिवराज के नाक में दम कर ही रखा है बल्कि अपने ही दल के पुराने जाबाजों ने भी धमकी भरे लहजे में साफ कह दिया है कि गर हमारी उपेक्षा हुई तो खैर नही।
इन सब रस्साकसियों व विवादों के चलते नौ दिन के बाद भी मंत्रालयों का बंटवारा नही हो पाया है लेकिन आज शनिवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ग्वालियर में कहा है कि मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा कल याने रविवार को हो जाएगा।
शिवराज यहां कोरोना संबंधी मामलों की समीक्षा के बाद मीडिया के सवालों के जवाब दे रहे थे। इस अवसर पर मीडिया ने जब उनसे विभाग बंटवारे को लेकर सवाल किया तो सिर्फ इतना ही कहा कि कल यानी रविवार को मंत्रालयों का बंटवारा हो जाएगा।
अब सबको उनके इस बयान पर विश्वास करके ये मान लेना चाहिए कि आखिरकार खत्म हुई रस्साकशी। हालाकि इससे पहले भोपाल में विभाग बंटवारे में देरी पर शिवराज सिंह ने कहा था कि मैं सारे विभागों का मंत्री हूं। सरकार सुचारू रूप से चल रही है। कहीं कोई दिक्कत नहीं है। मंत्रिमंडल की बैठक होने वाली है, हर काम हो जाएगा।
आपको बता दे कि मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर शिवराज एक लिस्ट लेकर दिल्ली भी पहुंचे थे। वे इस संबंध में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ ही प्रदेश से सरोकार रखने वाले अनेक केन्द्रीय मंत्रियों में मिले और कई दिनों तक दिल्ली में ठीया जमा रखा था लेकिन बावजुद इसके उन्हें सफलता नही मिली। खबरें तो यह भी सामने आई कि मंत्रालय के बंटवारों के संबंध में गृहमंत्री अमित शाह ने उन्हें समय तक नही दिया।
सनद रहे कि मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रिमंडल में 2 जुलाई को 28 मंत्रियों को शामिल किया था, लेकिन उनके बीच विभागों का बंटवारा 9 दिन बाद भी नहीं हो पाया है। इस मसले को लेकर भोपाल और दिल्ली में भाजपा नेताओं के बीच लगातार चर्चाओं का दौर जारी रहा है।
काबिलेगौर हो कि अब मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर मंत्रियों के साथ-साथ पार्टी नेताओं में भी बैचेनी तारी है। हर कोई एक-दूसरे से यही पूछ रहा है कि विभाग कब तक बंट जाएंगे। इसको लेकर मुख्यमंत्री चौहान केंद्रीय नेतृत्व से लेकर प्रदेश संगठन तक से चर्चा कर चुके हैं। वरिष्ठ मंत्रियों से भी उनकी चर्चा हो चुकी है लेकिन, मामला अभी भी अटका हुआ है।
सूत्रों की माने तो मामला दल बदलु सिंधिया ने अटका रखा है। इसी के चलते विभागों को लेकर एक राय नहीं बन पा रही है। राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थक मंत्रियों को कमलनाथ सरकार में आवंटित विभागों के साथ कुछ अतिरिक्त विभाग दिलाना चाहते हैं। इनमें वे विभाग भी शामिल हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री वरिष्ठ मंत्रियों को देने की मंशा रखते हैं। यही वजह है कि तालमेल नहीं बन पा रहा है।
ध्यान रहे कि अभी मंत्रिमंडल में भाजपा के 19 मंत्री ही बने है। वर्तमान में भाजपा के 107 विधायक हैं। मंत्रिमंडल में सिंधिया खेमे से 9 और कांग्रेस से भाजपा में आए 3 को मंत्री बनाया गया है। इनमें 8 मंत्री ग्वालियर-चंबल इलाके से हैं। यहां 16 सीटों पर उपचुनाव हैं। राज्य में 24 सीटों पर विधानसभा का उपचुनाव होना है।
इधर मंत्रियों के विभाग वितरण में देरी पर भाजपा की ही सुरखी की पूर्व विधायक पारुल साहू ने चुटकी लेते हुए कहा है कि- ये राजनीतिक दहेज प्रताडऩा कहीं तलाक का कारण न बन जाए। वे मंत्रिमंडल विस्तार के 9 दिन बीतने के बाद भी मंत्रियों को विभाग बांटने का फैसला नहीं कर पाने के चलते ऐसा बोली है।
इसमें दो राय नही है कि मंत्रियों को विभागों के बंटवारे में देरी से कांग्रेस ही नहीं बल्कि भाजपा के नेता भी खुश नहीं है। मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज अजय विश्नोई के नाराजगी जाहिर करने के बाद अब सुरखी की पूर्व विधायक पारुल साहू ने सिंधिया पर तंज कसा कि ये राजनीतिक दहेज प्रताडऩा कहीं राजनीतिक तलाक का कारण न बन जाए।
इसके साथ ही वे बोली कि शीर्ष नेतृत्व से आग्रह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सम्मान को इस तरह धूमिल न किया जाए। उन्हें निर्णय लेने की आजादी दी जाए।
इधर बेशर्मी की हदें पार करते हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने मीडिया से चर्चा में कहा कि जितना मंथन होगा, उतना अमृत निकलेगा। लेकिन यह नहीं बताया कि मंथन कब तक चलेगा।