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- हिम्मत न हार,कर...
हिम्मत न हार,कर इंतज़ार, लौट जाएगा घर को , ये रात जा रही है, वो सुबह आ रही है,
शहर को तराशने गया था मैं
साहब ।
आँसू बेचकर घर लौटना पड़ा
हैं ।
हिम्मत न हार,कर इंतज़ार,
लौट जाएगा घर को , ये रात जा रही है, वो सुबह आ रही है ।
समय थोड़ा ज्यादा लगा घंटों का सफर दिनों तक चला बिन मांगे तुझे घुमा दिया है आधा हिंदुस्तान ।
भारत में अब रेल भटक रही है रास्ता , क्या आपको विश्वास हो सकता है ? यह तो वही कहावत हुई रात में चांद की जगह सूर्य का उदय होना । भारत का रेलवे का नेटवर्क विश्व में अव्वल दर्जे का है, जिसमें करोड़ों लोग रोज़ सफर करते है , भारत में ऐसी चूक गंभीर विषय है । कहने को रेल मंत्रालय ने इस गलती पर लीपापोती शुरू कर दी हैं । मुंबई के स्टेशन पर खुशी का माहौल था, ऐसा लग रहा था, इन प्रवासी मजदूरों को आजादी मिल गई हो, खुशी में झूमते हुए रेल के डिब्बों की तरफ बढ़ रहे थे , ऐसा लग रहा था मानो आज इनकी दिवाली है ,चेहर पर खुशी की चमक घर वालों से मिलने की उत्सुकता साफ दिख रही थी,1399 मजदूरों से लदी यह श्रमिक ट्रेन को टीटी ने जब हरी झंडी दिखाई तो इन मजदूरों को विश्वास हो गया ,की अब हम 20 घंटे में अपने घर गोरखपुर पहुंच जाएंगे, पर ऐसा नहीं हुआ 20 घंटे का सफर , दिनों में बदल गया।
21 मई को शाम 7:00 बजे मुंबई के वसई से गोरखपुर जाने वाली श्रमिक ट्रेन जिसको 20 घंटे लगते हैं ,गोरखपुर पहुंचने में 63 घंटे में पहुंची गोरखपुर इन मजदूरों को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से पहले आधा भारत घुमाया गया उड़ीसा ,पश्चिम, बंगाल ,झारखंड के रास्ते होते हुए वाराणसी 24 मई को पहुंची । रास्ते में मजदूरों ने हंगामा मचाना शुरू कर दिया ,उनको लगा कहीं ट्रेन चलते चलते किसी दूसरे देश ना पहुंच जाए ,24 घंटे महाराष्ट्र में ही श्रमिक ट्रेन घूमती रही, यात्री समझ रहे थे की ट्रेन गोरखपुर जा रही है ,जब ट्रेन भुसावल ना जाकर दूसरे रूट पर चलने लगी तो यात्री परेशान हो गए प्रवासी मजदूरो ने राउरकेला स्टेशन पर लोको पायलट और गार्ड से पूछा गोरखपुर के रास्ते में राउरकेला कब से आने लगा तो उन्होंने सीधा जवाब दिया हमको जिधर का सिग्नल मिलेगा हम उधर ही जाएंगे । प्रवासी मजदूरों को ना पीने को पानी मिला ना खाने को भोजन ,वह भूख और प्यास से तड़पते रहे और श्रमिक ट्रेन चलती रही , यह एक जांच का विषय है ,20 घंटे के सफर की जगह लग गए 63 घंटे । क्या उत्तर प्रदेश सरकार की तैयारी पूरी नहीं थी, इन मजदूरों को बुलाने के लिए, क्योंकि 1399 मजदूरो को क्वारंटाईन करना था ,उनके लिए जगह का इंतजाम बिस्तर ,भोजन की व्यवस्था उत्तर प्रदेश की सरकार को करनी थी , रेल को दूसरे मार्ग पर भेजना और 20 घंटे के जगह 63 घंटे लगने की वजह कहीं यह तो नहीं थी ।
रेल बुला रही है सीटी
बजा रही है ।
हिम्मत ना हार , कर इंतजार
पहुंचा देगी 20 घंटे की
जगह 63 घंटे
में तेरे घर के द्वार ।।
मोहम्मद जावेद खान