भोपाल

विकास दुबे का यहां मिलना शर्म की बात या गर्व की!

Shiv Kumar Mishra
9 July 2020 10:33 AM GMT
विकास दुबे का यहां मिलना शर्म की बात या गर्व की!
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उत्तर प्रदेश पुलिस के 8 पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाले विकास दुबे के उज्जैन में पकड़ाने को सामान्य नजर से नहीं देखा जा सकता। इन्दौर-उज्जैन पुलिस में इन दिनों सिंघमों की भरमार हो रही है। अब पुलिसकर्मी की बजाय वे सिंघम कहलाना ज्यादा गर्व वाला महसूस करते हैं। सिंघम भी कलाकार था और ये भी कलाकार बने हुए हैं। आश्चर्य की बात यह है कि उत्तर प्रदेश से लेकर मध्यप्रदेश के उज्जैन महांकाल तक पहुंचने के पीछे मध्यप्रदेश पुलिस के कौन से लोग मददगार है, जो विकास दुबे नोएडा में होटल के कैमरों से दूरी बना रहा था उसने उज्जैन महांकाल मंदिर के कैमरों के सामने आकर बकायदा नाटक किया।

यह तय है कि उज्जैन पुलिस या मध्यप्रदेश पुलिस में उसके कहीं ना कहीं अच्छे खासे सम्पर्क काम आए हैं, जिसे उत्तर प्रदेश पुलिस मारने के लिए तलाश रही हो वह मध्यप्रदेश में सुरक्षित हो गया। उल्लेखनीय है कि इन्दौर और उज्जैन देशभर के खुखांर अपराधियों के लिए सबसे बेहतर चराहगाह है। चाहे पंजाब के खुखांर आतंकवादी माधोसिंह का मामला हो या फिर सिमी के आतंकवादियों का ट्रेनिंग स्थल हो या फिर कश्मीर से फरार रहे आतंकियों का मामला हो। ऐसे कई उदाहरण है जिसमें देखा जा सकता है कि इन्दौर के आसपास कितने आराम से यह खुखांर अपराधी अपना समय काटते हैं। दोनों ही क्षेत्रों में पदस्थ होने वाले सिंघमों की हालत यह है कि उन्हें अपने थाने की सीमाएं तक नहीं मालूम है। किसी भी थाना प्रभारी से यदि क्षेत्र के विशेष लोगों की जानकारी भी लेना हो तो नहीं मिलती है। इसका मुख्य कारण भोपाल से राजनैतिक हस्तक्षेप के चलते होने वाली पोस्टिंग है।

इन्दौर के थानों का मामला हो या उज्जैन का लाखों रुपए सिंघम देने को तैयार रहते हैं। दे भी क्यों ना यहां दूध देने वाली गाय आसानी से पकड़ी जा सकती है। शहर के राजनेता भी अपने हितों के लिए शहर की बलि चढ़ाने के लिए निट्ठलों और निक्कमों की नियुक्ति कराने में पूरी ताकत लगा देते हैं और यही दुर्भाग्य होता है कि इन थानों पर पदस्थ होने वाले तमाम पुलिस अधिकारी अपनी प्रतिभा का कोई परिचय नहीं दे पाते हैं, वे केवल सेटिंग और वसूली के आधार पर ही यहां पर बने रहना चाहते हैं।

यदि इन्दौर पदस्थ हुए पुलिस अधिकारियों की जानकारी निकाली जाएगी तो यह तय है कि 90 फीसदी से अधिक पुलिस अधिकारियों ने इन्दौर में करोड़ों रुपए के बंगले बना लिए हैं। यह सब इस बात का घोतक है कि पुलिस व्यवस्था में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है और इसी का परिणाम एक दिन शहर को भी भोगना होगा। 8 अपनी ही बिरादरी के पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाला सुरक्षित तरीके से उज्जैन तक कई नाकों से बचता हुआ पहुंचा है। यह मध्यप्रदेश पुलिस के लिए भी शर्म की बात है।

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