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न्याय और शांति पदयात्रा छठे दिन भी जारी : आपसी समस्याओं को साझा करने का माध्यम सामूहिक भोजन
फोटो : प्रतीकात्मक
भोपाल : आज समाज में जहां प्रतिदिन हिंसा की खबरें सामने आ रही हैं, चारों तरफ वैमनस्यता और अशान्ति का माहौल बन रहा है। वैसे माहौल में सामूहिक भोजन का आयोजन समाज में अहिंसा की स्थापना के साथ-साथ वैमनस्यता को दूर करने का एक हथियार नजर आता है। समाज में अहिंसा, न्याय, शांति की अलख जगाए सामाजिक संगठन एकता परिषद यही कार्य कर रहा है। न्याय और शांति की स्थापना का उद्देश्य लिए एकता परिषद और सर्वोदय समाज 12 दिवसीय "न्याय और शान्ति" पदयात्रा पर है। इसी पदयात्रा के दौरान समाज में एकजुटता, समरसता और शांति के भाव को स्थापित करने के लिए हर दिन सामूहिक भोजन का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें हर वर्ग, लिंग, जाति, धर्म के लोग एक साथ मिलकर भोजन करते हैं।
मध्यप्रदेश के रायसेन जिले सरस्वती उईके पदयात्री के रूप में शामिल हैं। वह कहती हैं, "सामूहिक भोजन समाज में एकजुटता का भाव पैदा करता है। यात्रा के दौरान हम जिस गाँव से गुजरते हैं और जहां सामूहिक भोजन की व्यवस्था होती है वहाँ के लोगों में एक अलग उत्साह देखने को मिलता है। उदाहरण के लिए मान लीजिए किसी व्यक्ति ने निजी रूप से भोजन की व्यवस्था की है तो वहाँ सिर्फ उसी व्यक्ति के घर वाले मौजूद रहते हैं, लेकिन यात्रा के दौरान होने वाले सामूहिक भोजन में पूरा समाज शामिल होता है, महिलाएं, पुरुष, बच्चे और बुजुर्ग एक साथ भोजन करते हैं।"
एकता परिषद के मध्यप्रदेश संयोजक डोंगर शर्मा पदयात्रा में आयोजित होने वाले सामूहिक भोजन के बारे में बताते हुए कहते हैं, "पदयात्रा के दौरान हम जिस गाँव से गुजर रहे हैं वहाँ के निवासी और पदयात्री एक साथ सामूहिक रूप से भोजन करते हैं। गाँव के लोग ही आपस में मिलकर भोजन की व्यवस्था करते हैं। गाँव के निवासियों द्वारा आटा, चावल, सब्जी की व्यवस्था की जाती है सामूहिक भोजन में लगने वाले अन्य समानों की व्यवस्था भी गाँव के लोग ही सामूहिक रूप से करते हैं। इस सामूहिक भोजन में लगभग 200 से 250 लोग शामिल होते हैं।"
पदयात्री के रूप में ग्वालियर से शामिल अवनीश बताते हैं, "यात्रा के दौरान सामूहिक भोजन की तैयारी करते वक्त लोग आपस में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते हैं। जिसमें गाँव से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे भी शामिल होते हैं। सामूहिक भोजन को हम समाज में बेहतरी के माध्यम के रूप में भी देख सकते हैं।"
झाबुआ जिले से दुर्गा के अनुसार "सामूहिक भोजन के लिए भोजन बनाने से लेकर भोजन समाप्ति तक ग्रामीण लोग आपसे में समाज के विभिन्न मुद्दों से खुद को भी जागरूक करते हैं और आपस के लोगों को भी जागरूक करते हैं। इस दौरान अपने आस-पास और समाज में घट रही घटनाओं और समस्याओं को साझा करते हैं और इन समस्याओं के समाधान पर भी चर्चा करते हैं। ऐसे में एक एकजुटता का माहौल समाज में तैयार होता है।"
उल्लेखनीय है कि एकता परिषद और सर्वोदय समाज द्वारा 12 दिवसीय पदयात्रा "न्याय और शान्ति पदयात्रा - 2021", 21 सितम्बर, अन्तराष्ट्रीय शान्ति दिवस के मौके पर शुरू की गई है। यह पदयात्रा देश के 105 जिलों के साथ-साथ विश्व के 25 देशों में आयोजित की जा रही है। वहीं मध्यप्रदेश में यह पदयात्रा 27 जिलों में चल रही है। यात्रा के दौरान लगभग पांच हजार पदयात्री पैदल चल रहे हैं और लगभग दस हजार किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी। इस अनूठी पदयात्रा का समापन 2 अक्टूबर, अन्तराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के मौके पर की जाएगी। 2 अक्टूबर को दुनिया में अन्तराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।