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क्या मध्यप्रदेश में फिर होगा कुछ नया, क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बायो से BJP हटाया?
मध्यप्रदेश की राजनीत से अभी भी राहू केतु की दशा से छुटकारा मिलता नजर नहीं आ रहा है. अभी बीते कुछ माह पहले उन्होंने अपने ट्विटर के बायो से कांग्रेस शब्द हटाया था. जिसके कुछ समय बाद कांग्रेस से विद्रोह करते हुए कांग्रेस की सरकार गिरा कर बीजेपी में शामिल हो गये. उसके बाद उन्होंने अपने बायो में बीजेपी एड कर लिया. लेकिन अभी जुम्मा जुम्मा चार दिन भी नहीं बीते थे की यकायक बायो से बीजेपी शब्द गायब कर दिया जिससे मध्यप्रदेश की राजनीत में सरगर्मी बढना लाजिमी है.
बीजेपी के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने ट्विटर के बायो से BJP का नाम हटा दिया है. उनके नाम हटाते ही राजनैतिक हलचल तो बढनी तय थी. क्योंकि सिंधिया भाजपा जॉइन करने के बाद मंत्री बनने का इंतजार कर रहें हैं. हालांकि अभी वो किसी सदन के सदस्य नहीं है. जबकि अभी चुनाव आयोग के ताजे फरमान के मुताबिक़ राज्यसभा का चुनाव आने वाले 19 जून को होगा जिसमें वो मध्यप्रदेश से राज्यसभा के बीजेपी उम्मीदवार है. चूँकि मध्यप्रदेश में शामिल होने से पहले यह बात तय थी कि इस्तीफा देने वाले सभी विधायक मंत्रीमंडल में शामिल होंगें. लेकिन सरकार बनने के दो माह बाद भी अभी तक मंत्रीमंडल विस्तार नहीं हो सका. बार बार टाले जाने से सिंधिया समर्थकों का सब्र टूटता नजर आ रहा है लेकिन सब्र टूटने से अब कुछ हासिल होनेवाला नहीं है. क्योंकि अब पछताए होत का जब चिड़ियाँ चुंग गई खेत.
बता दें कि जिस तरह से रोज बीजेपी कार्यकर्ताओं के ऑडियो वायरल हो रहे है और बीजेपी में शामिल नेता एक बार फिर से अपनी वापसी कांग्रेस में कर रहे है उससे सिंधिया भी हैरान है. बात उनके घर से करें तो उनके पिता महाराज माधव राव सिंधिया के बाल सखा के नाम से मशहूर बालेंदु शुक्ला ने गुरुबार को बीजेपी से बाय बाय कर कांग्रेस के दामन थाम लिया जो ज्योतिरादित्य सिंधिया को बड़ा झटका था. उसके बाद पूर्व सांसद गुड्डू ने बीजेपी से घर वापसी कर दी है.
वायरल ऑडियो में बीजेपी कार्यकर्ता कह रहे है कि पार्टी को जीवित रखें हम और टिकिट का नंबर आये तो कांग्रेसियों को दिए जायेंगे और जब कोई जीत जाय पैसे के दम पर सरकार गिराई और बनाई जा सकती है तो बीजेपी के उम्मीदवार को हराना बहुत जरूरी है ताकि आइन्दा हमारा चुना हुआ विधायक पैसे के लालच में इस्तीफा दे. यह बात भी सिंधिया को अंदर ही अंदर कचोट रही होगी.
सबसे अहम बात यह है कि शामिल होने से पहले कई दौर की बात साफ़ होने के बाद ही सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था. लेकिन तीन माह बीतने के बाद भी अभी मंत्रीमंडल में शामिल नहीं किया जाना भी अखर रहा है. जबकि उनकी कांग्रेस में हार बात मानी जाती रही हो और बीजेपी एम् उनकी बात को तबज्जो नहीं मिलना भी उनके लिए अहम का मुद्दा बना हुआ है. फिलहाल जो भी हो मध्यप्रदेश में राजनैतिक सरगर्मी बढ़ चुकी है. अब देखना यह होगा शिवराज सिंह के सिहासन कब तक सुरक्षित है.
देखते ही देखते #JyotiradityaScindia ट्रेंड करने लगा. वहीं इस बात का खंडन भी होने लगा कि कांग्रेस छोड़ने के बाद #JyotiradityaScindia ने अपने ट्विटर की बायो में बीजेपी एड ही नहीं किया था, अब देखते है कि यह बात कितनी सच्ची और सही है.