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मध्यप्रदेश कांग्रेस में बगावत के सुर तेज, नाराज छह विधायकों ने कही ये बात
मध्यप्रदेश के कमलनाथ मंत्रिमंडल में वादे के मुताबिक जगह नहीं मिलने से तीन निर्दलियों सहित समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के विधायक खासे नाराज हैं। तीनों निर्दलियों ने सपा के एक और बसपा के दोनों विधायकों के साथ एक होटल में बैठक भी की है।
शपथ समारोह के बाद निर्दलीय विधायक ठा. सुरेंद्र सिंह उर्फ शेरा भैया से जब बात की गई तो उनका दर्द छलक पड़ा। उन्होंने दैनिक जागरण के सहयोगी प्रकाशन नईदुनिया से चर्चा में कहा कि मैं तो जंगल में हूं जो करना है, उन्हें करना है। वादा किया था, उसे तोड़ दिया गया है। जानकारी के मुताबिक कमलनाथ मंत्रिमंडल के 28 मंत्री जब शपथ ले रहे थे, तभी तीनों निर्दलीय विधायक बुरहानपुर के ठा. सुरेंद्र सिंह, भगवानपुरा के केदार डाबर और सुसनेर के विक्रम सिंह राणा उर्फ गुड्डू भैया एवं बसपा के विधायक संजीव सिंह व रामबाई सिंह और सपा के राजेश शुक्ला एक होटल में बैठक कर रहे थे।
उनका कहना था कि विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद कांग्रेस ने दो निर्दलीयों को मंत्री पद दिए जाने की बात कही थी, जिनमें प्रदीप जायसवाल और ठा. सुरेंद्र सिंह का नाम शामिल था। सूत्रों के मुताबिक, एकमात्र निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल को ही मंत्री बनाए जाने पर नाराजगी जताते हुए सुरेंद्र सिंह ने अपने मन की पीड़ा साथियों को बताई। संजीव बोले-राजनीति में सबसे बात करनी पड़ती है मोबाइल फोन पर चर्चा में कांग्रेस विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने बैठक का समर्थन किया। जब बैठक को लेकर केदार डाबर, राजेश शुक्ला और संजीव सिंह से नईदुनिया ने चर्चा की तो उन्होंने कहा कि हम लोग वैसे ही एक साथ बैठे थे। शुक्ला और संजीव सिंह ने कहा कि हम तो सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे हैं। मंत्रिमंडल से हमारा कोई मतलब नहीं।
संजीव सिंह से जब पूछा गया कि क्या भाजपा नेताओं से संपर्क में हैं तो उन्होंने कहा कि राजनीति कर रहे हैं तो सबसे बातचीत करनी पड़ती है। मंत्री नहीं बनाया तो समारोह में नहीं आए कांग्रेस के कई विधायक मंत्री के दावेदार थे, लेकिन जब सूची में उनका नाम नहीं आया तो वे शपथ ग्रहण समारोह में ही नहीं आए। बदनावर से विधायक राजवर्द्धन सिंह को मंत्री नहीं बनाए जाने पर उनके समर्थकों ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पहुंचकर नाराजगी जताई। इसी तरह पिछोर के वरिष्ठ विधायक केपी सिंह के समर्थकों ने उनके भोपाल स्थित आवास पर जमा होकर प्रदर्शन किया। इस बारे में सिंह ने कहा कि वे भोपाल में नहीं हैं और उनके आवास पर जो लोग गए, वे भाजपा के प्रायोजित लोग हो सकते हैं।
वहीं, कांग्रेस विधायक बिसाहूलाल सिंह, हरदीप डंग, झूमा सोलंकी, हिना कांवरे आदि शपथ ग्रहण समारोह में दिखाई नहीं दिए। इन सभी के नाम संभावित मंत्रियों की सूची की चर्चा में चल रहे थे। प्रदेश के चार जिले में कांग्रेस ने सभी विधानसभा सीटें जीतीं पर किसी भी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया। इसमें मुख्यमंत्री कमलनाथ की कर्मभूमि छिंदवाड़ा भी शामिल है। यहां की सातों सीटें कांग्रेस ने जीती हैं। वहीं, मुरैना की पांच में से पांच सीटों पर जीत दर्ज की गई है। इसी तरह अशोकनगर और अनूपपुर जिले भी हैं।
मंत्री नहीं बनाए जाने पर सुमावली विधायक एदल सिंह कंषाना के समर्थकों ने मंगलवार शाम करीब साढ़े चार बजे सरायछोला थाने के देवरी बाबा मंदिर के पास हाइवे पर जाम लगा दिया। इस दौरान समर्थकों ने हाइवे पर वाहनों के टायरों में भी आग लगा दी। जाम करीब ढाई घंटे तक चला। इससे तीन से चार किमी तक वाहनों की कतार लग गई। करीब सात बजे कांग्रेस नेताओं के समझाने के बाद जाम खुला।
मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल के गठन के साथ ही कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए नाम तय कर दिया है। पार्टी की ओर से गोटेगांव विधायक एनपी प्रजापति इस पद के प्रत्याशी होंगे। अब विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर 17वें विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव कराएंगे, जिसमें प्रजापति कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल करेंगे।
मध्य प्रदेश विधानसभा में दलीय आधार पर सीटें
कुल सीटें- 230
कांग्रेस- 114
भाजपा- 109
बसपा- 02
सपा- 01
निर्दलीय - 04