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भोपाल में जमकर गरजे महाराज, बोले कई बड़ी बातें फिर हुए भावुक
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दामन थामने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पहली बार भोपाल पहुंचे. भोपाल पहुंचकर उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शिवराज सिंह चौहान की भी तारीफ की है. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि शिवराज कभी न थकने वाले सीएम रहे हैं.
ज्योतिरादित्य सिंह ने कहा, 'मेरे लिए आज भावुक दिन है. जिस संगठन और जिस परिवार में मैंने 20 साल बिताए, मेरी मेहनत लगन, मेरे संकल्प जिनके लिए खर्च किया, उन सबको छोड़कर मैं अपने आपको आपके हवाले करता हूं.' ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि कुछ लोगों का मकसद राजनीति होती है, माध्यम जनसेवा होती है. लेकिन यह मैं दावे से कह सकता हूं कि अटल बिहारी वाजपेयी हों, नरेंद्र मोदी हों, राजमाता रही हों, या सिंधिया परिवार का वर्तमान मुखिया होने के नाते मैं, हमारा मकसद हमेशा जनसेवा रही है.' ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि पक्ष और विपक्ष में कभी मतभेद नहीं होना चाहिए.
सिंधिया की यह बात सुनकर कार्यकर्ता जोश में आ गए. सिंधिया ने इस दौरान मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तारीफ की. उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में शिवराज के उस बयान का भी जवाब दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि 2018 के विधानसभा चुनाव के सियासी समर मुकाबला सिंधिया से ही था. शिवराज ने अपने भाषण में कहा था, "आमना-सामना तो आपसे (सिंधिया) ही था. माफ करो माहराज, लेकिन पीछे से आकर कोई और सीएम की कुर्सी पर बैठ गया." शिवराज का इशारा कमलनाथ की ओर था.
सिंधिया ने विधानसभा चुनाव के मुकाबले को याद करते हुए कहा, "2018 के समर में मुकाबला तो हुआ था. आज शिवराज साथ हैं. दल अलग हो सकते हैं, राजनीतिक रंग अलग हो सकते हैं, मतभेद हो सकते हैं लेकिन पक्ष-विपक्ष में बैठकर मनभेद नहीं होना चाहिए. शिवराज जैसा समर्पित, मुख्यमंत्री नहीं लेकिन कार्यकर्ता विरला होगा इस प्रदेश और देश में."
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, "मैंने कई बार कहा है कि अगर प्रदेश में दो नेता हैं जो शायद अपनी गाड़ी में AC नहीं चलाते, वो सिंधिया और शिवराज हैं. मैं संकोच करने वाला व्यक्ति नहीं हूं, सही को सही कहने वाला व्यक्ति हूं. जब सिंधिया परिवार को ललकारा जाता है तो वो चुप नहीं रहता."
बीजेपी कार्यकर्ताओं के स्वागत से अभिभूत सिंधिया ने कहा, "मैं अपने आपको अब बीजेपी कार्यकर्ताओं के हवाले करता हूं. हमारा लक्ष्य राजनीति नहीं, जनसेवा है. हमारे लिए कुर्सी, पद महत्वपूर्ण नहीं होना चाहिए. केवल दो चीजें महत्वपूर्ण होनी चाहिए. सम्मान और पहचान. अगर मैं आपके हृदय में स्थान पाता हूं, तो खुद को धन्य मानता हूं. मैं अपना दिल लेकर आपके बीच आया हूं, केवल एक चीज साथ लेकर आया हूं वो है मेरी मेहनत. आपके दिल में स्थान पाना मेरे जीवन का लक्ष्य होगा. जहां आपका एक बूंद पसीना गिरेगा, वहां मैं अपना खून गिरा दूंगा."