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- राष्ट्रीय सुरक्षा का...
भोपाल। देश में पिछले चार दिन से तहलका मचा रहे पेगासस जासूसी कांड को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बुधवार को मोदी सरकार पर तीखा हमला किया ! उन्होंने सवाल उठाया है कि क्या आज राष्ट्रीय सुरक्षा का मतलब मोदी सुरक्षा हो गया है! वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती दी है कि अगर वे जो कुछ कह रहे हैं वह सच है तो वे सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहें कि इस जासूसी कांड में उनकी सरकार का कोई हाथ नही है।साथ ही ऐलान करें कि सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश की निगरानी में इस मामले की जांच कराएंगे।न्यायाधीश का चयन विपक्ष की सहमति से होना चाहिये।
मध्यप्रदेश कांग्रेस के मुखिया कमलनाथ के मुताविक देश की सुरक्षा के मद्देनजर सरकार के पास यह अधिकार है कि वह फोन टेप करा सकती है।उसके लिए देश में कानून है।फोन टेप कराने के लिए सरकार ने एक प्रक्रिया निर्धारित की हुई है।लेकिन यह सामान्य फोन टेपिंग का मामला नही है।जो तथ्य अंतरराष्ट्रीय मीडिया के जरिये सामने आए हैं वे यह सावित करते हैं कि यह मामला बहुत गंभीर है।
दुनियां के चुनिंदा पत्रकारों और संस्थाओं ने जो खुलासा किया है,अगर वह सच है तो यह देश के लिए बहुत बड़ी खतरे की घण्टी है।लोगों की निजता का हनन हो रहा है साथ ही देश के संविधान का उल्लंघन किया जा रहा है।यह तो आपातकाल से भी बुरी स्थिति है।तब तो घोषित आपातकाल था।लेकिन अब क्या है?अब क्यों सरकार लोगों की निजी जिंदगी में झांक रही है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री के मुताविक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्री कह रहे हैं उनकी सरकार ने किसी की जासूसी नही कराई है।हम मान लेते हैं कि वह सच कह रहे हैं।लेकिन यह सच तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहना चाहिए।सरकार कहे कि उसने इस्राइल की कम्पनी से पेगासस का लाइसेंस नही खरीदा है। न ही किसी की जासूसी कराई है।साथ ही इस पूरे मामले की जांच कराने की घोषणा करे।लेकिन प्रधानमंत्री और उनके गृहमंत्री यह मामला सामने आने के समय पर सवाल उठा रहे हैं।उसकी क्रोनोलॉजी समझा रहे हैं।भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री को भी इसी काम में लगा दिया है।
कमलनाथ के मुताविक अगर मान भी लें कि सरकार ने लोगों की जासूसी नही कराई है।फिर तो यह और भी गंभीर मामला है।तत्काल जांच कराई जानी चाहिये।क्योंकि सरकार कह रही है कि हमने जासूसी नही कराई।जबकि इस्राइल की कम्पनी कह रही है कि वह यह सॉफ्टवेयर सिर्फ सरकारों को ही बेचती है।इसका मुख्य उद्देश्य आतंकबाद या ऐसे अन्य मामलों से निपटना और उनकी निगरानी करना है। जब सरकार ने खरीदा नही तो फिर कौन खरीद कर लाया?कौन इस्तेमाल कर रहा है।यह तो देश को पता लगना ही चाहिए।आखिर देश की सुरक्षा और लोगों की निजता का सवाल है।
कमलनाथ सवाल उठाते हैं कि जब इस्राइल इस सॉफ्टवेयर को तैयार कर रहा था तभी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस्राइल की यात्रा पर गए थे।यह 2017 बात है।उसके बाद ही यह जासूसी शुरू हुई है।यह महज संयोग है या फिर एक सुनियोजित "जासूस नीति" का हिस्सा है, यह भी देश को पता चलना चाहिए।
कमलनाथ के मुताविक सिर्फ कांग्रेस को कोसने से मोदी और शाह बच नही सकते।उन्हें देश को सच बताना होगा।फिर इस जासूसी में तो उनके मंत्री भी शामिल हैं। इसका सच तो देश के सामने आना ही चाहिये।आखिर सरकार के मंत्रियों की जासूसी कोई छोटी बात नही है।
दरअसल वर्तमान सरकार में नरेंद्र मोदी को देश मान लिया गया है।उनके हित को देश हित मान लिया गया है।इसी बजह से उन सब लोगों की जासूसी कराई गई है जो किसी भी तरह से मोदी के लिए समस्या बन सकते हैं या फिर बने हुए हैं।सबसे बड़ी दुर्भाग्य की बात यह है कि जिन सज्जन की जासूसी कराई गई वे ही अब संसद में सरकार का बचाव कर रहे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि पेगासस के जरिये कर्नाटक की कांग्रेस सरकार गिराई गयी थी।इसी के जरिये अन्य राज्यों में अस्थिरता लाने की कोशिश की जा रही है।इस समय झारखंड में विधायक खरीद कर सरकार गिराने की कोशिश की जा रही है।राजस्थान में इस तरह की कोशिश की जा चुकी है।अपनी सरकार गिराए जाने के बारे में उनका कहना था-हो सकता है।मैं कुछ कह नही सकता।लेकिन बेंगलुरु ले जाये गए विधायक मुझसे दूसरों के फोन से बात करते थे।वे कहते थे कि उनके फोन टैप किये जा रहे हैं।साथ ही वे यह कहना नही भूलते कि विधायकों को खरीदा गया था।
कमलनाथ ने साफ शब्दों में कहा है कि अगर नरेंद्र मोदी ने अपने लिए लोगों की जासूसी नही कराई है तो वे कोर्ट में हलफनामा देकर यह कहें और जांच कराएं।अन्यथा आने वाले दिनों में और भी बहुत खुलासे होंगे।यह मामला भारत के मीडिया ने नही उठाया है जिसे वह दबा सकते हैं।यह अंतरराष्ट्रीय मीडिया का उठाया मुद्दा है।फ्रांस ने इस पर जांच शुरु करा दी है।जल्दी ही पूरा सच सामने आ जायेगा।