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- संतोष की नसीहत के...
अरुण दीक्षित
भोपाल।भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बी एल संतोष द्वारा शिवराज और उनके मंत्रियों को दी गयी नसीहतें प्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई हैं।भाजपा के कई मंत्री इन नसीहतों का निहितार्थ खोज रहे हैं।
संतोष सोमवार को भोपाल में थे।उन्होंने प्रदेश भाजपा कार्यालय में करीब सवा घण्टे तक शिवराज और उनके मंत्रियों से बात की।इस दौरान उन्होंने सभी मंत्रियों को "गूढ़ज्ञान" दिया।सूत्रों के मुताविक पार्टी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री ने मंत्रियों से जोर देकर कहा-संगठन से बड़ा कोई नही!कोई नेता नहीं!इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा भी मौजूद थे।
भाजपा सूत्रों के मुताविक वास्तविकता यह है कि संतोष जी ने मुख्यमंत्री और मंत्रियों की क्लास ली।उन्हें यह बताया कि क्या क्या करना है।जनता और पार्टी के लोगों से किस तरह का तालमेल रखना है।मीडिया का उपयोग कैसे करना है और सोशल मीडिया पर अपनी और अपने साथी मंत्रियों की छवि कैसे सुधारनी है।
संतोष ने सभी मंत्रियों को यह समझाया कि कोई भी नेता संगठन से बड़ा नही है।कोई कितना भी बड़ा नेता क्यों न हो, संगठन के लिए वह एक आम कार्यकर्ता जैसा ही है।
संघ से भाजपा में आये संतोष ने मंत्रियों को समय की पाबंदी और कार्यकर्ताओं का महत्व भी समझाया।यह भी कहा कि जहाँ भी जाओ पार्टी अध्यक्ष और कार्यकर्ताओं से जरूर मिलना।
अन्य पदाधिकारियों की तरह संतोष ने भी सिंधिया के साथ भाजपा में आये मंत्रियों से उनके अनुभव पूछे!पूछा कि कांग्रेस से भाजपा में आकर कैसा लगा!मजे की बात यह है कि सभी पूर्व कांग्रेस मंत्रियों को कांग्रेस की तुलना में भाजपा में ज्यादा आंतरिक लोकतंत्र नजर आया।उन्हें कांग्रेस में अपनी बात कहने का मौका नही मिलता था।भाजपा में ऐसा नही है।यह अलग बात है कि कांग्रेस में हर छोटी मोटी बात पर सार्वजनिक रुप से बोलने वाले इन मंत्रियों की आवाज आजकल बंद ही रहती है।
उल्लेखनीय है कि इन दिनों भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व मध्यप्रदेश पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित किये हुए है।इससे पहले केंद्रित सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश भी मंत्रियों से फीड बैक ले चुके हैं।
दरअसल भाजपा नेतृत्व 2018 के विधानसभा चुनाव की हार का दंश भूल नही पा रहा है।यह अलग बात है कि कांग्रेस के विधायक तोड़ कर उसने फिर से राज्य में सरकार बना ली है।लेकिन जमीनी हकीकत का अहसास उसे है।उपचुनाव की जीत भी उसे 2023 के लिए आश्वस्त नही कर पा रही है।यह भी कह सकते हैं कि नेतृत्व को इन उपचुनावों की असलियत मालूम है।
सभी मंत्रियों को संतोष के प्रवचन में सबसे महत्वपूर्ण संदेश नेता और संगठन की हैसियत का लगा है।लेकिन वे यह भी जानना चाहते हैं कि आखिर यह संदेश किसके लिए था!मुख्यमंत्री या प्रदेश अध्यक्ष?क्योंकि मंत्रियों की हैसियत ऐसी नही है कि वे किसी मुगालते में रहें।फिलहाल यही बात चर्चा का विषय बनी हुई है।