भोपाल

Neemuch case नीमच कांड: मकान नही अपराधी का मनोवल तोड़ना होगा

अरुण दीक्षित
30 Aug 2021 12:03 PM IST
Neemuch case नीमच कांड: मकान नही अपराधी का मनोवल तोड़ना होगा
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भोपाल। मध्यप्रदेश के नीमच जिले में एक आदिवासी युवक को गाड़ी के पीछे बांधकर घसीटने के मामले में एक साथ कई घटनाएं हुई हैं।पुलिस ने मुख्य आरोपी का नया मकान तोड़ दिया है।5 लोग गिरफ्तार किए गए हैं।कांग्रेस ने पूरे मामले की जांच के लिए विधायकों की एक जांच समिति बनाई है।प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने घटना को दर्दनाक बताते हुए विपक्ष को ऐसे मुद्दों पर राजनीति नही करने की सलाह दी है।जबकि भाजपा के प्रवक्ता ने आरोपियों को कांग्रेस की पृष्ठभूमि का बताया है।

खास बात यह है कि अभी तक न तो मुख्यमंत्री शिव राज सिंह कुछ बोले हैं और न ही हर बात पर अपनी राय रखने वाले सरकार के प्रवक्ता गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कुछ कहा है।

पहले घटना की बात करते हैं।जानकारी के मुताविक यह घटना 26 अगस्त की है।नीमच के सिंगोली गांव के कान्हा भील पर गांव के ही महेंद्र गूजर ने चोरी का इल्जाम लगाया। 25 साल का आदिवासी कान्हा लगातार खुद को निर्दोष बताता रहा।लेकिन गांव की सरपंच के पति महेंद्र गूजर और उसके साथियों ने उसकी एक गुहार नही सुनी। उन्होंने पहले उसे जमकर पीटा।फिर एक गाड़ी के पीछे बांध कर फिल्मी स्टाइल में सड़क पर घसीटा। आदिवासी युवक के साथ दिन दहाड़े हुए इस अपराध को सैकड़ों लोगों ने देखा।लेकिन किसी ने उसे बचाने की कोशिश नही की।बाद में घायल कान्हा की अस्पताल में मौत हो गयी।

पुलिस तब जगी जब दो दिन बाद घटना का वीडियो वायरल हुआ।उसके बाद तत्काल मामला दर्ज हुआ।पुलिस ने शनिवार को इस मामले में 5 लोगों को गिरफ्तार किया।रविवार को नीमच पुलिस ने मुख्य आरोपी महेंद्र गूजर का सिंगोली गांव में बना आलीशान मकान ध्वस्त कर दिया।जिले के पुलिस कप्तान के मुताविक यह मकान अवैध था।

भाजपा के हाथों अपनी सरकार गंवा चुके पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शिवराज सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में अराजकता का माहौल है।लोग वेख़ौफ़ होकर कानून अपने हाथ में ले रहे हैं।उन्होंने वरिष्ठ आदिवासी विधायक कांतिलाल भूरिया की अगुवाई में विधायकों की एक समिति बनाई है।यह समिति सिंगोली जाकर घटना की जांच करके अपनी रिपोर्ट उन्हें सौंपेगी।

उधर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने कहा है कि सरकार ने तत्परता एक्शन लिया है।विपक्ष को ऐसे मामलों में राजनीति नही करनी चाहिये।उन्होंने घटना को दर्दनाक भी बताया और कहा कि इस तरह के अपराध करने वालों को कड़ा दंड मिलना चाहिये।उन्हें छोड़ा नही जाएगा।उनके एक प्रवक्ता ने भोपाल में यह दावा भी कर दिया कि अपराधी पकड़ लिए गए हैं।वे सभी कांग्रेस पृष्ठभूमि के हैं।उन्होंने ट्वीट करके पुलिस की प्रशंसा भी की।

इस बीच आदिवासियों के संगठन जयस ने सिंगोली में पंचायत करने का ऐलान किया है।

इन सब बातों के बीच सवाल यह है कि सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी अपराधी निरंकुश क्यों हैं।पिछले कुछ समय से पुलिस ने एक नया चलन शुरू किया है।वह आरोपियों के मकान तोड़ रही है।सवाल यह भी है कि क्या तोड़ा जाना जरूरी है?अपराधियों का मनोबल या फिर उनके मकान!

पिछली कुछ बड़ी घटनाओं पर नजर डालें तो यह पता चलता है कि हर बड़ी घटना के आरोपियों के मकान पुलिस ने तोड़े हैं।नेमावर में बलात्कार के बाद सामूहिक हत्याओं के आरोपियों के पैतृक घर पुलिस ने ध्वस्त कर दिए।मंदसौर जिले में जहरीली शराब बेचने वाले का घर पुलिस ने गिरा दिया।जबलपुर में भी इसी तरह मकान गिराए गए।

प्रदेश की राजधानी भोपाल और आर्थिक राजधानी इंदौर में कई मकान इसीलिए तोड़े गए क्योंकि वे अपराधियों से जुड़े थे।

अपराधियों के मकान तोड़कर पुलिस तत्काल रॉबिनहुड की छवि पा लेती है।उसकी सारी अक्षमताएं ध्वस्त हुए मकानों के मलबे में दब जाती हैं।फिर कोई नही पूछता है कि जब ये आलीशान अवैध मकान बन रहे थे तब पुलिस कहाँ थी।

आखिर अपराधियों का मनोबल कमजोर क्यों नही होता।सरकार बड़े बड़े दावे करती है।सख्त कानून बनाती है।लेकिन वे कानून वेअसर सावित हो रहे हैं।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री यह दावा करते हैं कि उन्होंने अपने राज्य में बलात्कारी को फांसी की सजा का कानून बनाया है।वे कहते हैं कि किसी बलात्कारी को छोड़ा नही जाएगा।नए बने कानून के तहत कुछ अपराधियों को फांसी की सजा भी पिछले सालों में दी गयी है।लेकिन आज तक किसी को भी फांसी नही हुई है।मामले अदालतों में लटके हुए हैं।दूसरी ओर कडबा सच यह है कि मौत की सजा भी अपराधियों का मनोवल तोड़ नही पायी है।महिलाओं और बच्चियों के साथ होने वाले अपराधों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है।कमी नही आयी है।

दअरसल हमारी पूरी व्यवस्था इस तरह की बन गयी है कि कानून का डर ही खत्म हो गया।राजनीति में अपराधियों के प्रवेश के बाद कानून अपने आप में मजाक सा बन गया है।

विधि विशेषज्ञ और हिन्दू विचारक अनिल चावला कहते हैं-हमारी पूरी व्यवस्था पटरी से उतर गई है।किसी अपराधी का मकान तोड़ना किसी भी अपराध की सजा नही हो सकती।क्योंकि अपराध एक व्यक्ति ने किया लेकिन आपने सजा उन सबको दे दी जो उस घर में रह रहे थे।इससे उन सबके मन में व्यवस्था के प्रति गुस्सा पनपेगा और वे सब उस एक के साथ पूरी ताकत के साथ खड़े हो जाएंगे जिसकी बजह से घर तोड़ा गया।

अनिल जी रामायण का उदाहरण देते हैं।उनके मुताविक राम ने जब बाली का वध किया तब प्राण निकलने से पहले उसने उन्हें बहुत भला बुरा कहा।लेकिन राम ने पूरे धैर्य के साथ उसे उसका अपराध समझाया।साथ ही कहा कि इस दंड के बाद वह अपराध मुक्त हो गया है।

राम की बात समझने के बाद बाली ने न केवल अपना दंड स्वीकार किया बल्कि अपने पुत्र अंगद को उन्हें सौंप दिया।रामायण बताती है कि अंगद ने पूरी निष्ठा से राम की सेवा की।कभी उसके मन में यह विचार नही आया कि राम ने उसके पिता का वध किया था।क्योंकि उसे अपने पिता द्वारा किये गए अपराध का ज्ञान था।

कानून विशेषज्ञ चावला कहते हैं-पूरी व्यवस्था में गड़बड़ी है।यूं कहें कि हमारी व्यवस्था सड़ गल गयी है।उसमें न पारदर्शिता बची है न निष्पक्षता! जिन्हें समाज आदर्श मानता है उनकी उजली कमीजें दागों से भरी हैं।

यही बजह है कि कानून या समाज का डर खत्म हो गया है।आप एक मकान तोड़कर अपराधी को सजा नही देते हो बल्कि उसके जत्थे को और बढ़ाते हो।जो उपाय किये जाने चाहिए वह किताबों में दब कर दम तोड़ रहे हैं।सरकारी व्यवस्था का हर अंग वह सब कर रहा है जो उसे नही करना चाहिए। यही बजह है कि कानून का डर ही खत्म हो गया है। हमारा कानून कहता है कि हजार अपराधी छूट जाएं पर एक निर्दोष को सजा न मिले।लेकिन सच यह है कि आज देश में लाखों लोग उन अपराधों की सजा काट रहे हैं जो उन्होंने किये ही नही।अदालतों को भी सच पता है लेकिन वे उस देवी की पूजा करती हैं जिसकी आंखों पर पट्टी बंधी हुई है।ऐसे में कोई चमत्कार ही बदलाव ला सकता है।वरना पुलिस मकान तोड़ती रहेगी और अपराधियों का मनोबल मजबूत होता रहेगा।जबकि जरूरत मनोबल को तोड़ने की है मकान तोड़ने की नही।

आखिर कान्हा तो सड़क पर खींच कर मार दिया गया।अब किसी का मकान टूटे या बने उसे क्या फर्क पड़ने वाला।व्यवस्था ऐसी की जानी चाहिये कि भविष्य में किसी कान्हा को किसी महेंद्र के हाथों अपनी जान न गवानी पड़े।

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