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ommunal Tension in Madhya Pradesh: मध्यप्रदेश: बढ़ रहा है साम्प्रदायिक तनाव
भोपाल।मध्यप्रदेश में साम्प्रदायिक तनाव भड़काने की कोशिशें जारी हैं।पिछले रविवार को इंदौर में एक चूड़ी बेचने वाले की पिटाई के बाद गुरुवार को देवास के हाटपिपल्या में एक बिस्किट टोस्ट बेचने वाले को कुछ लोगों ने पीट दिया।जिस व्यक्ति को पीटा गया वह देवास जिले का ही रहने वाला है।वह गांव गांव घूमकर बिस्किट टोस्ट बेचता था।
इस बीच मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक विवेक जौहरी ने कहा है कि इंदौर में रविवार को थाने का घेराव करने में पीएफआई की कोई भूमिका नही थी।उन्होंने साफ किया है कि मुख्यमंत्री ने भी देश विरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है। उन्होंने किसी संगठन का नाम नही लिया है।
जब उनसे यह पूछा गया कि इंदौर के कलेक्टर मनीष सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस करके पीएफआई और एसडीपीआई का नाम लिया था ,तो पुलिस महानिदेशक ने कहा कि यह आप कलेक्टर से पूछिए की उन्होने यह बयान किस आधार पर दिया।
इसके साथ ही यह सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर इंदौर कलेक्टर ने किस आधार पर पीएफआई का नाम लिया।क्योंकि इंदौर में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक स्तर का अधिकारी तैनात है।लेकिन किसी पुलिस अधिकारी ने अपने बयान में पीएफआई का नाम नही लिया है।
उल्लेखनीय है कि गुरुवार को ही भारत के मुख्य न्यायाधीश ने छत्तीसगढ़ के मामले की सुनबाई करते हुए पुलिस अधिकारियों के सत्तारूढ़ दल के साथ मिलकर काम करने पर दुख जताया था।लेकिन मध्यप्रदेश में तो प्रशासनिक अधिकारी भी इसी दिशा में काम करते दिख रहे हैं।यह वास्तव में चिंता की बात है।
उल्लेखनीय है कि पिछले रविवार को इंदौर में एक वीडियो वायरल हुआ था।उसमें भगवा कपड़े पहने कुछ लोग एक युवा को पीटते दिखाई दे रहे हैं।कुछ लोग अन्य लोगों को भी उसे पीटने के लिए उकसा रहे थे।पिटने वाले युवक की पहचान उत्तरप्रदेश के हरदोई जिले के रहने वाले 25 साल के तस्लीम के रूप में हुई थी।
वीडियो वायरल होने के बाद रविवार शाम कुछ लोग कोतवाली थाने पहुंचे।उन्होंने तस्लीम को पीटने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने की मांग की।जनदवाब में इंदौर पुलिस ने वीडियो के जरिये तीन लोगों की पहचान करके उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।साथ ही यह भी कहा कि वीडियो के आधार पर अन्य लोगों की भी पहचान की जा रही है।
पुलिस ने इसके साथ ही उन लोगों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया जो तस्लीम के पक्ष में थाने पहुंचे थे।
इस मामले में मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सोमवार को सुबह भोपाल में बयान दिया कि चूड़ी बेचने वाले युवक के पास दो आधार कार्ड मिले हैं।उन्होंने चूड़ी बेचने द्वारा छेड़छाड़ की बात भी कही।साथ ही कहा कि मुकदमा दर्ज हो गया है।पुलिस अपना काम कर रही है।
लेकिन सोमवार की शाम इंदौर पुलिस ने एक नाबालिग बच्ची की शिकायत पर चूड़ी बेचने वाले तस्लीम के खिलाफ पॉस्को एक्ट सहित तमाम धाराओं में मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया।बच्ची की शिकायत में भी कमोवेश वही बातें दर्ज हैं जो गृहमंत्री ने सबेरे भोपाल में कही थीं।
मंगलवार को इंदौर के कलेक्टर मनीष सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस करके मीडिया को बताया कि कोतवाली का घेराव कराने में पीएफआई का हाथ है।आपको बता दें पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया दक्षिण भारत का वह संगठन है जो करीब एक दशक पहले दिल्ली पहुंचा था।पीएफआई खुद की तुलना राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से करता है।कुछ साल पहले उसने दक्षिण के कई राज्यों में फ्रीडम परेड का भी आयोजन किया था।भारतीय खुफिया एजेंसियों की उस पर नजर है।
इससे पहले मध्यप्रदेश में कभी उसका नाम सामने नही आया था।इंदौर कलेक्टर ने भले ही यह नाम लिया हो लेकिन पुलिस महानिदेशक जौहरी ने पीएफआई की भूमिका से इनकार किया है।अब सवाल यह उठता है कि जब पुलिस के आला अफसर नही बोले तो कलेक्टर साहब को यह इलहाम कहाँ से गया।या फिर सुप्रीम कोर्ट के मुखिया की चिंता जायज है।
इस मामले में एक तथ्य यह भी है कि जिस बच्ची ने चूड़ी वाले तस्लीम के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है उसके पिता को ही एक दिन पहले पुलिस ने तस्लीम को पीटने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
हालांकि पुलिस रिपोर्ट में कहा गया है कि लोकलाज की बजह से बच्ची थाने में शिकायत करने नही आई थी।लेकिन सवाल यह उठता है कि बच्ची को छेड़ने के आरोप में तस्लीम को पीटने वाला व्यक्ति अपनी बच्ची को लेकर रविवार को थाने क्यों नही गया।उसकी गिरफ्तारी के बाद ही थाने में शिकायत क्यों हुई।वह भी उन तथ्यों के साथ जिनका उदघाटन सुबह ही गृहमंत्री ने कर दिया था।इस मामले में पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।लेकिन इंदौर के पुलिस अफसर पूरी तरह मौन साधे हुए हैं।
इस मामले में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा एक कदम आगे निकल गए।उंन्होने दो पहचान पत्र रखने वाले तस्लीम के चूड़ी बेचने को ही सॉफ्ट आतंकवाद बता दिया।उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों से सख्ती से निपटेंगे।
इस घटना के ठीक चार दिन बाद देवास जिले के हाटपिपल्या में बिस्किट टोस्ट बेचने वाले 45 साल के जाहिद को दो लोगों ने सिर्फ इसलिए पीट दिया क्योंकि जब वह अपना सामान बेचने निकला तो आधारकार्ड ले जाना भूल गया था।देवास पुलिस ने दो अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।
इस बीच एक घटना और हुई।प्रदेश के कुछ इलाकों में हिन्दू संगठनों ने बुधवार को जुलूस निकाल कर यह मांग की कि जिन लोगों ने उज्जैन में देशविरोधी नारे लगाए हैं उनके खिलाफ रासुका में मुकदमा दर्ज किया जाए।उनकी संपत्ति जप्त की जाए।उन पर देशद्रोह का भी मुकदमा दर्ज किया जाए।
यहां यह भी बताना उचित होगा कि मोहर्रम के दिन उज्जैन में जुलूस के दौरान पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाने के आरोप में उज्जैन पुलिस ने कुछ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।कुछ लोग गिरफ्तार भी किये गए हैं।हालांकि कांग्रेस नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा की जुलूस में काजी साहब जिंदाबाद के नारे लगे थे।पाकिस्तान जिंदाबाद के नहीं।इस पर शिवराज सरकार के एक मंत्री ने दिग्विजय को पाकिस्तान का एजेंट तक कहा था।
यह महज संयोग है या एक सुनियोजित मुहिम कि हिंदूवादी संगठनों के जुलूस निकालने के एक दिन बाद उज्जैन प्रशासन ने एक इलाके से कथित अतिक्रमण हटा दिया।प्रशासन के मुताविक उसने सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाया है।जबकि सब जानते हैं जिस जगह से कथित अतिक्रमण हटाया गया है वहां ज्यादातर एक खास वर्ग के लोगों की दुकानें एवं अस्थायी घर थे।
सबसे आश्चर्य की बात यह है कि सत्तारूढ़ दल से जुटे कुछ लोग इसे पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाने की सजा के रूप में प्रचारित कर रहे हैं।सोशल मीडिया में इसको लेकर मुहिम चलाई जा रही है।
कुल मिलाकर जो हालात हैं उन्हें देखते हुए ऐसा लग रहा है कि मध्यप्रदेश में साम्प्रदायिक तनाव फैलाने की सुनियोजित साजिश चल रही है।प्रशासन इसे रोकने की बजाय आग में घी डालने का काम कर रहा है।
राजनैतिक क्षेत्रों में यह कहा जा रहा है कि यह सब प्रदेश में होने वाले उपचुनाव औऱ पड़ोसी राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारी का हिस्सा है।आने वाले दिनों में कुछ नए इलाकों में चूड़ी वाले और बिस्किट वाले निशाने पर लिए जा सकते हैं।
सत्तारूढ़ दल के नेताओं और सरकार के मंत्रियों के बयान इस आशंका को पुष्ट कर रहे हैं।