भोपाल

दुर्गा अष्टमी के दिन एक साथ उठीं 4 अर्थियां मचा हाहाकार, हरदा में बेटा-बहू और दो पोतियों का चेहरा तक नहीं देख सकी मां

Shiv Kumar Mishra
4 Oct 2022 3:56 PM IST
दुर्गा अष्टमी के दिन एक साथ उठीं 4 अर्थियां मचा हाहाकार, हरदा में बेटा-बहू और दो पोतियों का चेहरा तक नहीं देख सकी मां
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हरदा में दुर्गाष्टमी के दिन एक साथ चार अर्थियां उठी। अंतिम विदाई से पहले मां अपने बेटे-बहू और पोतियों का चेहरा देखने के लिए बार-बार कहती रही, लेकिन कोई भी उनका चेहरा दिखाने की हिम्मत नहीं कर सका। हरदा के छीपानेर रोड पर रहने वाला शुक्ला परिवार देवी पूजन के लिए उन्नाव (यूपी) जा रहा था। सागर के पास रविवार को सड़क दुर्घटना में मोहित शुक्ला (40), पत्नी दक्षा शुक्ला (35), दो बेटियों मान्या (8) और लावण्या (14) की मौके पर ही मौत हो गई। सोमवार को हरदा में उनका अंतिम संस्कार किया गया।

लाड़ले को अंतिम बार दुलार भी नहीं कर सकी

सोमवार की सुबह 7 बज रहे थे। सागर से पति-पत्नी और दो बेटियों के शवों को एंबुलेंस से हरदा लाया गया। मोहित के परिजन सुबह 9 बजे वाहन से शवों के लेकर घर के सामने पहुंचे। सड़क दुर्घटना में चारों शव क्षत-विक्षत हो गए थे। ऐसे में किसी को उनका चेहरा तक नहीं दिखाया गया। मोहित की बुजुर्ग मां शकुंतला देवी अपने बेटे-बहू और दोनों पोतियों का चेहरा दिखाने के लिए कहती रही। वह अंतिम बार चारों को दुलार करने का कहकर रोती रही। मां को अपने कलेजे के टुकड़े का चेहरा देखे बिना ही अंतिम विदाई देनी पड़ी। एक साथ पति-पत्नी और दो बेटियों की अर्थी उठते देख वहां मौजूद लोगों की आंखें भर आई। शवों को शांति वाहन से मुक्तिधाम ले जाया गया। वहां पर मोहित और दक्षा का अलग-अलग चिताओं पर अंतिम संस्कार किया गया। वहीं दो बेटियों लावण्या और मान्या को एक ही चिता पर अंत्येष्टि की गई। मोहित के मंझले चाचा के बेटे ने मुखाग्नि दी।

डेढ़ साल पहले हुआ था पिता का निधन

मोहित के पिता रमाकांत शुक्ला वन विभाग हरदा कार्यरत थे। डेढ़ साल पहले सेवानिवृत्ति के कुछ दिन बाद ही उनका निधन हो गया था। मोहित इंदौर में नौकरी करता था। छुट्‌टी के दिनों में हरदा आता था। उसकी पत्नी दक्षा और दोनों बेटियां मां शकुंतला देवी के साथ रहती थी। लावण्या व मान्या एक पल भी दादी के बिना नहीं रहती थी। अंतिम विदाई के दौरान शकुंतला देवी यही कह रही थी कि जाने किस कारण उन्हें इतना बड़ा दुःख देखना पड़ा। मोहित का बड़ा भाई नीरज शुक्ला करीब 10 साल से अपने परिवार के साथ भोपाल में रहता है।

बिलख-बिलखकर रोए दक्षा के पिता

दक्षा के 71 वर्षीय पिता द्वारकानाथ तिवारी भी बिलख-बिलखकर रो रहे थे। अंतिम संस्कार के दौरान वे कहने लगे मेरी प्यारी बेटी ने कभी भी गुस्सा नहीं किया। वह मेरी लाडली थी, मैंने अपने जाने की सोच रहा था, मुझे मेरी बेटी-दामाद व नातनियों को इस तरह बिना चेहरा देखे अंतिम विदाई देनी पड़ी है। पता नहीं भगवान मुझे और क्या दिन दिखाएगा।

रात में बड़े भाई के पास रुके थे भोपाल

मोहित शुक्ला परिवार के साथ शनिवार को हरदा से निकले थे। भोपाल में बड़े भाई के घर रुके और भोपाल से रविवार सुबह खुशी-खुशी अष्टमी पूजन के लिए उन्नाव में अपने पैतृक गांव खरेली के लिए दो कारों से निकले। इसमें एक कार सागर-राहतगढ़ मार्ग पर बेरखेड़ी के पास हादसे का शिकार हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बेरखेड़ी के पास तेज रफ्तार ट्रक ने कार को साइड से टक्कर मार दी। सभी कार सवार अंदर ही बुरी तरह फंस गए। मौके पर मौजूद लोगों ने कार के क्षतिग्रस्त हिस्से को सब्बल की मदद से उठाया, तब जाकर उनको बाहर निकाला जा सका।

साभार दैनिक भास्कर

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