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साध्वी प्रज्ञा ठाकुर अपनी जेल की यात्रा बताते समय फूट फूट कर रोने लगी, मौजूद भीड़ भी रो पड़ी
भोपाल लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवार प्रज्ञा ठाकुर ने आज एक कार्यक्रम के दौरान अपनी जेल यात्रा की बात की. उन्होंने अपनी कहानी सुनाते समय भावुक हो गई आँखों से झर झर आंसू बहने लगे. उनकी यह मनोदशा देख कर मौजूद भीड़ की आँखें नम हो गई.
साध्वी प्रज्ञा ने कहा, 'जब मुझे लेकर गए गैर कानूनी तरीके से 13 दिन तक रखा. पहले ही दिन बिना कुछ पूछे हुए, उन्होंने मुझे बुलाया, ढेर पुलिस थी और मुझे बुलाकर उन्होंने जो पीटना शुरू किया. उन्होंने मुझे चौ़ड़ी बेल्ट (फट्टे) से मारा, जिसमें लकड़ी का एक हत्था लगा होता है। उस बेल्ट से मारते थे. एक भी बेल्ट हाथ में पड़ता है तो पूरा सूज जाता है. आप अगर दूसरा बेल्ट झेल पाएंगे तो आपके हाथ फट जाएंगे.
उन्होंने कहा कि ये जो बेल्ट मारते थे पूरा नर्वस सिस्टम ढीला पड़ जाता था. सुन्न पड़ जाते थे,और ये दिन और रात पीटते थे. मैं आपके सामने अपनी पीड़ा नहीं बता रही हूं, लेकिन इतना कह रही हूं कि और कोई बहन आज के बाद कभी भी इस पीड़ा का सामना न कर सके. (साध्वी प्रज्ञा रोते हुए और आंसू पोछते हुए) इतनी गंदी गालियां देते थे, पीटते-पीटते। धमकाते थे उल्टा लटका देंगे. तुझे निर्वस्त्र कर देंगे. असहनीय है मेरे लिए कहना.'
प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि जब मुझे सुबह से लेकर शाम तक पीटा जाता था सिर्फ और सिर्फ इसलिये कि मैं यह स्वीकार कर लूँ कि यह विस्फोट मैंने किया है. लेकिन मुझे दुःख तो तब ज्यादा होता था जब सुबह से लेकर शाम तक मुझे तरह तरह की यातनाओं से गुजर कर बुरी तरह टॉर्चर ही नहीं पीटा भी जाता था, लेकिन पीटने वाले थककर दिन में कई लोग बदल जाते थे लेकिन पिटने वाली सिर्फ अकेली में होती थी.
#WATCH: Alleging torture by jail officials, Sadhvi Pragya Singh Thakur, BJP Lok Sabha candidate from Bhopal, breaks down while addressing the party workers pic.twitter.com/UVUomvmJZ2
— ANI (@ANI) April 18, 2019
क्या है मालेगांव काण्ड
मालेगांव ब्लास्ट 2008 मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है। इस मामले में जांच एजेंसी एनआईए पहले ही उन पर से आरोप वापस ले चुकी है। यहां पढ़ें मालेगांव ब्लास्ट मामले से जुड़ी हर बात।
29 सितंबर 2008 को हुए मालेगांव धमाके में 4 लोगों की मौत हो गई थी और 79 को चोटें आईं। नासिक जिले के मालेगांव शहर में शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट कंपनी के पास यह धमाका हुआ। यहां एक मोटरसाइकिल में छिपाकर विस्फोटक पदार्थ रखा हुआ था।
इस धमाके की जांच महाराष्ट्र एटीएस को सौंपी गई। एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे (26/11 मुंबई आतंकी हमले में शहीद हो गए) ने इसकी जांच शुरू की तो मोटरसाइकिल मालिक की जांच उन्हें सूरत तक ले गई। यहीं से एटीएस के हाथ साध्वी प्रज्ञा ठाकुर तक पहुंचे।
इसी क्रम में कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित और रिटायर मेजर रमेश उपाध्याय भी गिरफ्त में आए। इस धमाके में अभिनव भारत संगठन की तरफ भी उंगलियां उठीं। इनमें से कुछ लोगों के नाम मालेगांव 2006 जैसे अन्य घटनाओं में भी आया।
20 जनवरी 2009 और 21 अप्रैल 2011 को महाराष्ट्र एटीएस ने मुंबई की विशेष मकोका अदालत में 14 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। 8 लोगों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया, जबकि 4 को जमानत मिल गई। इनके अलावा दो आरोपी गिरफ्त से बाहर थे।
गृह मंत्रालय के निर्देशों पर 13 अप्रैल 2011 को यह मामला महाराष्ट्र एटीएस से एनआईए को सौंप दिया गया।
13 मई 2016 को एनआईए ने सबूतों के अभाव मे अपनी चार्जशीट में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और पांच अन्य के खिलाफ सभी आरोप वापस ले लिए।
28 जून 2016 को विशेष एनआईए कोर्ट ने इस मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। जबकि इससे एक महीने पहले ही जांच एजेंसी ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी।
25 अप्रैल 2017 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को सशर्त जमानत दे दी। लेकिन उन्हें अपना पासपोर्ट एनआइए के पास जमा कराना होगा और 5 लाख रुपये की जमानत राशि भी देनी होगी। इसके अलावा साध्वी को ट्रायल कोर्ट में तारीखों पर उपस्थित होने का भी निर्देश कोर्ट ने दिया है।