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- मंत्री को "राजा" बनाने...
अठारहवीं सदी के मशहूर योद्धा महाराज छत्रसाल एक बार फिर चर्चा में हैं!फिलहाल उनका जिक्र उनके वंशजों की वजह से हो रहा है।राज्य सरकार की भी इसमें अहम भूमिका है!पन्ना जिले के प्रशासन ने सरकार के एक मंत्री को खुश करने के लिए जिस तरह की हरकत की उस पर सब हैरत में है।साथ ही सवाल यह भी उठा है कि क्या पुलिस किसी पूर्व राजपरिवार के सदस्यों को उनके ही पुश्तैनी मंदिर में पारंपरिक पूजा करने से रोक सकती है ?
घटना कृष्ण जन्माष्टमी की रात की है!पन्ना के मशहूर और ऐतिहासिक युगल किशोर मंदिर में पूर्व राज परिवार परंपरा के मुताबिक पूजन करने गया।महाराज छत्रसाल के वंशज छत्रसाल द्वितीय अपनी मां जीतेश्वरी देवी के साथ मंदिर पहुंचे थे।लेकिन उन्हें अपने ही मंदिर में घुसने ही नही दिया गया।छत्रसाल द्वितीय वर्तमान राजपरिवार के वारिस हैं।वे अभी नाबालिग हैं।उन्हें महाराज और उनकी मां जीतेश्वरी देवी को राजमाता का दर्जा मिला हुआ है।छत्रसाल के पिता राघवेंद्र सिंह का कुछ समय पहले निधन हो चुका है।
अपने बेटे को परंपरा निभाने से रोके जाने से नाराज जीतेश्वरी देवी पीछे के दरवाजे से मंदिर में घुसी।उन्होंने गर्भगृह में जाकर पुजारी के हाथ से चंवर लेकर उसे भगवान के सामने डुलाने की कोशिश की।इसी बात पर हंगामा हुआ।
इसका एक वीडियो भी सामने आया।जिसमें मंदिर के पुजारी राजमाता जीतेश्वरी देवी को धक्के मारते हुए दिखाई दे रहे हैं।अपमान से नाराज महारानी विरोध करती हैं। इस पर मंदिर में मौजूद पुलिस कर्मी उन्हें धक्का मारकर जमीन पर गिरा देते हैं। उन्हें घसीटते हुए बाहर ले जाते हैं। पुलिस उनके खिलाफ धारा 295 ए और 353 के तहत मुकदमा दर्ज करती है। महारानी को गिरफ्तार किया जाता है।निचली अदालत से जमानत न मिलने पर उन्हें जेल भेज दिया जाता है।अगले दिन जिला अदालत से उन्हें जमानत मिलती है।
घटना का वीडियो सामने आने के बाद मंदिर के पुजारी और स्थानीय पुलिस ने प्रचारित किया कि महारानी ने शराब पीकर मंदिर में हंगामा किया था।हालांकि इस बात की पुष्टि किसी स्तर पर नही हुई कि महारानी ने शराब पी हुई थी।वीडियो में भी वे क्रोध के अतिरेक में दिखाई दे रही हैं।
इस वीडियो के बाद मंदिर परिसर का एक और वीडियो सामने आया।इसमें महारानी अपने नाबालिग पुत्र के साथ मंदिर के दरवाजे पर खड़ी हैं।पुलिस ने दरवाजा बन्द कर रखा है।वह मां बेटे को उनके ही मंदिर में नही घुसने दे रही है।बाद में महारानी पिछले दरवाजे से मंदिर में घुसती हैं।फिर हंगामा हो जाता है।
पुलिस द्वारा महारानी की गिरफ्तारी और उन्हें नशे में बताए जाने के बाद नाबालिग छत्रसाल द्वितीय ने एक वीडियो जारी करके पन्ना के लोगों को सच्चाई बताई है।छत्रसाल के मुताबिक मध्यप्रदेश सरकार के एक मंत्री के इशारे पर यह सब हुआ है।जिला प्रशासन मंत्री को राजपरिवार से ऊपर बताना चाहता है।इसलिए एक सोची समझी साजिश के तहत यह सब किया गया।छत्रसाल के मुताबिक जन्माष्टमी के दो दिन पहले बलदाऊ छठ पर मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह मंदिर पहुंचे थे।मंदिर के पुजारियों ने छत्रसाल की मौजूदगी में मंत्री के लिए दूसरा चंवर निकाला।यह मंदिर की 300 साल पुरानी परंपरा का उल्लंघन था।क्योंकि अकेला राजा ही भगवान पर चंवर डुलाता था।
छत्रसाल ने पुजारियों से इस पर सवाल किया।उन्होंने कहा कि दो चंवर डुलाने की परंपरा नही है।यह अपशकुन माना जाता है।उनका आरोप है कि इसी वजह से उनके परिवार के खिलाफ षडयंत्र रचा गया और उनकी मां को अपमानित करके जेल भेजा गया।
इस पूरे मामले पर पन्ना पुलिस और जिला प्रशासन की ओर से कोई सफाई नही आई है।न ही राज्यसरकार की ओर से कुछ कहा गया है।महिलाओं के सम्मान के नाम पर सरकारी खजाने से करोड़ों रुपए लुटाने वाले मुख्यमंत्री भी मौन हैं।
उधर पन्ना के लोग भी मानते हैं कि महारानी को जेल भेजा जाना एक सामान्य घटना नही है।पन्ना राजघराने के आंतरिक विवाद काफी पुराने हैं।राज परिवार के पास अथाह संपत्ति है।इसी वजह से स्वर्गीय राघवेंद्र सिंह का अपनी मां महारानी दिलहर कुमारी से विवाद था।दिलहर कुमारी की शिकायत पर राघवेंद्र सिंह को जेल भी जाना पड़ा था।जीतेश्वरी देवी को गिरफ्तार किया गया था।
राघवेंद्र सिंह की बीमारी से मृत्यु के बाद उनके नाबालिग पुत्र छत्रसाल द्वितीय को परंपरा अनुसार राजगद्दी का वारिस और महाराज घोषित किया गया।इसके बाद जीतेश्वरी देवी को राजमाता का दर्जा मिला।
महारानी दिलहर कुमारी से चल रहा संपत्ति विवाद राघवेंद्र सिंह की मौत के बाद और गहराया है।जिन मंत्री पर आरोप लग रहा है वे भी राजपूत हैं।लेकिन राजपरिवार से उनका कोई संबंध नहीं है।महल की अंदरूनी लड़ाई में मंत्री जी दिलहर कुमारी के साथ बताए जाते हैं।
कहा यह भी जा रहा है कि इस लड़ाई में वे खुद "राजा" बनना चाहते हैं।इसी वजह से वे बलदाऊ छठ पर मंदिर पहुंचे।पुजारियों ने उन्हें राजा की जगह चंवर डुलाने को दिया।छत्रसाल द्वितीय ने विरोध किया तो जन्माष्टमी पर उनके ही मंदिर में उन्हें नही घुसने दिया।एक विधवा महिला के साथ जो व्यवहार पुलिस ने किया वह भी सबने देखा।
राजपरिवारों के अंतर्विरोध और संघर्ष जगजाहिर हैं।प्रदेश और देश का शायद ही कोई ऐसा पूर्व राजघराना होगा जिसमें संपत्ति को लेकर विवाद नही हैं।राजनीति में स्थापित सिंधिया परिवार में भी विवाद रहे हैं।लेकिन यह पहला मौका है जब एक मंत्री के इशारे पर राज परिवार की प्रमुख महिला को इस तरह गिरफ्तार किया गया हो।
ऐसा नहीं है कि शिवराज सरकार राज परिवारों की विरोधी है।वे तो राज परिवारों को पूरा सम्मान देते रहे हैं।कुछ साल पहले उन्होंने यह राजाग्या जारी की थी कि उनके मंत्रिमंडल की सदस्य यशोधरा राजे सिंधिया के नाम से पहले "श्रीमंत" लिखा जाए।इसका पालन भी हो रहा है।
लेकिन पन्ना की महारानी के साथ हुए इस व्यवहार पर वे अभी तक मौन हैं।शायद इसकी वजह उनके अपने मंत्री हों।लेकिन उनका मौन उन पर सवाल खड़े कर रहा है!
उल्लेखनीय है कि महाराज छत्रसाल ने 1731 में अपना राज्य स्थापित किया था।आजादी के बाद 1950 तक यह राज्य अस्तित्व में रहा था।उसके बाद परम्पराओं का अनुसरण हो रहा है।
अब युवा छत्रसाल द्वितीय बेबस होकर पूछ रहे हैं - भगवान श्रीकृष्ण के सामने ही एक महिला को घसीटा गया।अपमानित किया गया।क्या यह सही है? वे साफ कहते हैं कि एक मंत्री के इशारे पर यह सब हुआ है!लेकिन उनके इस सवाल का जवाब कौन दे!
जिन पर चंवर डुलाने को लेकर यह विवाद हुआ वे भगवान श्रीकृष्ण तो सामने आकर कुछ बोलने से रहे!लेकिन अगर लीलाधर ने खुद अपना "चंवर" तनिक भी डुला दिया तो फिर क्या होगा ? इसकी तो कल्पना भी नहीं की जा सकती है!
लेकिन सत्ता के मद में चूर लोगों को यह समझाए कौन ?मद भी उनका जो अपनी सत्ता के लिए सरकारी खर्च पर प्रदेश भर में देवी देवताओं के "भव्य राजप्रासाद" बनवा रहे हैं।और खुद को सबसे बड़ा "भक्त" बता रहे हैं।शायद इसीलिए तो कहते हैं कि अपना एमपी गज्जब है!सरकार के मंत्री यहां के नए "राजा" हैं!!!