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नर्मदा के विस्थापितों के पक्ष में उतरे राकेश टिकैत, हन्नान मोल्ला, योगेंद्र यादव
किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष, पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि आज 3 बजे नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (एन सी ए) की बैठक थी। बैठक में मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान के मुख्यमंत्री को शामिल होना था।
आज सुबह संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने सभी मुख्यमंत्रीयों को पत्र लिखकर उनसे 110 मीटर से नीचे जलाशय का जलस्तर उतारने की मंजूरी नहीं देने की मांग की। किसान नेताओं ने पत्र के माध्यम से आशा व्यक्त की कि बैठक विस्थापितों , घाटी के किसानों के ही पक्ष में निर्णय लाएगी | घाटी वासियों को संघर्ष करने को मजबूर न करते हुए उनके संगठित शक्ति के साथ संवाद करेगी।
उल्लेखनीय है कि 17 अगस्त को संयुक्त किसान मोर्चा से पूर्व सांसद, अखिल भारतीय किसान सभा के महामंत्री हन्नान मौला, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत , जय किसान आंदोलन के संयोजक योगेंद्र यादव एवं किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष डॉ सुनीलम नर्मदा किसान मजदूर जन संसद में शामिल होने बड़वानी गए थे जहां उन्होंने हजारों किसानो, मजदूरों , पशु पालकों की बात सुनी तथा नर्मदा नदी और डूबे हुए गाँव, सरदार सरोवर जलाशय की स्थिति एवं जल संकट देखा जिसके आधार पर यह पत्र लिखा गया है ।
तीनों नेताओं ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को पत्र लिखकर नर्मदा के विस्थापितों के हितों की रक्षा करने की मांग की है।
पत्र में कहा गया है कि बड़वानी में हुई जनसंसद के दौरान खबर मिली कि आज 24 अगस्त को नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण की बैठक में सरदार सरोवर बांध परियोजना के संबंध में कुछ प्रस्ताव रखे जा रहे हैं । इसमें गुजरात शासन मुख्य नहर कासार और न्यूनतम जलस्तर, जो ट्रिब्यूनल के अनुसार 110 मी. ही रखा गया है, उसमें एक प्रकार का बदलाव चाहती है | 88 मीटर पर गुजरात ने बनाये इरिगेशन बायपास टनेल्स के द्वारा ( जिनकी क्षमता कुल 25000 क्युसेक की है ) गुजरात शासन पानी निकालने की मंजुरी चाहती है। इसका कारण बाँध रिसन अधिक होते, असुरक्षित बनने से सरदार सरोवर बांध के तल में भराव के कार्य बताया जा रहा है, जबकि पानी के नीचे से भी कार्य करना और 110 मीटर के नीचे जलाशय का जल स्तर उतारने की मंजुरी नहीं देना संभव है। मध्य प्रदेश के गॉंव-आबादी, उपजाऊ भूमि, लाखों पेड़, नदी के हिस्से का भी बलिदान देने के बाद आज तक बिजली का पूरा लाभ, संपूर्ण पुनर्वास के लिए फंड एवम् डूब में आए वन क्षेत्र की करोड़ों की भरपाई लेना बाकी है, तो बिजली का लाभ टनेल को मंजुरी देने से खत्म होगा और भरपाई की निश्चितता भी नहीं रहेगी |
आज की नर्मदा की स्थिति जो आगे भी आ सकती है, और गंभीर नहीं होने दे और पश्चिम निमाड़ के किसान और खेती सिंचाई, आबादी का जल सप्लाय पर संकट नहीं छाने दे।
यह पत्र संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से योगेंद्र यादव जी द्वारा मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को ईमेल द्वारा भेजा गया है..