भोपाल

शिवराज : टायगर से फीनिक्स तक का सफर

अरुण दीक्षित
12 Oct 2023 12:07 PM GMT
शिवराज : टायगर से फीनिक्स तक का सफर
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राख से निकल कर वापस आते किसी को देखा नहीं गया। पर अब शिवराज राख से वापस निकलने की दंभोक्ति कर रहे हैं तो अवश्य कुछ सोच समझ कर ही कर रहे होंगे। चलिए आगे आगे देखिए होता है क्या।

मध्यप्रदेश के "रिकॉर्डतोड़" मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पिछले कुछ दिनों से एकदम अलग मूड में हैं।खासतौर पर पिछले आठ दिन में उनका जो "चेहरा" सामने आया है,वह सबको चौंका रहा है।शीर्ष नेतृत्व के सामने हमेशा नतमस्तक रहने वाले शिवराज अचानक सीना ठोक कर उसके सामने खड़े हो गए हैं।उनके हावभाव और भाषा दोनों बदल गए हैं!ऐसा लग रहा है कि शीर्ष नेतृत्व को भी शिवराज के बदले तेवर समझ में आ गए हैं।

शिवराज के जीवन में यह बदलाव पिछले आठ दिन में दिखाई दिया है!यह एक ऐसा बदलाव है जिसने करीब साढ़े छह दशक की उनकी जिंदगी की तस्वीर ही बदल दी है।

अब जरा घटनाक्रम पर नजर डालते हैं।11अक्टूबर 2023 को उन्होंने भोपाल में एक रोड शो में कहा कि वे फीनिक्स पक्षी की तरह हैं।जो कभी खत्म नहीं होता है।सैकड़ों साल जीवित रहता है।फिर जल कर अपनी ही राख से पैदा हो जाता है।फीनिक्स दुनियां में अपनी तरह का अकेला पक्षी माना जाता है।जिसका अपना कोई परिवार नही होता है।वह सैकड़ों साल की अपनी जिंदगी अकेले ही जीता है।

इसके पहले भी शिवराज ने इसी तरह का बयान दिया था।बात साल 2018 के आखिरी महीने की है।विधानसभा चुनाव हार कर जब शिवराज मुख्यमंत्री का अधिकृत आवास छोड़ रहे थे तब उन्होंने अपने लोगों से कहा था - चिंता मत करना मैं हूं न ! टायगर अभी जिंदा है!

टायगर से फीनिक्स तक के सफर में शिवराज सिंह चौहान के जीवन में बहुत पानी बह गया है।मुख्यमंत्री की जो कुर्सी उन्होंने जनता की वजह से खोई थी,वह ज्योतिरादित्य सिंधिया की कांग्रेस से बगावत के चलते,15 महीने बाद ही उन्हें फिर मिल गई थी।फर्क सिर्फ इतना था कि इस बार यह कुर्सी उन्हें नरेंद्र मोदी की कृपा से मिली थी।क्योंकि उन्होंने ही उन्हें फिर से मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया था।कमलनाथ सरकार के पतन में अहम भूमिका निभाने वाले अमित शाह किसी और को मुख्यमंत्री बनाने का आश्वासन दे चुके थे।लेकिन मोदी ने शिवराज का साथ दिया।

अब करीब पौने चार साल बाद शिवराज सिंह चौहान फिर उसी स्थिति में हैं जिसमें दिसंबर 2018 में थे।फर्क इतना है कि तब वे चुनाव हार चुके थे।अब वे मुख्यमंत्री तो हैं लेकिन उन्हें पता है कि आने वाली दिसंबर में उनकी ताजपोशी नही होगी।माना जा रहा है एक बार फिर उन्हें टायगर जिंदा है..कहना पड़ सकता है।लेकिन वे अक्तूबर में ही टायगर से फीनिक्स पर पहुंच गए।

दरअसल पिछले चार महीने में जो घटनाक्रम हुआ है,वह बताता है कि केंद्रीय नेतृत्व(नरेंद्र मोदी - अमित शाह) ने यह तय कर लिया है कि वह मध्यप्रदेश विधानसभा का चुनाव तो किसी भी कीमत पर जीतेगा लेकिन शिवराज सिंह को पांचवी बार मुख्यमंत्री नही बनने देगा।इसलिए जब अमित शाह ने प्रदेश में विधानसभा चुनाव की व्यवस्था अपने हाथ में ली तब यह भी साफ कर दिया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भाजपा के मुख्यमंत्री चेहरा नही होंगे।अमित शाह ने शुरू से ही यह कहा कि मध्यप्रदेश में सामूहिक नेतृत्व और दिल्ली में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनेगी।दूसरी सूची में प्रदेश के बड़े बड़े नेताओं के नाम डाल कर यह प्रमाणित भी किया।

एक ओर शिवराज सरकारी खजाने के बल पर पांचवी बार मुख्यमंत्री बनने की तैयारी कर रहे थे वहीं अमित शाह लगातार प्रदेश में सामूहिक नेतृत्व की बात कर रहे थे।बीजेपी का कोई भी नेता शिवराज सिंह का नाम लेने को तैयार नहीं था।

25 सितम्बर 2023 को, दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के दिन, भोपाल में नरेंद्र मोदी ने भी अमित शाह की बात पर मोहर लगाई।लाखों पार्टी कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में मोदी ने अपने भाषण में शिवराज का नाम तक नहीं लिया।न उन्होंने शिवराज की उन योजनाओं का जिक्र किया जो गेम चेंजर मानी जा रही हैं।मोदी आए तो थे पार्टी का प्रचार करने लेकिन सिर्फ अपना प्रचार करके चले गए।न शिवराज की कोई बात की ओर न उनकी सरकार और योजनाओं की।

उसके बाद यह साफ हो गया कि अब शिवराज अपनी आखिरी पारी खेल रहे हैं।वह भी नाइट बैटर की भूमिका में।इस बात पर मीडिया में चर्चा भी खूब हुई।और तो और गोदी मीडिया ने भी सवाल उठाया।

इस घटना के ठीक दस दिन बाद ,पांच अक्तूबर 2023 को शिवराज ने ऐसा दांव चला,जिसने सबको आश्चर्य चकित कर दिया।उस दिन नरेंद्र मोदी जबलपुर आए थे।बड़ी सभा थी।शिवराज ने मोदी के भाषण से पहले ही सभा में लाई गई जनता से पूछ लिया - मेरी सरकार कैसी चल रही है?अच्छी चल रही है कि नहीं? मैं अच्छा काम कर रहा हूं कि नहीं?

शिवराज के सवाल पर जो जवाब जनता से आया उसे मोदी ने भी सुना।

इस सभा के अगले दिन शिवराज एक कदम और आगे बढ़ गए!डिंडोरी में एक सरकारी सभा में उन्होंने फिर जनता से पूछा - मैं कैसी सरकार चला रहा हूं? अच्छी सरकार चला रहा हूं कि नहीं।मेरी सरकार फिर बननी चाहिए कि नहीं? बननी चाहिए कि नहीं? मामा को फिर से मुख्यमंत्री बनना चाहिए कि नहीं?

शिवराज यहीं नहीं रुके!उन्होंने भीड़ से अगला सवाल पूछा - नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनना चाहिए कि नहीं।साथ ही मंच से यह भी कहा कि जो मेरा साथ देगा मैं उसका साथ दूंगा!

शिवराज की इस रैली ने राजनीतिक हलकों में सनसनी फैला दी।माना गया कि शिवराज अब बगावत के मूड में आ गए हैं।उन्होंने जनता के बीच सार्वजनिक मंच से मोदी शाह को उत्तर दे दिया है!वे भले ही सामूहिक नेतृत्व की बात करें लेकिन शिवराज ने अपना दावा जनता की अदालत में पेश कर दिया है।

शिवराज के इस बदले रूप की चर्चा चल ही रही थी कि केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश के विधानसभा प्रत्याशियों की चौथी सूची जारी कर दी।57 नामों की इस सूची में शिवराज के साथ साथ ज्यादातर नाम उन्हीं की पसंद के थे।शिवराज ने इस पर प्रतिक्रिया भी दी।उन्होंने कहा - प्रदेश संगठन की ओर से जो नाम सुझाए गए थे,केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें मंजूरी दे दी है।इसके लिए केंद्रीय नेतृत्व का आभार!शिवराज की इस प्रतिक्रिया के बाद यह सवाल भी उठा कि अगर केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश संगठन की सिफारिश मानी है तो फिर दिल्ली ने जो सर्वे कराए थे उनका क्या हुआ?जब यही करना था तब सर्वे कराए ही क्यों?

चौथी सूची में उन लोगों के नाम भी थे जो पार्टी में शिवराज के विरोधी माने जाते हैं।साथ ही उनके भी जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से बीजेपी में आए थे।बीजेपी की यह चौथी सूची शिवराज की जीत के रूप में देखी गई।

शिवराज ने इस बीच एक और चौकाने वाला कदम उठाया।वे अचानक "शांति" की तलाश में गंगा की शरण में ऋषिकेश चले गए।वहां दो दिन "शांति" के साथ बिता कर भोपाल लौटे।इस बात की जानकारी भी उन्होंने गंगा के किनारे की अपनी फोटो सोशल मीडिया में पोस्ट करके दी।

भोपाल आकर वे बदले बदले दिखे।करीब पांच साल पहले खुद को टायगर बताने वाले शिवराज ने अपनी तुलना फीनिक्स पक्षी से की।उन्होंने राजधानी में रोड शो करते हुए कहा - मैं मर भी गया तो फीनिक्स पक्षी की तरह राख से फिर पैदा हो जाऊंगा।जनता की सेवा के लिए!

उनके इस बयान की अलग अलग ढंग से व्याख्या की जा रही है!सबसे बड़ा सवाल यह है कि राम भक्त शिवराज ने ग्रीक मैथालोजी के प्रतीक फीनिक्स पक्षी से ही अपनी तुलना क्यों की?वे संघ के स्वंयसेवक और बीजेपी के सदस्य हैं।इसी वजह से एक सामान्य कार्यकर्ता से उठकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंचे हैं।उन्होंने देश में बीजेपी का सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड बनाया है।फिर वे हमेशा अकेले रहने वाले,परिवारविहीन पक्षी से अपनी तुलना क्यों कर रहे हैं?यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि केंद्र द्वारा सामूहिक नेतृत्व की बात किए जाने के बीच वे "मैं और मेरी" पर उतर आए हैं।उन्होंने जनता से पूछा कि मेरी सरकार कैसी चल रही है?मुझे पांचवी बार मुख्यमंत्री बनना चाहिए कि नहीं?

खुद बीजेपी के नेता यह मान रहे हैं कि शिवराज जो लाइन ले रहे हैं वह संघ और बीजेपी की लाइन नही है। उनका कहना है कि संघ बीजेपी दोनों ही "हम" में विश्वास करते हैं।"मैं" हमारे शब्दकोश में ही नही है। हमारे आदर्श भगवान राम ने कभी अकेले की बात नही की और न हम करते हैं।वह हमेशा लक्ष्मण और सीता जी के साथ बताए गए हैं।या फिर हनुमान उनके साथ रहे हैं।ऐसे में ग्रीक का फीनिक्स पक्षी शिवराज के मन में कैसे और क्यों आया?

एक वर्ग यह भी मान रहा है कि पिछले कुछ महीने से जिस तरह उन्हें हाशिए पर धकेला जा रहा था, उसका उन्होंने जवाब दिया है।जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आत्ममुग्धता की वजह से आत्मकेंद्रित होकर मैं मैं करते रहते हैं ठीक उसी तरह शिवराज भी अब यह बताना चाहते हैं कि वे किसी से कम नहीं हैं।उन्हें कोई रोक नहीं सकता।फीनिक्स पक्षी की तरह वे अकेले ही लंबी पारी खेलेंगे।अकेले ही संघर्ष करेंगे!

अब देखना यह कि आने वाले दिनों में दिल्ली उनके साथ क्या सलूक करती है।उन्होंने टायगर से फीनिक्स तक का सफर तो पूरा कर लिया है।क्या उनका अंत भी फिनिक्स जैसा ही होगा?क्या दो महीने बाद वे राजनीति के बियाबान में खो जाएंगे और राजनीति की राख में विलीन हो जाएंगे?क्योंकि अभी तक तो यही देखा गया है कि बड़े से बड़े सूरमा राख में मिलने के बाद राख के ही होकर रह गए!

राख से निकल कर वापस आते किसी को देखा नहीं गया। पर अब शिवराज राख से वापस निकलने की दंभोक्ति कर रहे हैं तो अवश्य कुछ सोच समझ कर ही कर रहे होंगे। चलिए आगे आगे देखिए होता है क्या।

अरुण दीक्षित

अरुण दीक्षित

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