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- कथा धीरेंद्र शास्त्री...
कथा धीरेंद्र शास्त्री की..मेजबान मंत्री जी.. आयोजक जिला प्रशासन.. है ना अजब गजब मध्यप्रदेश
हेडलाइन पढ़ कर चौंकिए मत!जो लिखा है वही सच है।एमपी गवर्नमेंट के मंत्री रामकिशोर कांवरे उर्फ नानो चुनावी साल में अपने इलाके में भागवत कथा करवा रहे हैं।भागवताचार्य हैं छतरपुर जिले के युवा कथा वाचक धीरेंद्र शास्त्री।उन्हें उनके गांव के नाम की वजह से बागेश्वर सरकार भी कहा जाता है।वे हनुमान जी के भक्त हैं।कथा में किस्से सुनाते सुनाते वे अक्सर भाषा पर अपना नियंत्रण खो देते हैं।इसलिए चर्चा में भी खूब रहते हैं।
धीरेंद्र शास्त्री राज्य के मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ बीजेपी के करीबी हैं।कथा कहते कहते वे अक्सर हिंदू राष्ट्र की स्थापना की बात करते हैं।कई बार उनके मुंह से निकले शब्द "संत" नही होते हैं। उनकी कथाओं की लंबी बुकिंग है।इसलिए जहां भी उनकी कथा होती है,वहां भीड़ जुट जाती है।जुटाई भी जाती है।
आदिवासी बहुल नक्सल प्रभावित जिला बालाघाट में धीरेंद्र शास्त्री की कथा का आयोजन पहली बार हो रहा है!ऐसा मंत्री रामकिशोर कांवरे ने बताया है। कांवरे के मुताबिक वनवासी इलाके में ऐसा आयोजन इससे पहले नही हुआ है।भादुकोटा , परसबाड़ा में होने वाले इस धार्मिक "महाकुंभ" के यजमान मंत्री जी ही हैं।सभी व्यवस्थाओं की निगरानी भी वही कर रहे हैं।
जाहिर है कि जब मंत्री यजमान हैं तो तैयारियों का जिम्मा भी उन्ही का है।इसलिए गत 29 अप्रैल को वे प्रस्तावित कथा स्थल पर गए थे।सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जिले का पूरा सरकारी अमला मंत्री जी के साथ कथा की जगह देखने गया था।खुद जिले के कलेक्टर डाक्टर गिरीश कुमार मिश्रा भी मौके पर मौजूद रहे।
मौका मुआयना के बाद मंत्री ने मीडिया से बात भी की।उन्होंने बताया कि "बागेश्वर सरकार" की कथा 23 और 24 मई को होगी। उसी की तैयारियों का जायजा लेने वे आए थे।उन्होंने बताया कि बागेश्वर सरकार कुल 3 दिन यहां रहेंगे। दो दिन की कथा के बाद उनका "दरबार" भी लगेगा!
कथा की जगह का मुआयना करने गए मंत्री के साथ कलेक्टर और सरकारी अमले की मौजूदगी पर किसी को क्या आपत्ति होती!लेकिन मुआइना के दो दिन बाद कलेक्टर साहब ने जो आदेश जारी किया उसने राज्य में एक नई "परम्परा" की शुरुआत को "प्रमाणित" किया। कलेक्टर का आदेश कहता है कि इस आयोजन की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है।इसके लिए उन्होंने एक आयोजन एवम समन्वय समिति बनाई है।
बालाघाट के कलेक्टर की समन्वय समिति पर बात करने से पहले आपको बता दें कि धीरेंद्र शास्त्री प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के जिले विदिशा में भी कथा सुना चुके हैं।धीरेंद्र शास्त्री की कथा में मुख्यमंत्री का भी प्रवचन हुआ था।साथ ही उन्होंने मंच से भजन भी गाए थे।मुख्यमंत्री का प्रवचन काफी चर्चा में रहा था।
इससे पहले भी शिवराज सिंह चौहान बागेश्वर जाकर धीरेंद्र शास्त्री के दरबार में मत्था टेकते रहे थे।इसी वजह से धीरेंद्र शास्त्री अचानक पूरी तरह "भाजपाई" भाव में नजर आने लगे।उन्होंने बीजेपी से बगावत कर रहे मैहर के विधायक नारायण त्रिपाठी को समय देने के बाद भी,उनके इलाके में कथा सुनाने से इंकार कर दिया।कथा की तैयारियों में जुटे नारायण त्रिपाठी ने बाद में बताया कि शास्त्री जी ने कहा है कि अभी वे बहुत व्यस्त हैं।उन्हें अगले साल जनवरी में समय दे पाएंगे।मतलब साफ है कि विधानसभा चुनाव से पहले शास्त्री जी किसी गैर भाजपाई नेता के इलाके में कथा कहने नही जायेंगे।
इससे पहले उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का छिंदवाड़ा में कथा सुनाने का अनुरोध भी ठुकरा दिया था।
धीरेंद्र शास्त्री के अब तक जो भी कार्यक्रम हुए हैं,उनमें राज्य के मंत्री या बीजेपी के नेता कहीं न कहीं जुड़े रहे हैं।चुनाव से पहले अपने इलाके में कथा कराने के लिए बीजेपी के नेता और मंत्री धीरेंद्र शास्त्री के दरबार में नाक रगड़ रहे हैं।जिन्हें समय मिल रहा है वे खुद को धन्य समझ रहे हैं। बाकी किसी भी कीमत पर अपने लोगों को "कथा" सुनवाना चाहते हैं।
ऐसे में शिवराज के मंत्री का अपने इलाके में कथा का आयोजन कराना कोई बड़ी बात नही है।मंत्री ने मंत्री पद की शपथ लेते समय जो कहा था ,उसके बारे में अब भला उनसे कौन पूछे?क्योंकि वे तो वही कर रहे हैं जो उनके मुखिया और केंद्रीय नेतृत्व कर रहा है।
लेकिन बालाघाट के कलेक्टर जो कर रहे हैं,उसका उदाहरण पहले कभी नहीं देखा गया।जिस आयोजन में पूरी बीजेपी जुटी हो उसके लिए कलेक्टर साहब द्वारा आयोजन और समन्वय समिति बनाना चौंकाने वाला है।कलेक्टर ने दो मई 2023 को दो पन्ने का एक आदेश निकाल कर अपने मातहत जिले के सभी विभागों के अफसरों की ड्यूटी लगाई है।इन अफसरों को हर तरह की व्यवस्था सौंपी गई है।कुल 19 तरह की जिम्मेदारियां तय की गईं हैं।इसमें पहला नाम जिला पंचायत अधिकारी बालाघाट डी एस रडदा और आखिरी नाम जिले के प्रभारी आयुष अधिकारी डाक्टर मिलिंद चौधरी का है।डाक्टर चौधरी को कथा सुनने आए भक्तों को दातून एवम नित्य क्रिया की सामग्री उपलब्ध कराने का जिम्मा दिया गया है।
कथा स्थल पर पूरे प्रबंध का उल्लेख कलेक्टर के आदेश में है।जिसमें वीआईपी ग्रीन रूम से लेकर अन्य सुविधाएं भी शामिल हैं।कलेक्टर ने एक परिवहन समिति भी बनाई है।इसमें डिप्टी कलेक्टर मुनव्वर खान को भी रखा गया है।यह अलग बात है कि अभी कुछ दिन पहले प्रदेश की संस्कृति मंत्री ने मैहर देवी मंदिर की समिति में काम कर रहे मुस्लिम कर्मचारियों को हटाने का आदेश दिया था।
कलेक्टर का आदेश इतना व्यापक है कि कोई भी काम उन्होंने छोड़ा नही है।मंत्री महोदय यजमानी करेंगे।जिले के बीजेपी नेता भी कुछ काम करेंगे।लेकिन पूरी व्यवस्था जिला प्रशासन करेगा।
अब कलेक्टर महोदय से यह कौन पूछे कि क्या कथा कराना उनकी प्रशासनिक जिम्मेदारी है?क्या मंत्री द्वारा आयोजित कार्यक्रम को जिला प्रशासन द्वार आयोजित कराने की कोई नई परम्परा शुरू हुई है?
कलेक्टर साहब से बात करने की कोशिश भी की।लेकिन उन तक पहुंच बन नही पाई!लेकिन उनके हम पेशा उनके फैसले से चकित हैं।प्रदेश के कई जिलों में कलेक्टर रह चुके एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना था - इससे पहले जिले के कलेक्टर को इस तरह के आयोजन करते नही देखा।कलेक्टर साहब से यह पूछा जाना चाहिए कि अगर भविष्य में किसी अन्य धर्म का आयोजन जिले में हुआ तो क्या वे इसी तरह आयोजन समिति बना कर आयोजन कराएंगे!उन्हें अपने सर्विस रूल याद हैं कि नहीं!
एक सेवानिवृत्त कलेक्टर ने तो बालाघाट कलेक्टर पर सीधा सवाल उठाया है।उन्होंने कलेक्टर की योग्यता पर भी सवाल उठाया है।
नौकरशाही में इसकी चर्चा हो रही है।लेकिन प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस इस पर मौन है।ऐसा लग रहा है कि सॉफ्ट हिंदुत्व का खेल खेल रही कांग्रेस कर्नाटक में कुछ भी करे लेकिन एमपी में वह मंदिर,कथा और हनुमान भक्ति से आगे नहीं बढ़ पा रही है।
अब सरकार चाहे कलेक्टरों से कथा कराए या फिर उनसे देवताओं के महालोक बनवाये!बजरंग बली से वोट मंगवाए! कोई सवाल पूछने वाला नहीं है।और संविधान..उसकी परवाह किसे है। हां वोट के लिए अंबेडकर जी सर आंखों पर हैं।
इसलिए तो कहते हैं कि अपना एमपी गज्जब है!
है कि नहीं?बताइए..बताइए!!