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मध्यप्रदेश की राजनीति में यह सवाल बड़ा ओर बेहद महत्वपूर्ण है?
गिरीश मालवीय
एक होता है धोबी का कुत्ता, जो धोबी का कुत्ता होता है.वह धोबी के साथ ही दिन भर घूमता रहता है. धोबी की घरवाली सोचती है कि धोबी ने उसे घाट पर रोटी खिला दी होगी और धोबी सोचता है कि उसकी घरवाली ने उसे घर मे रोटी डाल दी होगी. धोबी का कुत्ता भूखा ही रह जाता है. इसी से कहावत का जन्म हुआ कि धोबी का कुत्ता न घर का न घाट
सिंधिया ने आज इस्तीफा दे दिया..... ठीक है.....
उन्हें मुख्यमंत्री नही बनाया गया ...... ठीक है...
उन्होंने लगातार अपनी उपेक्षा होती हुई महसूस की होगी वह भी ठीक है.....
लेकिन क्या इस बात से उनके बीजेपी में प्रवेश की संभावना को जस्टीफाई किया जा सकता है?
वैसे मध्यप्रदेश में कमलनाथ की सरकार को बने मात्र सवा साल हुए हैं ओर कांग्रेस के साथ सिंधिया का सफर 18 साल पुराना है उनके पिता की लेगेसी उनके साथ है पिछले सालों में वह चार बार कांग्रेस के टिकट से लोकसभा के सांसद चुने जा चुके हैं और मनमोहन सिंह सरकार में सात साल तक सूचना एवं प्रौद्योगिकी, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के जूनियर मिनिस्टर रह चुके हैं, इसके बाद 2012 से 2014 तक वे बिजली मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्री भी रहे. ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के बेहद करीबियों में गिने जाते हैं। इस कैलिबर के नेता वैसे भी कांग्रेस में गिने चुने ही बचे है. राहुल गाँधी के तो वह इतने विश्वस्त थे कि उन्हें मोदी से गले मिलने के बाद उन्होंने सिंधिया की तरफ देखते हुए ही आँख मारी थी.
एक बात को बिल्कुल स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए कि आज नही तो कल वह कांग्रेस के मुख्यमंत्री के रूप में मध्यप्रदेश की कुर्सी पर जरूर बैठ ही जाते. रही बात उनके समर्थक विधायकों की तो आपको बता दें कि कांग्रेस के जो 17 से ज्यादा विधायक कर्नाटक पहुंचे थे उनमें से 6 मंत्री थे, ओर उन्हें क्या मिल जाएगा हो सकता है बीजेपी में 6 के 12 मंत्री बन जाए लेकिन इससे फर्क क्या पड़ेगा ?
ऐसा नहीं है कि उनके पिता और कद्दावर नेता स्व. माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस नही छोड़ी थी कांग्रेस तो उन्होंने भी 1993 में छोड़ी थी लेकिन तब उन्होंने एक नई पार्टी बनाई थी जिसका नाम था मध्यप्रदेश विकास कांग्रेस तो क्या उनके पुत्र ज्योतिरादित्य महज एक राज्यसभा सीट या केबिनेट मंत्री के पद के कारण क्या बनना मंजूर करेंगे ?
मध्यप्रदेश की राजनीति में यह सवाल बड़ा ओर बेहद महत्वपूर्ण है?..........
लेखक पत्रकार है और आर्थिक जगत का जानकार है