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- व्यापम घोटाला - आखिर...
दुनियां भर में चर्चा में रहा एमपी का व्यापम घोटाला एक बार फिर चर्चा में है!इस बार इस पर सवाल किसी राजनीतिक दल ने नहीं बल्कि बीजेपी के तीन बार के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने उठाया है।
67 साल के कैलाश प्रदेश के पहली लाइन के बीजेपी नेता हैं।वे इंदौर के मेयर,विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री रहे हैं!एक जमाने में उमा भारती के बेहद करीबी थे।आजकल अमित शाह के करीबी माने जाते हैं।पिछले सप्ताह ही बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्ढा ने उन्हें अपनी टीम में महा सचिव बनाया है।इस समय उनके ऊपर प्रदेश में रूठे हुए अपनों को मनाने की जिम्मेदारी है। बंगाल में बीजेपी के प्रभारी रहे हैं।वहां ममता बनर्जी के सामने बीजेपी को खड़ा करने का श्रेय उन्हीं को जाता है।
इन दिनों वे एमपी में पार्टी को एकजुट करने के सामूहिक अभियान में लगे हुए हैं।इसी अभियान के तहत वे बुधवार (02.08.23) को विदिशा जिले की सिरोंज विधानसभा के दौरे पर थे।उन्होंने वहां सेमलखेडी गांव में एक सभा में पूर्व मंत्री और व्यापम के मुख्य अभियुक्त बनाए गए स्वर्गीय लक्ष्मीकांत शर्मा का जिक्र किया।शर्मा इसी इलाके से 20 साल तक बीजेपी के विधायक रहे थे।
पहले शर्मा की बात!सरस्वती शिशु मंदिर के शिक्षक और कथावाचक रहे लक्ष्मीकांत शर्मा शिवराज सरकार में महत्वपूर्ण मंत्री रहे थे। शिष्ट और शालीन छवि वाले शर्मा को जून 2014 में व्यापम घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। वे लंबे समय तक जेल में रहे थे।सीबीआई ने उनके खिलाफ अदालत में चार्जशीट भी दाखिल की थी। करोना के दौरान 31 मई 2021 को भोपाल में उनका निधन हो गया था।
व्यापम घोटाले में अपनी गिरफ्तारी और बदनामी का दुख लक्ष्मीकांत को हमेशा रहा।इसी दुख में वे दुनियां से चले गए!
अब कैलाश विजयवर्गीय ने सार्वजनिक मंच से यह मुद्दा उठाया है।बुधवार को कैलाश ने सेमलखेड़ी में लक्ष्मीकांत शर्मा का जिक्र करते हुए कहा - एक निर्दोष व्यक्ति पर बेबुनियाद आरोप लगे।जो व्यक्ति उन्हें जानता है वह यह तो मान सकता है कि लक्ष्मीकांत शर्मा सब कुछ कर सकते हैं।लेकिन इस प्रकार का भ्रष्टाचार नही कर सकते!
बीजेपी महासचिव ने कहा - जब वे (शर्मा) जेल में थे तब मेरी उनसे मुलाकात हुई थी।तब उन्होंने कहा था कि जो अपराध मैने किया ही नहीं उसकी सजा भुगत रहा हूं।मैं भी जानता था कि लक्ष्मीकांत जैसा व्यक्ति ऐसा कर ही नही सकता।इस बात की वेदना आज भी मेरे मन में है।
शायद भाग्य की लकीरों का ही खेल होगा कि निर्दोष होने के बाद भी व्यक्ति को दोषी करार दिया जाता है।बाद में वह अदालत से बरी हो जाता है।यह कौन पूछे कि उनकी हथेली पर ये लकीरें गोदी किसने थीं?
कैलाश विजयवर्गीय जिस मंच से यह बोल रहे थे उस मंच पर लक्ष्मीकांत के भाई उमाकांत भी मौजूद थे।उमाकांत अभी सिरोंज से विधायक हैं।राज्य के सबसे बड़े मुख्यमंत्री कन्यादान घोटाले का खुलासा उन्होंने ही किया था।यह घोटाला मुख्यमंत्री के अपने जिले विदिशा में ही हुआ है।
बीजेपी महासचिव के इस बयान के बाद यह सवाल फिर खड़ा हुआ है कि आखिर व्यापम घोटाले का असली मुजरिम है कौन ?क्योंकि इस मामले में अब तक दर्जनों जानें गई हैं।सैकड़ों लोग गिरफ्तार हुए हैं।बड़ी संख्या में लोगों को सजा भी सुनाई गई है। लेकिन राज्य की क्राइम ब्रांच और एटीएस से लेकर सीबीआई तक ने न तो किसी बड़ी मछली पर हाथ डाला है और न ही यह खुलासा किया है कि इस घोटाले में जो करोड़ों का लेनदेन हुआ,वह रकम कहां गई।सीबीआई ने भी नकली परीक्षार्थी, दलाल और उन लोगों को पकड़ा जिन्होंने पैसे दिए।लेकिन पैसे किस किस तक पहुंचे ,इस बात का खुलासा आज तक नही किया है।
जहां तक घोटाले की बात है,सब जानते हैं कि माल किसके जरिए किस तक पहुंचा।लेकिन किसी जांच एजेंसी ने उन लोगों पर हाथ नही डाला।
कांग्रेस ने इस मामले में मुख्यमंत्री और उनके परिजनों पर साफ साफ आरोप लगाए थे।उनके करीबी लोगों पर भी आरोप लगे।लेकिन किसी पर कोई आंच नही आई।व्यापम के बाद लगातार हो रहे घोटालों ने भी सबका ध्यान खींचा।हालत यह है कि घोटालों को व्यवस्था का अंग ही मान लिया गया।
अब विधानसभा चुनाव के मौके पर कैलाश विजयवर्गीय द्वारा लक्ष्मीकांत शर्मा को निर्दोष बताए जाने के बाद एक बार फिर यह सवाल उठा है कि आखिर व्यापम का दोषी कौन ? सब कुछ नजर के सामने लेकिन फिर भी सच सामने क्यों नही आया ?
जहां तक कैलाश विजयवर्गीय का सवाल है, वे बेबाक बात कहने के लिए जाने जाते हैं।एक जमाने में परचून की दुकान चलाने वाले शौकिया भजन गायक रहे कैलाश ने कुछ महीने पहले दमोह में भी इसी तरह का धमाका किया था।तब उन्होंने सार्वजनिक मंच से पार्टी के वरिष्ठ और बुजुर्ग नेता जयंत मलैया से माफी मांगी थी।और उनके साथ पार्टी द्वारा किए गए व्यवहार पर खेद जताया था।उस मंच पर मलैया को कथित तौर पर अपमानित करने वाले नेता भी मौजूद थे।उनके सामने ही पार्टी महासचिव की हैसियत से कैलाश ने वह बयान दिया था। वह आयोजन जयंत मलैया के 75 वें जन्मदिन पर किया गया था।प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित लगभग सभी बड़े नेता उस समारोह में पहुंचे थे।सिर्फ संदर्भ के लिए बताना जरूरी है कि दमोह में विधानसभा उपचुनाव में पार्टी की हार के बाद जयंत मलैया से जवाब तलब किया गया था।उसका खामियाजा भी पार्टी ने भुगता था।बाद में अपनी गलती भी सुधारी थी।
अब एक बार कैलाश ने बहुत ही संवेदनशील मुद्दा उठाया है।क्योंकि सब जानते हैं कि व्यापम के असली सूत्रधार कौन थे और पकड़े कौन गए!एक बात यह भी है कि देर से ही सही ,पहली बार किसी बीजेपी नेता ने लक्ष्मीकांत को सार्वजनिक रूप से निर्दोष कहा है!
ऐसा नहीं है कि राजनीति में कैलाश पर आरोप नही लगे हैं।लेकिन उन्होंने उनका सामना किया है।पार्टी के भीतर के मुद्दों पर वे डंके की चोट पर बोलते रहे हैं।
देखना यह है कि इस बयान के बाद पार्टी मलैया की तरह शर्मा को किस तरह न्याय देती है।हालांकि शर्मा अब इस दुनिया में नहीं हैं।लेकिन एक बात तय है कि कैलाश ने यह बात कह कर बड़ी हिम्मत दिखाई है!ऐसा कांग्रेस में तो होता रहता है लेकिन बीजेपी में इसकी कीमत चुकानी पड़ती है।
फिलहाल यह साबित करता है कि अपना एमपी गज्जब है!!है कि नहीं!पर सवाल कायम है - व्यापम का दोषी कौन!