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Shivraj driving a bulldozer:'बुलडोजर' चला कर आखिर क्या हासिल करना चाहते शिवराज?
विजया पाठक
:उत्तरप्रदेश में बुल्डोजर बाबा को मिली सफलता के बाद मध्यप्रदेश में भी बुल्डोजर मामा का नया रूप देखने को मिल रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में बुल्डोजर चलाने की जिम्मेदारी उठाई है। वे बुल्डोजर चलाकर प्रदेश में विभिन्न घटनाओं को अंजाम दे रहे लोगों को नेस्तनाबूद करने का संकल्प ले चुके हैं। अपने इसी संकल्प को लेकर मुख्यमंत्री पूरे देश में चर्चा का केंद्र बन चुके हैं। बड़ा सवाल यह है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के बावजूद प्रदेश सरकार को बुल्डोजर अभियान चलाने की आवश्यकता क्यों पड़ी? क्या प्रदेश सरकार को अपने कानून और पुलिस व्यवस्था से भरोसा उठ गया है? या फिर यूं कहे कि प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा की कार्यशैली पर मुख्यमंत्री को अब बिल्कुल भरोसा नहीं है। इसलिए मुख्यमंत्री ने अब खुद अपने हाथ में बुल्डोजर अभियान लिया है।
साम्प्रादांयिक दंगे, बुल्डोजर और सियासत
प्रशासन का गुंडों, माफियाओं पर डर होना ही चाहिए। पर इसका मतलब यह नहीं की आप उनके घर पर ही बुलडोजर चलवा दो। एक परिवार में एक आदमी गलत हो सकता है पर उसकी सजा पूरा परिवार क्यों भुगते? मुझे तो आश्चर्य हो रहा है देश की माननीय अदालतों ने भी इस मामले में कोई संज्ञान नहीं लिया। अगर सिर्फ अपराधी होने के कारण किसी का घर जमींदोश होता है तो भारत में संविधान को ही खत्म कर देना चाहिए। अगर विधायिका का काम कार्यपालिका ही कर दे तो यह तो सऊदी अरब जैसा ही कानून बन गया। खरगौन की घटना सीधे-सीधे प्रशासनिक असफलता की ओर इशारा करती है।
क्या शिवराज सिंह अपनी 15 साल 40 दिन की एक सौम्य मुख्यमंत्री की छवि बदलना चाहते हैं?
पिछले कुछ दिनों से शिवराज सिंह बहुत एग्रेसिव हो गए हैं। यह उनकी 15 साल से ऊपर शासन करने वाली छवि नहीं दिखती। एक नया शब्द उछाला गया वो है "बुलडोजर मामा" की। शिवराज जी अगर योगी हो गए हैं तो क्या मध्यप्रदेश उत्तरप्रदेश हो गया है। अगर यह सब कार्यवाहियां अवैध अतिक्रमण की हैं तो भोपाल शहर के दिलीप बिल्डकान, मंत्री, उच्च अधिकारी जैसे रसूखदार लोगों के 90% निर्माण में अवैध अतिक्रमण हुआ है। नगर निगम और टीएनसीपी से निर्देशित एफएआर के हिसाब से शहर में निर्माण ही नहीं होते। उच्च वर्ग की कॉलोनियां जैसे अरेरा कॉलोनी में ज्यादातर घर एफएआर के उल्लंघन से बनाये गये हैं। क्या ऐसे अवैध अतिक्रमण पर भी आपके बुलडोजर चलेंगे? और अगर नहीं तो गरीबों के आशियानों पर भी आपको कार्यवाही करने का कोई हक नहीं, भले ही उनके परिवार का कोई एक सदस्य गुनहगार हैं तो उस गुनहगार पर कार्यवाही करना चाहिए। सवाल यह भी उठता है कि जिस व्यक्ति ने अपराध किया है उसको सजा देने के बजाय सरकार पूरे परिवार को सजा क्यों दे रही है? आखिर परिवार के हर शख्स की क्या गलती कि सरकार उसे सड़क पर लाकर खड़ा कर रही है। अगर सजा ही देना है तो उस व्यक्ति को दीजिए जिसने अपराध किया है या फिर जो दोषी है। उस अपराधी व्यक्ति के साथ पूरे परिवार को सजा देना तो लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा तो हो ही नहीं सकता। अगर आपको कार्यवाही ही करना है तो आपकी कैबिनेट के नकारा मंत्रियों पर कीजिए। प्रशासन के नकारा अधिकारियों पर कीजिए, जो समय रहते स्थितियों को नहीं संभाल पाते हैं।
क्या मप्र में मिलेगी सफलता?
उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में बुल्डोजर अभियान को सफलता मिली। उसी सफलता को देखते हुए मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने बुल्डोजर अभियान शुरू किया। लेकिन क्या प्रदेश के मुखिया को इस अभियान के माध्यम से आने वाले चुनाव में फायदा मिलेगा या इसका नुकसान उन्हें और प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी को भुगतना पड़ेगा, यह तो आने वाला समय बतायेगा।
सरकार बलात्कारी को संरक्षण देती है मंत्री कमरा दिलवाते है?
अभी ताजा मामला में संत राम विलास वेदांती जो की अयोध्या में श्री राम जन्म भूमि ट्रस्ट के सदस्य और पूर्व भाजपा सांसद के नाती ने एक नाबालिक का बलात्कार सरकारी सर्किट हाउस में किया। बात और फसती है जब सरकारी सर्किट हाउस की आरक्षण की अनुशंसा मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री ने किया तो क्यों नही बिल्डोजर मामा ऐसे मंत्री के आशियाने पर बुल्डोजर चलाते है।
तब कहां थे जब निर्माण किया जा रहा था
प्रदेश सरकार का प्रशासन उस समय कहां था जब लोगों द्वारा अवैध निर्माण किया जा रहा था। अवैध निर्माण के माध्यम से करोड़ों रुपये की शासकीय संपत्तियों पर कब्जा किया जा रहा है। उस समय प्रशासन ने चुप्पी क्यों साधी और अगर उस समय चुप्पी साधी तो अब उसका बना हुआ आशियाना उखाड़कर उसे क्यों बेघर करने का यह कार्य कर रहे हैं।
आइडिया बुरा नहीं लेकिन विचार जरूरी है
प्रदेश की एक जिम्मेदार नागरिक और पत्रकार होने के नाते मैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से अपील करती हूं कि वो बुल्डोजर अभियान के बारे में एक बार पुनः विचार जरूर करें। यह सही है कि अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलना चाहिए, लेकिन उस अपराधी के साथ उसका पूरा परिवार प्रताड़ित हो यह न्याय संगत बात नहीं।
सजा का हक सिर्फ अदालत को
अगर सत्ता पक्ष खुद बुलडोजर चलाकर बिना अदालतों के फैसले देने लग जाए और उसका अदालत, मीडिया और जनता विरोध नहीं करेंगे तो वो दिन दूर नहीं, जब सत्ता पक्ष तानाशाही की राह पर चल देगा। इसलिए जब भी कोई जुर्म हो, जुर्म करने वाले का अदालत के जरिए ही फैसला होना चाहिए। अगर संपत्ति गिराने का अंतिम आदेश जारी हो चुका है, तो प्रशासन को अधिकतम 40 दिनों के अंदर संपत्ति को गिराना होगा। संपत्ति गिराने का आदेश उस संपत्ति के मालिक को अपना पक्ष रखने का एक अच्छा मौका दिए बिना जारी नहीं किया जा सकता।
कांग्रेस को मिला मुददा
बुल्डोजर अभियान में विपक्ष को भी एक दूरगामी मुददा मिल गया है। क्योंकि यह न्यायसंगत नहीं है। हो सकता है कि कांग्रेस इस मुददे को आगामी विधानसभा चुनाव में बड़ा मुददा बना सकती है। अब देखना होगा कि कमलनाथ इस मामले को लेकर किस तरह का स्टंट ले सकते हैं।